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Monday, December 31, 2012

15 मिनट में हिन्दुओं को मिटा दूंगा: अकबरूद्दीन ओवैसी

देश में वास्तविक प्रजातंत्र और धर्मनिरपेक्षता का प्रदर्शन कर रही कांग्रेस के द्वारा देश को एक और पाकिस्तान के रूप में बांटने की साज़िश:

देखिए, देश में इतना सबकुछ बोलने के बाद भी सर्कन के कानों पर जूं नहीं रेंगती क्योकिं वो पार्टी कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी रही... अब सीधा हिन्दुतान को मिटाने की बात वह पार्टी कर रही है ..! सबकुछ कांग्रेस की शह पर..

उस मुस्लिम नेता और विधायक के भाषण की एक लाइन सुनिये: ''ऐ हिन्दोस्तान तेरी आबादी सौ करोड़ है और हम मुसलमान सिर्फ 25 करोड़ हैं। 15 मिनट के अपनी पुलिस हटा ले हम बता देंगे कि कौन ज्यादा ताकतवर है। तेरा 100 करोड़ का हिन्दोस्तान या हम 25 करोड़ मुसलमान।''

24 दिसंबर को अदिलाबाद, आंध्र प्रदेश के एक जलसे के दौरान अकबरूद्दीन ओवैसी..
आगे क्या करना है वह सब आप सबके विचार पर है .. अब मिट जाओ या मिटा दो! हिन्दू-मुस्लिम को नहीं बल्कि ओवैसी जैसे गद्दारों को.. जो देश को तोड़ने की बात करते हैं साथ ही MIM जैसी पार्टियों को . जो देश द्रोह कर रही है..!

इस पोस्ट के द्वारा देशद्रोहियों को चुनौती है कि वो अपना स्टैंड रखे, खासकर उन मुस्लिम हिन्दुस्तानियों को, जो हर हाल में भारतीय रहने का दावा करते हैं। जो यह कहते नहीं अघाते कि सभी भारतीय मुस्लिम भारत के हैं और उनमें आपस में कोई बैर नहीं हिन्दुओं के लिए

(नोट: गुप्त सूचना के अनुसार इस समय MIM के दस्ते में लगभग 1 लाख सशत्र कार्यकर्ता(विद्रोही) हैं, जो कभी भी देश के लिए खतरा बन सकते हैं! सूत्र के अनुसार इस बात की सूचना आईबी और रॉ जैसी एजेंसियों ने केंद्र सरकार को दी है लेकिन कांग्रेस और सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही तो दूर, अबतक इस बात की चर्चा भी नहीं की गई और न ही इनको रोकने का कोई प्रयत्न!)


भाषण का अंश
.. अकबरुद्दीन ओवैसी वैसे तो अपने आपको फिरकापरस्त कहने में भी कोई संकोच नहीं करते और कहते हैं कि कोई कुछ भी कहे लेकिन वे खुद तहे दिल से मुस्लिम परस्त हैं। इसी मुस्लिम परस्त का एक भाषण ऐसा है जिसे सुनने के बाद सहसा यकीन नहीं होता कि हिन्दुस्तान में इस्लाम इस रूप में भी संगठित हो रहा है। अकबरूद्दीन ओवैसी सिर्फ एक इस्लामिक संस्था मजलिस-ए-एत्तहादुल मुसलमीन के वरिष्ठ नेता भर नहीं है बल्कि वे आंध्र प्रदेश विधानसभा के माननीय विधायक भी हैं। लेकिन इस भाषण को सुनकर नहीं लगता कि उनका हिन्दुस्तान से कुछ लेना देना है।
अकबरुद्दीन ओवैसी ने हाल में 24 दिसंबर को अदिलाबाद के एक निर्मल टाउन में जलसे में टीवी कैमरों और मीडिया की मौजूदगी में जो कुछ कहा वह न सिर्फ गैर कानूनी है बल्कि सीधे सीधे देशद्रोह का मामला है। ओवैसी ने अपने भाषण में न सिर्फ हिन्दोस्तान को यह कहते हुए चैलेन्ज किया कि तेरी आबादी सौ करोड़ है और हम मुसलमान सिर्फ 25 करोड़ हैं। बल्कि साथ में यह भी कहा कि 15 मिनट के अपनी पुलिस हटा ले तो हम बता देंगे कि कौन ज्यादा ताकतवर है, तेरा 100 करोड़ का हिन्दोस्तान या हम 25 करोड़ मुसलमान। उन्होंने कहा कि सिर्फ पंद्रह मिनट के लिए पुलिस को हटा लो फिर देखो क्या होता है। जब ओवैसी ने यह कहा तो वहां मौजूद करीब बीस से पच्चीस हजार की सभा में जमकर 'नारा-ए-तदबीर, अल्ला हो अकबर' के नारे गूंजे और वहां मौजूद जमात के लोगों द्वारा ओवैसी का समर्थन किया गया। पूरे हिन्दोस्तान को धमकी देते हुए अकबरूद्दीन ओवैसी ने कहा कि ''अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो तबाही और बर्बादी पूरे हिन्दुस्तान का मुस्तकबिल (भाग्य) बन जाएगी।''
अपने भाषण में ओवैसीन ने आतंकवादी अजमल कसाब को न सिर्फ बच्चा बताया बल्कि उसकी फांसी के बदले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के फांसी की भी मांग की। अपने भाषण में ओवैसी ने कहा कि "एक बच्चा अपने साथियों के साथ पाकिस्तान से आता है और मुंबई में 200 लोगों को कत्ल कर देता है तो उसे फांसी की सजा दे दी जाती है और गुजरात में जिस मोदी ने 2000 हिन्दुस्तानियों का कत्ल कर दिया उसके ऊपर एक केस भी दर्ज नहीं किया जाता।" ओवैसी ने कहा कि मोदी को कोई सजा नहीं दी जाती बल्कि वह आज हिन्दुस्तान का वजीर-ए-आजम बनने का ख्वाब देख रहा है। ओवैसी अपने भाषण में आगे कहते हैं कि "अरे हिन्दुस्तान ये अकबर ओवैसी तुझसे सवाल करता है कि पाकिस्तानी है तो हिन्दुस्तानी को मारने पर फांसी और हिन्दुस्तानी है तो हिन्दुस्तानियों को मारने पर उसे दिल्ली की गद्दी दी जाती है।" अपने भाषण के दौरान हालांकि ओवैसी ने कसाब और उसके साथियों द्वारा किये गये आतंकी हमलों की मजम्मत जरूर की लेकिन उन्होंने अपने भाषण में जिस तरह से कसाब को बच्चा बताकर संबोधित किया और फांसी का आधार आतंकी गतिविधि नहीं बल्कि पाकिस्तानी होता बताया, वह निश्चित ही हैरान करनेवाला है। ओवैसी ने पूरे हिन्दुस्तान के मुसलमानों का आह्वान किया है कि "ये आंध्रा का मुसलमान सारे हिन्दुस्तान के मुसलमानों को पैगाम देता है कि अगर आंध्रा के मुसलमानों की तरह हिन्दुस्तान के पच्चीस करोड़ मुसलमान मुत्तहिद हो जाएगा तो खुदा की कसम बहुत जल्द मोदी तख्ते पर लटकता हुई हमको दिखाई देगा।" 
बोलते बोलेत ओवैसी ने मोदी को फांसी को फांसी की मांग तो की ही लेकिन यह भी बोल गये कि अगर इस देश का मुसलमान एक हो जाए तो खुदा कसम इस देश का मुस्तकबिल मुसलमान लिखेगा। अपने भाषण के दौरान उन्होंने न सिर्फ मुंबई बम धमाकों को यह कहते हुए जायज ठहराया कि यह बाबरी मस्जिद को शहीद करने का रियेक्शन था बल्कि बंबई बम धमाकों में सजा दिये जाने पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि टाइगर मेनन को सजा हो गई लेकिन बाबरी मस्जिद गिराने वालों को अब तक सजा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि आज हमारी मस्जिदें शहीद कर दी जाती हैं और हमारी इज्जत इनके रहमों करम पर रख दी जाती है और हिन्दुस्तान में हमकों इंसाफ नहीं मिलता है।
करीब दो घण्टे का यह पूरा भाषण दो किश्तों में यू ट्यूब पर उपलब्ध है। अपने भाषण के दौरान ओवैसी ने सिर्फ मोदी के लिए ही फांसी नहीं मांगी बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों के साथ हिन्दुस्तान के मुसलमानों की हालात की तुलना करते हुए अमेरिका को इसके लिए जिम्मेदार भी बताया। उन्होने चारमीनार को मस्जिद बताते हुए वहां देवताओं का मंदिर बनाने को भी चुनौती दी और हिन्दू देवता राम को भी बुरा भला कहा। ओवैसी ने हिन्दू नेताओं को चैलेन्ज करते हुए कहा कि "आखिर राम की मां कहां कहां गई और राम ने किधर को जनम लिया।" राम के जन्म को चुनौती देते हुए ओवैसी ने कहा कि यहां सौ दो सौ साल की तारीख का पता नहीं और ये अठारह लाख साल पुरानी तारीख से राम जन्मभूमि पर दावा कर रहे हैं। ओवैसी ने अपने भाषण में बीजेपी, आरएसएस को जहरीला सांप बताते हुए कहा कि इन्हें मारने के लिए बब्बर शेर की जरूरत नहीं है। इनका सिर कुचलने के लिए एक सोटा ही काफी है।
बहरहाल, यह भड़काऊ भाषण देने के बाद अकबरूद्दीन लंदन इलाज के लिए चले गये हैं और ओवैसी के इस भड़काऊ भाषण के खिलाफ दायर एक याचिका पर एक स्थानीय अदालत में सोमवार को सुनवाई होगी।(sabhar-visfot)

