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Sunday, December 23, 2012

कुछ प्रश्न-एक अपील, कृपया पुलिस को पशु न समझें, वह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं

Om Prakash 'NAMAN'
' आज दिल्ली में पिछले दिनों एक मेडिकल छात्रा पर चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार और महिला उत्पीडन के के खिलाफ राज-पथ, और अमर जवान ज्योति के पास हो रहे आन्दोलन ने कुछ प्रश्न उपस्थित किये है ...कुछ लोगों का कहना है की राज नेताओं , विशेषकर सोनिया गाँधी, प्रधान मंत्री , राहुल गाँधी और शीला दीक्षित जैसे नेताओं ने आन्दोलन कर्ताओं से मिल कर उन्हें आश्वासित करना चाहिए ..
मेरा सवाल है आप सबसे.....!
1- केन्द्रीय नेताओं ने सार्वजानिक रूप से पिछले दिनों न केवल लोक सभा में बल्कि समाचार माध्यमो के द्वारा देश की जनता को इस विषय में न केवल आश्वासन दिए बल्कि उन्हें पूर्ण करने की दिशा में आवश्यक कदम भी उठायें हैं। (अ)... पुलिस ने रिकार्ड समय में सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें अदालत में पेश किया गया है। (ब).. दिल्ली में 6 फ़ास्ट कोर्ट बनाने का आश्वासन दिल्ली की मुख्यमंत्री ने दिया है। (क )... दिल्ली और पुरे देश में बसों और अन्य वाहनों के शीशों की काली फिल्मे और परदे उतारे जा रहे है।

2- अगर ऊपर कहे गए राज -नेता आन्दोलन कारियों से मिलने राज-पथ पर आते तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी क्या ये आन्दोलनकर्ता लेते?

3- अगर इन नेताओं को जो जो आंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की हिट लिस्ट में हैं कोई जान लेवा हमला हो जाये या उनके साथ धक्का मुक्की और अशोभनीय व्यवहार हो तो उसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?

4- ए आन्दोलनकर्ता जो अपने सहयोगियों को सार्वजनिक संपत्ति का नुक्सान करने से नहीं रोक पा रहे है, जो उन्हें पुलिस की गाड़ियों की तोड़फोड़ से नहीं रोक पा रहे हैं, महिला पुलिस कर्मियों के साथ बदतमीजी से नहीं रोक पा रहे है क्या ये आश्वासन दे सकते हैं की उपरोक्त राज नेता वहां आकर सुरक्षित रहेंगे?

***** इन आन्दोलनकर्ताओ से प्रश्न ?

1- क्या आप लोगो की ही उपस्थिति में दिल्ली की बसों में महिलाओ के साथ छेड़ छाड़ नहीं होती?

2- क्या आप लोगों में से ही अनेक युवक खुद महिलाओं के साथ बसों, ट्रेनों और सार्वजनिक स्थानों पर छेड़ छाड़ के दोषी नहीं है?

3- क्या आप में से ही अनेक युवक रातों को शराब पीकर गाडी चलाने और होटलों और पबो में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार के दोषी नहीं हैं?

***** समाचार माध्यमो के प्रतिनिधियों से मेरा प्रश्न-----

1- आप पुलिस के लाठी चार्ज की इक्का दुक्का घटनाओं को बार बार दिखाते हैं , खूब दिखाइए पर क्या आप कभी इन आन्दोलनो के दौरान महिला पुलिस कर्मियों के साथ जो शारीरिक छेड़- छाड , अशोभनीय वर्तन और गाली गलौज होता है उसे भी देख पाते हैं या दिखाते हैं।

2- क्या मीडिया कभी पुलिस कर्मियों पर आन्दोलनकर्ताओ द्वारा किये गये हमलो को, उन्हें जो माँ -बहन की गालियाँ दी जाती है उसे कवर करता है।

कृपया पुलिस को पशु न समझें .... वे भी मनुष्य है अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।...नमन
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