कई कई चेहरे हैं यहां
कई कई आत्माएं हैं
लोगों की, जो करते थे दिखावा...
मेरे अपने होने का।
तिलिस्म टूटा
विद्रूप चेहरा नजर आया
उनका, जो बने हैं सफेदपोश
जिनके पास अघोषित ठेका है जमाने का।
जो उनकी नजर में है
यकीं मानिए...
उस वक्त नजर भी न मिला पाए
जब कठोरता से घूरा मैंने
फिर ये सोच छोड़ दिया
ठगने दो, स्वयम्भू बनने/सोचने दो
करारा पलटवार होगा
फिर मौका भी न होगा सोचने का
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