Saturday, December 29, 2012

दिल्ली गैंगरेप: ऐसी घटनाएं जो गैंगरेप के बाद जघन्यतम कृत्य के लिए उत्तरदाई रही!



दिल्ली गैंगरेप के बारे में एक ऐसी सच्चाई से पर्दा हटाने जा रहा हूं जो शायद सबकी आंखे खोलकर रख दे.

पहली बात : शुरूआती गलती और एक कदम आगे की गलती यानि शुरूआती दो कदम पीडिता और पीडिता के पुरुष मित्र द्वारा उठाए गए! जोकि पूरी तरह से गलत और किसी के लिए भी अस्वीकार्य थी! जबकि बस ड्राइवर के साथ बस में सवार सभी युवक शराब के नशे में थी, ऐसे समय में इस बस में चढ़ना कहां तक उचित था? बस में चढ़ने के बाद गलत हरकतें, फिर कमेंटबाज़ी के दौरान युवक को ड्राइवर को थप्पड़ मारना ..यह कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो इस गैंगरेप के बाद जघन्यतम कृत्य के लिए उत्तरदाई रही!

दूसरी बात: दिल्ली गैंगरेप में पकडे गए सभी छः दोषी बराबर के जिम्मेदार नहीं! शुरूआती झगडे और मारपीट के बाद बदले की भावना से गैंगरेप की प्रवृति अपराधियों के मन में आना! बस में होने वाला झगडा इस दौरान निर्णायक रहा! इससे ड्राइवर रामसिंह में प्रतिशोध की भावना उबली और बाकियों में झगडे के दौरान ही दुष्कर्म की भावना!

सबकुछ बताने से पहले मैं इस गैंगरेप की असली वजह बताना चाहूंगा, जोकि आज के मेट्रो युग के युवाओं के लिए एक अच्छी जानकारी और आगे से ऐसे किसी भी घटना से दूर रहने का एक तरीका साबित हो सकता है! मैं आप लोगों को कुछ पोइंट्स या क्रम से घटनाक्रम को बताने चल रहा हूं!

दोनों का रात के समय फिल्म देखने के बाद घर जाने का गलत तरीका! साकेत से फिल्म देखकर निकलने के बाद यह लोग ऑटो से मुनिरका गए! फिर मुनिरका से इस चार्टर्ड बस में सवार हुए! गलती या कहे हीला-हवाली, जिस ऑटो से यह लोग मुनिरका या वसंत विहार पहुंचे क्या उसी ऑटो से अपने अपने घर नहीं निकलना चाहिए था? खैर यह वजह कुछ भी नही! आये हम बताते हैं आपको इनकी सबसे बड़ी गलती!

आप फिल्म देखने के लिए इतना महंगा टिकट लेकर जा सकते हैं, वापस आधे रास्ते तक ऑटो में आ सकते हैं फिर ऐसा क्या हुआ कि इन्होने चार्टर्ड बस को आगे के सफर के लिए चुना? इसकी दो बाते हो सकती हैं.. पहला: ऑटो ड्राइवर की तांकझांक बर्दास्त न होना, दूसरा: फिर किसी अन्य को अपने बीच में नहीं पड़ने देना
 इस दौरान सबसे बड़ी गलती: बस में इन दोनों का पीछे या बीच की सीट पर बैठने के बाद आपत्तिजनक हरकतें! चार्टर्ड बसों में अक्सर प्रेमी जोड़ों की जुगलबंदी देखी जा सकती हैं! इस दौरान बाक़ी पांच ड्राइवर से बातचीत कर रहे थे!
इस दौरान ड्राइवर राम सिंह ने दोनों की और इशारा करते हुए जोर से अपने साथियों से कहा! दिल्ली में इस समय वेश्याएं(Sex Workers) इसी तरह हरकते करती हैं! उसने साथ ही यह भी कहा कि देखो बस में ही रंगरेलियां मनाने की लगभग अवस्था आ चुकी है!
यह सब सुनने तक दोनों एक-दूसरे में खोये हुए थे! मगर इतना सुनने के बाद पीडिता के साथ वाले युवक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया! उसने कुछ सोचे विचारे बिना ही बाकियों और ड्राइवर से बहस शुरू कर दी!
थप्पड़ मारना: टर्निंग पॉइंट. अभी बहसबाजी चल ही रही कि पीडिता के पुरुष मित्र ने ड्राइवर रामसिंह को थप्पड़ मार दिया! इसके बाद उनमें आपस में झगडा शुरू हुआ! बीच बचाव करते समय लड़की को भी चोट आई! इस दौरान नाबालिग युवक(बदायूं से जो पकड़ा गया) के मन में सबसे पहले दुष्कर्म की भावना जागी क्योंकि तबतक यह लोग युवती को सामान्य युवती नहीं बल्कि वेश्या समझ रहे थे!

इसके बाद, सभी युवकों ने बारी-बारी से दुष्कर्म किया! इसके बाद भी जब युवती और युवक का विरोध जारी रहा तो बस ड्राइवर रामसिंह का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया! रामसिंह ने बस में पीछे आकार पहले तो दोनों के साथ मारपीट की उसके बार वो आगे केबिन में गया और लोहे का सरिया उठा लाया! इस दौरान युवक अर्धनिर्वस्त्र हालत में था और युवती लगभग पूरी तरह निर्वस्त्र, चूंकि सभी आरोपी दुष्कर्म को अंजाम दे चुके थे! रामसिंह ने केबिन से सरिया लाकर पहले तो दोनों को सरिये से पीटा! मगर इसके बाद भी जब उसके मन से शुरुआती थप्पड़ के प्रतिशोध की ज्वाला कम नहीं हुई तो उसने उसी सरिए से युवती के नाजुक अंगों पर प्रहार किया!

