नई दिल्ली/काठमांडू: नेपाल एकमेव हिन्दूराष्ट्र के रूप में पहचाना जाता रहा
है। नवीन जनगणना के अनुसार देश की 81 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है और ओंकार परिवार सहित 94 प्रतिशत होने के बाद भी
नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना, नेपाली समाज के साथ धोखा ही नहीं
षड्यंत्र भी है।
धर्मनिरपेक्षता की आड़
में धर्मान्तरण के कानून की खुली अवहेलना करते हुए चर्च के माध्यम से धर्मान्तरण
हो रहा है। भारी मात्रा में अमेरिका व यूरोप से इस कार्य के लिए धन आ रहा है।
इसमें अन्तरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (आई. एन. जी. ओ.) सहयोग कर रहे हैं।
सरकार धर्मान्तरण के
कानून को और कठोर बनाए तथा लागू भी करे तो सामूहिक धर्मान्तरण रोका जा सकता है। बंगलादेशी
मुसलमानों की भारी मात्रा में घुसपैठ हो रही है। असम क्षेत्र में बंगलादेशी
मुसलमानों के द्वारा जो हमले हो रहे हैं उसके कारण बोडो क्षेत्र के हिन्दुओं को घर
छोड़ने के लिए बाध्य किया जा रहा है। वे शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। नेपाल में भी
यदि इसको रोकने के लिए कानून नहीं बनाया गया तो यहाँ भी यही स्थिति पैदा होगी।
इसलिए सरकार को बंगलादेशी मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए तथा देश में
अवैध रूप से घुसे हुए बंगलादेशी मुसलमानों को खोजकर बाहर करना चाहिए।
धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही यह सब हो रहा है।
गोरक्षा का कानून नेपाल
में है किन्तु उसकी पूरी तरह से अवहेलना हो रही है जिसके कारण हजारों की संख्या
में गोधन बंगलादेश जा रहा है। देश में भी अवैध रूप से जगह-जगह पर गोवध हो रहा है
तथा होटलों में भी गोमांस का खुलकर प्रयोग किया जा रहा है। इसको रोकने के लिए
नेपाल सरकार को कड़े कानून बनाने एवं लागू करने की जरूरत है।
धर्म विरोधी तत्वों
द्वारा वेद अध्ययन के 300 विद्यालय जो नेपाल की हिन्दू जनता ने भिक्षा दान के आधार
पर संचालित किए थे, बन्द करवा दिए गए जिसके कारण हमारे मन्दिरों के लिए पुजारी एवं पौरोहित्य
कार्य के लिए योग्य कर्मकाण्डी पंडितों का अभाव होता जा रहा है। यह हिन्दू धर्म,
हिन्दू समाज एवं
हिन्दू संस्कृति पर बहुत बड़ा सीधा प्रहार है। समाज को वेद विद्यालयों का संचालन,
संरक्षण करते हुए
इस कार्य को पूरा करना चाहिए। पहले माध्यमिक शिक्षा तक संस्कृत एक अनिवार्य विषय
के रूप में था परन्तु धर्मनिरपेक्षता की आड़ में सरकार ने इस विषय को पाठ्यक्रम से
हटा दिया है। हिन्दू जनता इन सब षड्यंत्रों से सावधान रहे।
ये समस्त कार्य
धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही किए जा रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद हिन्दू धर्म एवं
संस्कृति की रक्षा के लिए सन्नद्ध है। हिन्दू जनता से परिषद की अपील है कि वह
संगठित होकर नेपाल राष्ट्र की हिन्दू पहचान को प्रस्थापित करने के लिए परिषद के
साथ सक्रिय हों।
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