रामसिंह इस हमले के बाद पागलों वाली अवस्था में आ चुका था! उसने हैवानियत की हद पार करते हुए पीडिया के नाकुक अंगों में सरिए के कई वार किये, जिससे सरिए का प्रहार युवती के शरीर के अंदरूनी हिस्सों तक हुआ! इसका एक फल युवती की छोटी अंत को निकालने के तौर पर सामने आया!

ड्राइवर रामसिंह पर से जब बदले की आग थोड़ी हलकी हुई जब जाकर उसे अपनी गलती का अहसास हुआ! इस दौरान बस की स्टेरिंग पर कोई और था! अब कुछ किया नहीं सा सकता था और सरिया पीडिता के नाजुक अंगों से होकर उसके पेट में फंसा हुआ था! ऐसी अवस्था में पीडिता को देखकर रामसिंह के होश उड़ गए! इस दौरान उसके अन्य साथी भी वही थे और वो युवक पर टूटे हुए थे! लेकिन पीडिता की यह हालत देखने के बाद उनके वहशीपन ने जवाब दे दिया!

रामसिंह और उसके साथियों के वहशीपन को खत्म होने में लगभग ४० मिनट का समय लगा! इसके बाद आरोपियों ने लगभग बेहोश हालत में पीडिता युवती और उसके मित्र को सड़क के किनारे चलती बस से धक्का देकर बस को लेकर भागना ही उचित समझा! 

इस घटना के बाद क्या हुआ वह सारी दुनिया के सामने है!

अब सवाल यह उठता है कि क्या उनका इस चार्टर्ड बस में चढ़ना उचित था? अब अगर बस में चढ भी गए तो शांति से रास्ता व्यतीत करने में क्या जाता था? इस दौरान दोनों जब एक-दूसरे में खोने लगे तो उसके बाद बस ड्राइवर से कहा सुनी हुई!

अब यह कौन कहेगा कि आप युवती के साथ हो तो चुपचाप निकलने की बजाए आप 6 लोगों से भिड जाओ? इतना ही नहीं, युवक ने जब ड्राइवर रामसिंह को थप्पड़ मारा उसके बाद गाली गलौच और दुष्कर्म की घटना हुई! इसलिए मैं अकेले रामसिंह या उन्ही छः युवकों को इस घटना का जिम्मेदार मानने से इनकार करता हूं!

जरा सोचिए! हम सब सिर्फ उन्ही छः को घटना का जिम्मेदार मान रहे हैं, लेकिन यह तथ्य जानने के बाद भी क्या घटना की जिम्मेदारी उन्ही छः पर है? यह इस युवक पर भी?

मैं और कुछ न कहते हुए इस युवा पीढ़ी से इतना ही कहूँगा, कि हर जगह हर किसी से उलझना ठीक नहीं! आप लोग रात के समय कहीं निकले भी तो DTC या ऑटो लेकर ही निकले! चार्टर्ड बसों को बढ़ावा न दे! यह हमारे समाज के लिए खतरा होने के साथ ही हमारी अर्थव्यस्था के लिए भी खतरा हैं!

दामिनी के अस्पताल पहुंचने और उसके मरने तक की घटना का उल्लेख मैं यहां नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि उन सबकी चर्चा बहुत हो चुकी है! मेरे इस लेख के लिखने तक शायद दामिनी का पार्थिव शारीर भी भारत देश पहुचंह चुका होगा! अंत में दामिनी को सिर्फ विनम्र श्रद्धांजलि...सिर्फ इतना ही कहूँगा, दामिनी तुम्हरी मौत से शायद यह युवा वर्ग जाग जाए, जो गलतियां अब तक हुई वो फिर न दोहराई जाए!

(मेरा इरादा किसी को चोट पहुँचाने या किसी को गलत ठहराने का बिल्कुल भी नहीं है! मैंने इस लेख द्वारा यह कोशिश की है कि सच्चाई आम जानता तक पहुंचे और वह जागरूक हो सके, ताकि ऐसी किसी भी प्रकार की घटना से बचा जा सके)
(Short Note: दामिनी के साथ सामूहिक बलात्कार से दामिनी की मौत के बीच के बारह दिनों में देशभर से लगभग 22 बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं! मैं भी चाहता हूं कि ऐसे मामलों में न्याय अतिशीघ्र हो लेकिन इस दौरान कोशिश यह की जानी चाहिए कि दोषियों को उनकी गलती के अनुसार सजा मिले)
आप मुझसे फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं
ट्विट्टर: https://twitter.com/sks_the_warrior

Thursday, December 27, 2012

मेरी जान जाने के बाद!


मुझे पता है,
तुम मेरी कभी नहीं हो सकती!
फिर भी मैं तुमसे प्यार करूंगा!

वजह जानने की,
कोशिश नहीं करूंगा!
मालूम है दर्द होगा,
असलियत जान लेने के बाद.!

बेवजह का,
यह प्यार मिलता रहे तुझे!
जिससे,
यह सिलसिला चलता रहे!

मालूम है,
बेवफाई किसने की!
फिर भी
किसी से न कहूंगा!
वरना,
दर्द होगा!
किसी के जान लेने के बाद!

गर यह बात,
गलती से भी!
निकल गई कहीं!
बदनामी, मेरे प्यार की होगी,
तुम्हारी बदनामी के बाद!

मुझे पता है,
तुम नहीं लौटोगी!
खुद की,
एक और बार बेवफाई के बाद!
फिर भी मैं तुमसे प्यार करूंगा!!

यह सिलसिला,
टूटेगा तभी!
पहले जो कहा था..!
मेरी जान जाने के बाद!!

Sunday, December 23, 2012

कुछ प्रश्न-एक अपील, कृपया पुलिस को पशु न समझें, वह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं

Om Prakash 'NAMAN'
' आज दिल्ली में पिछले दिनों एक मेडिकल छात्रा पर चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार और महिला उत्पीडन के के खिलाफ राज-पथ, और अमर जवान ज्योति के पास हो रहे आन्दोलन ने कुछ प्रश्न उपस्थित किये है ...कुछ लोगों का कहना है की राज नेताओं , विशेषकर सोनिया गाँधी, प्रधान मंत्री , राहुल गाँधी और शीला दीक्षित जैसे नेताओं ने आन्दोलन कर्ताओं से मिल कर उन्हें आश्वासित करना चाहिए ..
मेरा सवाल है आप सबसे.....!
1- केन्द्रीय नेताओं ने सार्वजानिक रूप से पिछले दिनों न केवल लोक सभा में बल्कि समाचार माध्यमो के द्वारा देश की जनता को इस विषय में न केवल आश्वासन दिए बल्कि उन्हें पूर्ण करने की दिशा में आवश्यक कदम भी उठायें हैं। (अ)... पुलिस ने रिकार्ड समय में सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें अदालत में पेश किया गया है। (ब).. दिल्ली में 6 फ़ास्ट कोर्ट बनाने का आश्वासन दिल्ली की मुख्यमंत्री ने दिया है। (क )... दिल्ली और पुरे देश में बसों और अन्य वाहनों के शीशों की काली फिल्मे और परदे उतारे जा रहे है।

2- अगर ऊपर कहे गए राज -नेता आन्दोलन कारियों से मिलने राज-पथ पर आते तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी क्या ये आन्दोलनकर्ता लेते?

3- अगर इन नेताओं को जो जो आंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की हिट लिस्ट में हैं कोई जान लेवा हमला हो जाये या उनके साथ धक्का मुक्की और अशोभनीय व्यवहार हो तो उसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?

4- ए आन्दोलनकर्ता जो अपने सहयोगियों को सार्वजनिक संपत्ति का नुक्सान करने से नहीं रोक पा रहे है, जो उन्हें पुलिस की गाड़ियों की तोड़फोड़ से नहीं रोक पा रहे हैं, महिला पुलिस कर्मियों के साथ बदतमीजी से नहीं रोक पा रहे है क्या ये आश्वासन दे सकते हैं की उपरोक्त राज नेता वहां आकर सुरक्षित रहेंगे?

***** इन आन्दोलनकर्ताओ से प्रश्न ?

1- क्या आप लोगो की ही उपस्थिति में दिल्ली की बसों में महिलाओ के साथ छेड़ छाड़ नहीं होती?

2- क्या आप लोगों में से ही अनेक युवक खुद महिलाओं के साथ बसों, ट्रेनों और सार्वजनिक स्थानों पर छेड़ छाड़ के दोषी नहीं है?

3- क्या आप में से ही अनेक युवक रातों को शराब पीकर गाडी चलाने और होटलों और पबो में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार के दोषी नहीं हैं?

***** समाचार माध्यमो के प्रतिनिधियों से मेरा प्रश्न-----

1- आप पुलिस के लाठी चार्ज की इक्का दुक्का घटनाओं को बार बार दिखाते हैं , खूब दिखाइए पर क्या आप कभी इन आन्दोलनो के दौरान महिला पुलिस कर्मियों के साथ जो शारीरिक छेड़- छाड , अशोभनीय वर्तन और गाली गलौज होता है उसे भी देख पाते हैं या दिखाते हैं।

2- क्या मीडिया कभी पुलिस कर्मियों पर आन्दोलनकर्ताओ द्वारा किये गये हमलो को, उन्हें जो माँ -बहन की गालियाँ दी जाती है उसे कवर करता है।

कृपया पुलिस को पशु न समझें .... वे भी मनुष्य है अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।...नमन

Thursday, December 20, 2012

माया सभ्यता भविष्यवाणी(Part-III): और मैंने दुनिया को बचा लिया...

कुंदन
टिप्पणीकार स्वतंत्र लेखक हैं
मैंने दुनिया को बचा लिया है सच कह रहा हूँ .. 

आप यकीं करो या ना करो लेकिन अभी अभी यमराज जी यहाँ से गए हैं और बता कर गए हैं की दुनिया खत्म नहीं ही रही और उसका पूरा श्रेयारोप(श्रेय और आरोप ) मुझे ही जाता है |

भैंसे पर चढ़े हुए, काला बदन, बड़ी मूछे हाथ में गदा लिए मेरे सामने जब आये तो मुझे लगा बाबा इस बार की भविष्यवाणी तो सच है, यमराज को देख कर डरा तो बिलकुल भी नहीं ( आखिर मै शादी शुदा जो हूँ) पर फिर भी उत्सुकता वश मैंने पूँछ ही लिया क्या बात है आप के दूत नहीं आये हैं मुझे लेने, आप व्यक्ति गत रूप से मुझे लेने आये हैं I am feeling special one |
तो यमराज बोले "हाँ तुम special one हो क्यूँ की तुमने दुनिया को खत्म होने से बचा लिया है"|

मैंने पूंछा : कैसे ?

तो उन्होंने बताया थोड़ी देर पहले तक दुनिया का खत्म होना तय था लेकिन जैसे ही उन्होंने उनकी होने वाली दुर्दशा के बारे मे ( मेरे पिछले दो फेसबुक स्टेट्स से ) पढ़ा (मुझे नहीं पता था की उन्होंने मुझे फेसबुक पर जोड रखा है ) वैसे ही यमराज ने सभी दलों के बड़े देवताओं की आपात कालीन संसदीय मीटिंग बुलाई और मेरी लिखी भविष्यवाणी सभी को सुना कर आगे आने वाली मुसीबतों के बारे में बताया तो सभी दलों के देवताओं ने एक सुर में इस प्रलय को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का फैसला ले लिया है, और अब प्रलय तभी आएगी जब यमराज (AKA धर्म राज ) की संभावित दुर्दशा का कोई समाधान नहीं ढूंढ लिया जाता जो की अगले कुछ सौ सालों तक सम्भव नहीं है इसलिए अभी प्रलय नहीं आ रही |

तो जो मरना नहीं चाहते थे वो मेरा धन्यवाद करिए और खुशिया मनाइए और जिन्होंने कर्ज ले कर अपने घर बेच कर खुशिया मनाते हुए प्रलय का इन्तेजार करा है उन्हें बता दूं की अगले तीन महीनो तक यमराज आत्महत्या से मौत को रद्द कर चुके हैं

दुनिया खत्म होने पर धर्मराज के सामने भारतीयों के बयान(Part-II)

कुंदन
टिप्पणीकार स्वतंत्र लेखक हैं
कल दुनिया खत्म हो गई तो ऊपर धर्मराज के सामने क्या हाल होगा सोचिये ... शायद ऐसा कुछ धर्मराज सुनेंगे (Part-II)...

बेनी प्रसाद वर्मा : देखिये अफजल गुरु जी को स्वर्ग में जगह दी जानी चाहिए उन्होंने सिर्फ संसद पर हमला ही तो किया है कोई बड़ा अपराध किया होता तो उन्हें अपराधी माना जा सकता था, संसद पर हमला अफजल गुरु जी के लिए छोटी बात है |


कपिल सिब्बल : स्वर्ग में नर्क की ऍफ़ डी आई से फायदा होगा , किसे फायदा होगा वो मत पूँछना | 

बाबा रामदेव : स्वर्ग में अप्सराये नाचे ये बड़ा ही अशोभनीय काम है |

अम्बिका सोनी : अप्सराओं के नाचने से रामदेव जी को इतना दुःख क्यों हो रहा है, क्या वो अप्सराये उनकी बेटियां हैं |

सभी ठाकरे : हमें मराठी माणूस के लिए अलग स्वर्ग और नरक चाहिए और उसमे उत्तर भारतीयों, दक्षिण भारतियों का आना मना है |

जयललिता : मुझे मेरी साड़ियों का पूरा कलेक्शन यहाँ भी चाहिए |

लालू प्रसाद यादव : स्वर्ग में परिवार नियोजन जैसी कोई व्यस्था तो नहीं है ना और मुझे चारे के पास वाली जगह ही दीजियेगा |

नितीश कुमार : जितने भर्स्ट देवता है उन सभी की सम्पति पर कब्जा कर के उनके बंगलो में स्कूल चालू किये जाने चाहिए |

सुनील शेट्टी : तुम मुझे स्वर्ग भेज दो ऐसा हो नहीं सकता और मेरे लिए तुम नर्क लिखो ऐसा मै होने नहीं दूंगा |

कादर खान : पाप पुन्य के लेखे जोखे की बही में से ,मेरे पाप पुन्य का पन्ना खोल के पाप पुन्य का हिसाब लगा कर अपने धर्म के तराजू पर मेरे पाप पुन्य को तौल बताओ न ज्यादा वजन किसका है, और मई स्वर्ग जाऊँगा की नर्क |

शाहरुख़ खान : मुझे भी स्वर्ग ही देना ध ध ध ध ध ..धर्मराज ..

कलमाड़ी : यहाँ स्वर्ग नर्क के बीच खेलों का आयोजन कब होता है |

विजय माल्या : कृपया अप्साराओ के जॉब इंटरव्यू लेने का काम मुझे दे दीजिये |

दुनिया खत्म होने पर धर्मराज की हालत और भारतीयों के बयान(Part-I)

कुंदन
टिप्पणीकार स्वतंत्र लेखक हैं
कल दुनिया खत्म हो गई तो ऊपर धर्मराज के सामने क्या हाल होगा सोचिये ... शायद ऐसा कुछ धर्मराज सुनेंगे 

मायावती : मुझे हर दलित के लिए स्वर्ग में ३३% का आरक्षण चाहिए..तुर्रा ये है की ८० साल पहले इनके पूर्वजों को मन्दिरों में नही जाने दिया गया तो ये पुन्य नही कर पाए ..
राहुल गांधी : राजीव गांधी ने धरती पर संचार क्रांति करने के बाद अब यहाँ भी संचार क्रांति कर दी है तो आप सभी लोगो को अपने रिश्तेदारों को धरती पर फोन करने दीजियेगा |

ममता बैनर्जी : देखिये मेरी बात मान लिजिये वरना मै समर्थन वापस ले लूंगी |

शीला दीक्षित : देखिये आप को सभी के खाने की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं इन्हें सिर्फ ४ रूपये दे दीजयेगा ये नरक में भी रह लेंगे |

मुल्ला- यम सिंह : मै स्वर्ग में नर्क की ऍफ़ डी आई का विरोध करता हूँ इसलिए मै तो वाक आउट कर रहा हूँ |

सोनिया गांधी : मन्नू चूप चाप यहा आओ और मुंह बंद कर के बेठो |

दिग्विजय सिंह : मेरा ओसामा जी जा जी कहा हैं |

मनीष तिवारी : अरे धर्मराज तुम क्या पाप पुन्य का फैसला करोगे जब की तुम तो खुद ही ऊपर से नीचे तक पाप में लिपटे हुए हो |

सिद्धू : गुरु नीचे पाप का राज उपर धर्म धर्म राज , गुरु मै तो बड़ी मुश्किल में फंस गया आज .. चक दे फट... बोला ता रा रा रा |

अटल बिहारी बाजपेयी : सब को मार दिया sssssss......................ये अच्छी बात नई है |

मीरा कुमार : सब शांत हो जाइये, सब शांत हो जाइए ...सब शांत हो जाइए |

अमिताभ बच्चन : तो आइये आप और हम मिल कर खेलते हैं पाप पुन्य और विधान के इस अद्भुत खेल को जिसका नाम है "कौन पायेगा क्या गति "|

अरविन्द केजरी वाल : हम स्वर्ग जायेंगे लेकिन हम स्वर्ग के सुख से दूर रहेंगे , अप्सराओं का नाच नहीं देखेंगे और सूरा पान भी नहीं करेंगे, हम आम आदमी की तरह रहेंगे |

नरेंद्र मोदी : ना मैंने अमेरिका का वीजा माँगा है ना ही स्वर्ग का वीजा मांगूंगा, मन्ने तो म्हारों गुजारत प्यारा लगेच है |

एन डी तिवारी : यहाँ डी एन ए टेस्ट जैसी कोई व्यवस्था तो नहीं है न |

AND LAST 2 BUT NOT LEAST 2

मौन मोहन सिंह :............................................................................................................. |

आम आदमी : क्या साल के १२ सिलेंडर, सस्ता अनाज, बिजली पानी, सड़के और सुरक्षा मिलेगी |






Thursday, December 13, 2012

भास्कर राष्ट्रीय नहीं बल्कि बिकाऊ लोकल अख़बार जैसा है.

कुंदन
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं

आज कई हफ्तों बाद भास्कर.कॉम की साईट को खोला और उस साईट पर जाने के बाद यही लगता है की भास्कर एक रास्ट्रीय स्तर पर निकलने वाला अखबार नहीं कोई बिकाऊ लोकल अख़बार है |
पूरे अख़बार में खास मुख्य खबर (हेडलाइन न्यूज) के नाम पर क्रिकेट की ही खबरे दी हुई है, उसके बाद बीवियों की खरीद की खबर, 12-12-12 पर बंगलादेशी क्रिकेटर की अमेरिकन लड़की से शादी, चीनी विमान की जापान में घुसपैठ, प्लास्टिक सर्जरी से तौबा करने वाली फ़िल्मी हस्तियाँ बड़ी खबरों में शामिल है|
एनी बड़ी खबरों में जो की पेज को नीचे खसकाने पर ही दिखेगी मोदी और केशुभाई का झगड़ा है, मुलायम सिंह को माननीय उच्चतम नयायालय का झटका है, मोदी के काम की दूद से तुलना की खबर है और ममता की कुर्सी खतरे में, इसके साथ ही ब्लेक बेरी फोन का नया चेहरा और विद्या बालन की संगीत समारोह की खबर |
चलिए अन्य बड़ी खबरों में दो खबरे ऐसी है जो देश की वर्तमान परिदृश्य पर कुछ असरकारक है लेकिन फिर भी खबरों की हेडलाइन में सिर्फ क्रिकेट का होना पत्रकारिता और अख़बार दोनों का ही अपमान है | क्रिकेट सिर्फ एक खेल है जिस के जीतने या हारने से देश को रत्ती भर भी नुकसान नहीं होगा सिवाय एक अहंकार के ऊँचा उठने या नीचा जाने के |
भास्कर जैसे अख़बार का ऐसा रवैया ना सिर्फ शर्मनाक है बल्कि सोचनीय भी है की क्या अब भास्कर को हिंदी भाषियों या हिन्द वासियों का अख़बार कहा जाना चाहिए |

Tuesday, December 11, 2012

कंडोम...! खुल के बोल


कुंदन
टिप्पणीकार स्वतंत्र लेखक हैं

टी वी पर पहले ये एक विज्ञापन आता था जाने अब क्यूँ बंद कर दिया है ... लोग तो आज भी कंडोम बोलने में ऐसे डरते हैं जैसे कंडोम ना हुआ शिलाजीत मांग रहे हो ..

मै गाहे बगाहे अब भी मेडिकल शॉप पर बैठता रहता हूँ और देखता हूँ ऐसा नहीं है की सिर्फ अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोग या बुजुर्ग लोग ही इस तरह शर्माते हैं बल्कि पढ़े लिखे और जवान जो की खुद को मोर्डन कहते हैं वो भी कंडोम बोलने में ऐसे शरमाते हैं मानो कंडोम नहीं वियाग्रा मांग रहे हैं|

और लोग जब कंडोम का पैकेट मेडिकल शॉप पर मांगते हैं तो कुछ इस तरह से मांगते हैं.. भैया ५ वाला पैकेट दे दो, कुछ के लिए आज भी कंडोम गुब्बारे ही है , और कुछ के लिए हर कंडोम निरोध है |

कई लोग किसी अनजान दूकान पर अगर कंडोम खरीदने जा रहे हैं तो पहले हर तरफ तस्दीक कर लेना चाहते हैं की कोई और तो नहीं है जो उनको देख रहा है और जब वो पूरी तरह से निश्चिंत हो जाते
हैं की कोई और उन्हें नहीं देख रहा है तब ही खरीदते हैं अन्यथा वापस चले जाते हैं और फिर नतीजा या तो असुरक्षित यौन सम्बन्ध होता है ( असुरक्षित मतलब सिर्फ बीमारी की ही बात नहीं पर पत्नी के लिए भी गर्भ ठहरना शामिल हो सकता है |) या सम्बन्ध होता ही नहीं | और ये दोनों ही बाते काफी खतरनाक होती है |
असुरक्षित संबंधों के सारे नतीजे तो अधिकतर टीवी पर बता ही दिए जाते हैं पर जनसँख्या वृद्धि भी एक  नतीजा और होता है तो भाई अगर खुद की सेहत के लिए ना सही देश के भले के लिए ही खुल कर बोलो कंडोम|

और अगर लम्बे समय तक सम्बन्ध नहीं बन पाते तो इन्सान चिडचिडापन और दूसरी इसी तरह की समस्याओं का शिकार हो जाता है जिसका नतीजा परिवार में आपसी कलह से शुरू हो कर बड़े झगड़ो तक जाता है | कुछ लोगो को इस वजह से दूसरी शारीरिक समस्याएँ जैसे की सर दर्द कमर दर्द और ऐसी ही और तकलीफे भी हो जाती है | (अगर आप को जरा भी शक है तो जाइए किसी भी डॉ से पूँछ लीजिये वो ना नहीं करेगा ) हर समझदार इन्सान जानता है की स्वस्थ शारीरिक सम्बन्ध हर शादी शुदा रिश्ते के सबसे जरूरी पहलूओं में से एक होता है और अगर कोई इस सम्बन्ध से दूर भागता है तो वो अपनी ही शादी को ख़राब करता है जो घर की कलह से ले कर टूटे हुए रिश्ते या फिर रिश्तों में किसी और की उपस्थिति तक जा सकता है तो भाई अगर देश के लिए नहीं तो खुद के लिए खुल कर बोलो कंडोम|

अंत में यही कहूँगा दोस्तों कंडोम बोलने में कोई शर्म नहीं है, अगर आप इसे मांग रहे हैं तो इसका यही मतलब है की आप एक सामान्य इन्सान हैं जिसमे कोई कमी नहीं और जब आप में कोई कमी नहीं है तो ये दुनिया को बताने में कैसी शर्म |

कंडोम...! खुल के और हक़ से बोल न यार

(जिन लोगो को ये लगता है की मैंने बिना किसी आधार के यह सारी बाते लिखी हैं तो उन्हें बता दूं कि मुझे ९ साल मेडिकल स्टोर चलाने का अनुभव है, मानव व्यवहार को काफी नज़दीक से पढ़ा है, लोगो से बात कर के उनकी राय लेने के साथ चिकित्सकों की भी राय ली है बाकी आप विशेषज्ञों की राय लेने के लिए स्वत्रंत है ही |)
यह लेखक के निजी विचार हैं,
ब्लॉग आथर का प्रकाशित सामग्री
से सहमत होना अनिवार्य नहीं है|


Monday, December 10, 2012

भ्रष्ट नेताओं से ज्यादा खतरनाक है भेड़चाल में शामिल जनता

कुंदन
लेखक स्वतंत्र लेखक हैं

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भारत के ६५ साल के इतिहास में शास्त्री जी को छोड़ कर शायद कोई नेता नहीं हुआ, जिस पर कीचड़ के छीटे ना उछले हों चाहे वो वाजपेयी जी जैसे नेता ही क्यूँ ना हो |
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मुझे लगता है आज हमारे देश को जितना खतरा भ्रष्ट नेताओं से है उससे ज्यादा खतरा भेड चाल पर चलने वाले लोगो से है |
मै पिछले कुछ वक्त में हमारे देश के लोगो की राजनैतिक समझ के बारे में जो समझ पाया हूँ वो ये है की हमारे देश में लोग सोच का नहीं इन्सान का विरोध करते हैं वो भी एक पूर्वाग्रह को रख कर और ये पूर्वाग्रह भी कई बार बिना किसी आधार के होता है | वो या तो व्यक्ति या पार्टी का समर्थन करते हैं या विरोध इसके अलावा हर बात उन्हें गलत ही लगती है | 
कांग्रेसी लोगो को मोदी गलत लगते हैं, मोदी भक्तों को कांग्रेस गलत लगती है ...विपक्ष के अनुसार सरकार की हर निति गलत है और उसका विरोध करो और सरकार के लोग पहले किसी को साथ नहीं लेना चाहते लेकिन आम इन्सान को इन बातो से अलग हट कर काम और नीतियों के बारे में सोचना होगा |
लोग ऍफ़ डी आई का विरोध कर रहे हैं इससे क्या नुकसान होगा उस बारे में समझाने के लिए लोगो से कहा जाये तो शायद दो प्रतिशत लोग भी नही समझा पायेंगे पर विरोध करेंगे क्यों की विपक्ष इसके खिलाफ है और वर्तमान सरकार हर मुद्दे पर भ्रष्टाचार के साथ देश के लिए निराशाजनक रही है | पर हमेशा विपक्ष सही हो ये जरूरी है ऐसा नहीं है अगर सरकार के पक्ष को सुना जाये तो वर्तमान नियम देश को फायदा ही पहून्चायेंगे किसानों को भी लेकिन समर्थन या विरोध करने की हालत में भी नहीं हूँ क्यूँ की मै इस बारे में ज्यादा समझ नहीं पाया हूँ अभी तक पर ये समझता हूँ की बेवजह का विरोध नहीं करूंगा ना ही समर्थन दूंगा | सम्भव है की समझने के बाद में मै खुद ऍफ़ डी आई को गाली दूं पर उसकी तारीफ़ भी कर सकता हूँ |
कुछ नीतियाँ जो सरकार ने लागू की और विपक्ष के विरोध के बाद भी मुझे पसंद है उनमे से एक आकाश टेबलेट की योजना या फिर यु आई डी की योजना को रख सकते हैं.. मानता हूँ आज दोनों ही योजनाओं के क्रियान्वयन में देर लग रही है लेकिन शुरुवात होना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है | मनरेगा की योजना देश के लिए बहुत ही अच्छी है मानता हूँ पैसे की हेर फेर हो रही है पर आधार के बाद ये हेर फेर काफी हद तक कम हो सकती है | ये वो योजनाये हैं जिसके लिए सरकार की पीठ थप थपाई जानी चाहिए बिना विपक्ष की बात सुने लेकिन तब जब आप इन योजनाओं को समझ कर इनके फायदे खुद समझ ले अगर लगे की ये योजनाये गलत है तो बे झिझक गाली दीजिये लेकिन बिना समझे विपक्ष की हाँ में हाँ नहीं मिलाइये |
ये तो सरकारों की बाते अब उन लोगो के लिए कहूं जो मोदी के खिलाफ होते हैं तो उनके लिए भी वही कहूँगा इन्सान के लिए नहीं उसकी नीतियों और कामो के बारे में राय बनाइए ... अगर अग्रेजी में कहूं तो कहूँगा dont be judgementl पहले उनके कामो को देखिये, उन लोगो से समझिये जो उनके प्रदेश में है और फिर अपनी राय बनाइये अखबार भरोसे के लायक कम ही बचे हैं |
जो सिब्बल के खिलाफ खड़े हैं वो समझ ले की सिब्बल को मै हमेशा कुटिल सिब्बल कहता हूँ लेकिन इसका ये मतलब नहीं की सिब्बल की कही हर बात का विरोध कर्रूँ बिना सुने और सोचे समझे उनकी कही हर बात को सिरे से नकार दूं आकाश अगर देश के युवाओं को मिलने वाला है तो उसका एक बड़ा कारण सिब्बल ही हैं |
ऐसा ही हर नेता के साथ हो सकता है भारत के ६५ साल के इतिहास में शाश्त्री जी को छोड़ कर शायद कोई नेता नहीं हुआ जिस पर कीचड़ के छीटे ना उछले हों चाहे वो वाजपेयी जी जैसे नेता ही क्यूँ ना हो |
सभी से यही निवेदन है की अपनी राय नेताओं के कामो के आधार पर बनाइये अपनी पसंदीदा पार्टी के चुनाव प्रपत्र या अपनी पसंदीदा पार्टी के वक्ता के आधार पर नहीं |

यह लेखक के निजी विचार हैं,
ब्लॉग आथर का प्रकाशित सामग्री
से सहमत होना अनिवार्य नहीं है|

Friday, December 7, 2012

कांग्रेस किस काम की? जो मोदी को सजा नही दिला पाई

कुंदन
मै खुद को राजनैतिक दलों का समर्थक नहीं समझता लेकिन हर राजनैतिक दल की अच्छी बातो को जरूर देखता हूँ और उन अच्छी बातों का समर्थन जरूर करता हूँ ...किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन या खिलाफत भी नहीं करता मै लेकिन वर्तमान व्यवस्था में नरेंद्र मोदी जिस तरह से कांग्रेस को जवाब दे रहे हैं वो काबिले तारीफ है ...और उनके जवाबों में सिर्फ थोथी बाते नहीं ठोस तर्क है आधार है जो की उन्हें अन्य नेताओं से बहुत आगे ले जाते हैं ...

उम्मीद करता हूँ की वो जल्द से जल्द देश के प्रधानमन्त्री बने ... जिन्हें मेरी इस चाहत से शिकायत है अपना मुह सिर्फ तर्कों और सबूतों के आधार पर खोले ....

और जो महानुभव गोधरा की बात कर रहे हैं वो पिछले दस सालो के ७ सुखों, और भूकम्प की बात भी करे और उनके आंकड़े भी जरूर रखे की कौन सूखो में भूख से मरा कितने किसानो ने आत्महत्या करी और कीने मुस्लिम भाइयों को बेवजह जेल में डाला गया है गुजरात में उसके बाद के या पहले के सालो में 

और जो फिर भी गोधरा दंगो की बात कर रहे हैं उनके लिए यही कहूँगा 

सरकारे तुम्हारी, अदालत तुम्हारी, मुंसिफ भी तुम्हारा है |
सजा दो या बरी करो कहा जोर चलता हमारा है |

अगर मोदी अपराधी है तो दस सालो में कांग्रेस उन्हें सजा नहीं दिलवा पाई तो किस काम की ऐसी पार्टी


कुंदन के फेसबुक वाल से साभार

'पता होता.....तो मैं मुसलमान न बनती'


ईसाई पिता और यहूदी मां की बेटी रेचल साराह लूई ने 15 साल की उम्र में इस्लाम धर्म अपना लिया. लेकिन एक नए मुसलमान का ये रास्ता उनके लिए बहुत मुश्किल निकला.
इसलिए नहीं कि उनका अपना परिवार इस फैसले से नाखुश था, बल्कि इसलिए क्योंकि जिस धर्म से वो जुड़ीं, उसी के लोगों ने उन्हें नहीं अपनाया.
एक मुसलमान की तरह जीते हुए अब 15 साल गुज़र चुके हैं. रेचल पीछे मुड़कर देखती हैं तो कहती हैं, ''अगर मैं इस्लाम पर किताबें पढ़ने से पहले समुदाय के लोगों से मिली होती तो कभी मुसलमान ना बनती. आखिर इतनी कड़वाहट के बीच कोई क्यों रहना चाहेगा.''
इस बात में गहरा दुख और हताशा दोनों ही छुपी थीं. मैंने टटोला तो रेचल ने कई बातें बताईं. एक पाकिस्तानी मुस्लिम परिवार में जब रेचल की शादी की बात चली, तो रिश्ता ठुकराते हुए उन्होंने कहा कि रेचल उनके जैसी मुसलमान नहीं है.
कई साल बाद रेचल ने अपने जैसे एक 'नए मुसलमान' (जिसने इस्लाम अपनाया हो) से शादी की और अब उनकी 6 साल की बेटी है. लेकिन रेचल के मुताबिक उनके पति ही नहीं उनकी बेटी को भी मुसलमान परिवारों के भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ''मेरी बेटी आइशा ये सबकुछ बहुत चुपचाप झेल लेती है. एक बार उसे एक मुसलमान परिवार ने कहा कि वो उनके बच्चों के साथ नहीं खेल सकती, तो उसने कहा कोई बात नहीं, और चली आई. जबकि नए मुसलमान परिवारों के साथ वो बड़े प्यार से घुलमिल जाती है.''
रेचल कहती हैं कि अब वो ऐसे परिवारों से ही ज़्यादा मेलजोल रखते हैं.

ब्रिटेन में बढ़ते ‘नए मुसलमान’

ब्रिटेन में ईसाई धर्म के बाद सबसे ज़्यादा लोग इस्लाम को मानते हैं, और ये धर्म ब्रिटेन में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि हर साल हज़ारों लोग अपना धर्म छोड़कर, इस्लाम को क़बूल रहे हैं.
ब्रिटेन स्थित एक गैर सरकारी संस्था, 'फेथ मैटर्स' के सर्वे के मुताबिक वर्ष 2010 तक ब्रिटेन में 1 लाख लोगों ने अपना धर्म छोड़ इस्लाम को अपनाया. सर्वे ने पाया कि वर्ष 2010 में ही 5,000 से ज़्यादा लोग मुसलमान बने.
नए मुसलमानों ने अब अपने संगठन बनाए हैं, ताकि एक-दूसरे को सहारा देकर एक समुदाय का हिस्सा होने का अहसास मिले.
वहीं मस्जिदों में नए मुसलमानों को पैदाइश से मुसलमान रहे लोगों के साथ जोड़ने के लिए खास आयोजन किए जा रहे हैं.
मैनचेस्टर की डिड्सबरी मस्जिद में ऐसे कार्यक्रमों की देखरेख करनेवाले डॉक्टर हसन अलकतीब मुसलमानों के बीच किसी तरह के भेदभाव को नकारते हुए कहते हैं कि इस्लाम तो ऐसा धर्म है जो सबको साथ लेकर चलता है.
डॉ. अलकतीब के मुताबिक, ''इस्लाम में हमें अपने मज़हब के बारे में जानकारी फैलाने के लिए कहा जाता है. एक इंसान को इस्लाम में लाना दुनियाभर की जायदाद पाने से बेहतर है, जबकि इसमें हमें कोई निजी फ़ायदा नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी और काम बढ़ जाता है.''
हालांकि वो ये मानते हैं कि नए मुसलमानों को इस्लाम की बारीकियां समझने में और पैदाइश से मुसलमानों को इन नए लोगों को अपनाने में समय लगता है और इसके लिए मस्जिदों को मेलजोल बढ़ाने के और आयोजन करने चाहिए.

नस्ली भेदभाव की जड़

रेचल का अनुभव इकलौता नहीं है. लिवरपूल युनिवर्सिटी में पढ़ा रहे डॉक्टर लिओन मुसावी खुद एक मुसलमान हैं. अपने रिसर्च में उन्होंने कई नए मुसलमानों के अनुभवों के बारे में लिखा है.
डॉक्टर मुसावी बताते हैं, ''कई नए मुसलमानों ने मुझे बताया कि मस्जिदों और कम्यूनिटी सेंटर्स में उनका आना पसंद नहीं किया जाता. उनके साथ नस्ली भेदभाव किया जाता है. कभी तंज़ कस कर, कभी पत्थर फेंक कर, और कभी तो नौबत मार पीट तक आ जाती है. जबकि इस्लाम ऐसे भेदभाव को एकदम ग़लत बताता है.''
पैदाइश से मुसलमान लोगों के द्वारा ना स्वीकार किए जाने की बात 'फेथ मैटर्स' के सर्वे में भी उभर कर आती है.
नए मुसलमानों का कहना है कि इस्लाम अपनाने के बाद वे इस मजहब के उसूलों को तो मानने लगते हैं, मगर उनकी ज़िंदगी जीने के तरीक़े पैदाइशी मुसलमानों से अलग ही रहते हैं- चाहे वो खान-पान हो, रहन सहन हो या पारिवारिक रिश्ते निभाने के तरीके.
जानकारों के मुताबिक नए मुसलमानों के इस अलग ढंग की वजह से ही कुछ पैदाइशी मुसलमान उन पर पक्का मुसलमान न होने का ठप्पा लगा देते हैं.
एक ही धर्म को मानने वाले लोगों में पैदा हुई ये खाई पाटने में संगठित कोशिशें सहायक हो सकती हैं लेकिन ये तब तक कारगर नहीं होंगी जब तक निजी स्तर पर पैदाइश से मुसलमान रहे लोगों के मन में नए मुसलमानों के लिए जगह बन जाए.

दिव्या आर्य
साभार-बीबीसी
दिव्या आर्य
बीबीसी संवाददाता, लंदन



Wednesday, December 5, 2012

नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना धोखा: सिंघल


नई दिल्ली/काठमांडू: नेपाल एकमेव हिन्दूराष्ट्र के रूप में पहचाना जाता रहा है। नवीन जनगणना के अनुसार देश की 81 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है और ओंकार परिवार सहित 94 प्रतिशत होने के बाद भी नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना, नेपाली समाज के साथ धोखा ही नहीं षड्यंत्र भी है।
                धर्मनिरपेक्षता की आड़ में धर्मान्तरण के कानून की खुली अवहेलना करते हुए चर्च के माध्यम से धर्मान्तरण हो रहा है। भारी मात्रा में अमेरिका व यूरोप से इस कार्य के लिए धन आ रहा है। इसमें अन्तरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (आई. एन. जी. ओ.) सहयोग कर रहे हैं।
                सरकार धर्मान्तरण के कानून को और कठोर बनाए तथा लागू भी करे तो सामूहिक धर्मान्तरण रोका जा सकता है। बंगलादेशी मुसलमानों की भारी मात्रा में घुसपैठ हो रही है। असम क्षेत्र में बंगलादेशी मुसलमानों के द्वारा जो हमले हो रहे हैं उसके कारण बोडो क्षेत्र के हिन्दुओं को घर छोड़ने के लिए बाध्य किया जा रहा है। वे शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। नेपाल में भी यदि इसको रोकने के लिए कानून नहीं बनाया गया तो यहाँ भी यही स्थिति पैदा होगी। इसलिए सरकार को बंगलादेशी मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए तथा देश में अवैध रूप से घुसे हुए बंगलादेशी मुसलमानों को खोजकर बाहर करना चाहिए। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही यह सब हो रहा है।
                गोरक्षा का कानून नेपाल में है किन्तु उसकी पूरी तरह से अवहेलना हो रही है जिसके कारण हजारों की संख्या में गोधन बंगलादेश जा रहा है। देश में भी अवैध रूप से जगह-जगह पर गोवध हो रहा है तथा होटलों में भी गोमांस का खुलकर प्रयोग किया जा रहा है। इसको रोकने के लिए नेपाल सरकार को कड़े कानून बनाने एवं लागू करने की जरूरत है।
                धर्म विरोधी तत्वों द्वारा वेद अध्ययन के 300 विद्यालय जो नेपाल की हिन्दू जनता ने भिक्षा दान के आधार पर संचालित किए थे, बन्द करवा दिए गए जिसके कारण हमारे मन्दिरों के लिए पुजारी एवं पौरोहित्य कार्य के लिए योग्य कर्मकाण्डी पंडितों का अभाव होता जा रहा है। यह हिन्दू धर्म, हिन्दू समाज एवं हिन्दू संस्कृति पर बहुत बड़ा सीधा प्रहार है। समाज को वेद विद्यालयों का संचालन, संरक्षण करते हुए इस कार्य को पूरा करना चाहिए। पहले माध्यमिक शिक्षा तक संस्कृत एक अनिवार्य विषय के रूप में था परन्तु धर्मनिरपेक्षता की आड़ में सरकार ने इस विषय को पाठ्यक्रम से हटा दिया है। हिन्दू जनता इन सब षड्यंत्रों से सावधान रहे।
                ये समस्त कार्य धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही किए जा रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए सन्नद्ध है। हिन्दू जनता से परिषद की अपील है कि वह संगठित होकर नेपाल राष्ट्र की हिन्दू पहचान को प्रस्थापित करने के लिए परिषद के साथ सक्रिय हों।

Saturday, December 1, 2012

उस्ताद आखिर उस्ताद ही होता है


पुष्कर पुष्प की बैंड ...

उस्ताद आखिर उस्ताद होता है  

एक पत्रकार हैं पुष्कर पुष्प.. जोकि एक वेबसाइट चलाते हैं! जोकि कल तक सुधीर/समीर प्रकरण समेत सभी मीडिया जनित मुद्दों पर सवाल उठाने के साथ ही पुण्य प्रसून जैसे वरिष्ठ पत्रकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे, आज स्वयं किसी बात का जवाब न दे पाए.. जब अपनी बारी आई तो जनाब लगभग मुंह काला करने वाले अंदाज़ में ब्लाक कर खिसकते बने .. लीजिए प्रस्तुत है उनकी भद्द पिटने सहित ब्लाक कथा का कुछ अंश : 

आजकल अपने गुरु अजीत-अंजुम जी का जबरदस्त तरीके से बचाव(चाहे इसके लिए हाथापाई/धमकीबाजी ही क्यों न करनी पड़े) कर रहे हैं या यह कहें कि वो अपनी गुरुदक्षिणा दे रहे है तो गलत नही होगा! आज अजीत-अंजुम जी के लिए पूछे गए सवालों पर जबरदस्ती आकर यशवंत सिंह से भीड़ गए, जब वहां भद्द पिटी तो अपने स्टेटस पर बकबक करने लगे.. कभी प्यार-गुस्से की बात तो कभी तिहाड़ में देखने की बाते भी जनाब ने की.. जब मैंने इस विषय पर उन्हें कड़ा जवाब दिया तो जनाब बौखला गए.. जब अंतिम समय में और भी ज्यादा भद्द पिटने की नौबत आई तो ब्लाक करके खिसकते बने.. (अभीतक दूसरों समीर/सुधीर के मामले में कूदकर मजा ले रहे पुष्कर स्वयं ही किसी अन्य को अपनी बातचीत में शामिल होने से रोक दिया.. और वह भी इतने गंदे शब्दों में ..! और फिर बेबस होकर मुझे ब्लाक करके चलते बने..!)प्रिंट स्क्रीन इसीलिए लेकर रखा, क्योंकि उनकी मनोदशा का अंदाज़ा पहले ही चल चुका था..! लेकिन उन्हें कैसे समझाया जाए? कि उस्ताद आखिर उस्ताद ही होता है ..!

कथा को देख आप भी मज़ा उठाएं ..!और जाने पुष्कर पुष्प जैसे कथित सीदे-सादे, सफेदपोश-चेलेनुमा पत्रकार की भद्द कैसे पिटी..! आप एक-एक फोटो देखते जाइए, आपका दिल उन बेचारे की मनोदशा खुद ब खुद अंदाज़ा लगा लेगा...


वैसे मुझे ब्लाक करने के बाद कि अब भद्द पिट ही गई है तो उन्होंने अपने कमेन्ट का एडिटेड वर्जन डाला.. 



Pushkar Pushp यहाँ यशवंत कहाँ आ गए . और मेरे और यशवंत जी के बीच सवाल पूछने वाला तीसरा कौन आ गए. बेहतर होगा कि कहीं के तार कहीं से न जोड़े. यशवंत और पुष्कर एक दूसरे को पांच साल जानते हैं और उन्हें आपस में कुछ समझना - समझाना होगा तो समझा ले. कृपया जबरन कोई पंचैती न करे. यह दो हमपेशा लोगों के बीच की बात है और आपस मे क्या हम बात कर रहे है इसका स्पष्टीकरण जरूरी नहीं. वैसे तिहाड़ वाली हास - परिहास की है. आप दिल पर क्यों लेते हैं. चिल्ल...

अब सवाल यह उठता है कि उन्होंने यह एडिटेड वर्जन क्यों डाला? क्या वह यशवंत से डर गए या मेरे जवाबों से? अगर मेरे जवाबो से डर गए तो कोई बात नहीं .. लेकिन अगर यशवंत से डरकर एडिट किया तो मुझे किस डर की वजह से ब्लाक किया? स्पष्टीकरण जरुरी है..आखिर अपना अपराध भी तो जानने का हक है न? एक तरफ दिल पे न लेने की बात कहते हैं ब्लाक करने के बाद वहीँ दूसरी तरफ ब्लाक भी कर देते हैं.. वाह ..क्या खूब अंदाज़ है जनाब का !

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