यह जो कुछ हुआ बेहद चौकाने वाला है ... अगर दो लड़के आपस में किसी बात पर गुस्सा होकर लड़ लिए तो यह बड़ी बात नहीं....लेकिन अगर कोई अधिकारी रंक का आदमी ऐसी बदतमीजी करता है तो वह बहुत पूरी बात है .. मै होता इतना सब करने के बाद शायद उसे नहीं छोड़ता..लेकिन सुरक्षित भविष्य की खातिर इस अपमान को तुम लोग बर्दास्त कर गए... बच्चों के बीच में उन्हें नहीं आना था.. और अगर आ ही गए थे तो इतनी बदतमीजी और बद्द्जुबानी उन्हें नहीं करना चाहिए था.. उन्होंने पूरी तरह से अपने रौब और वर्दी का इस्तेमाल कानून के खिलाफ धमकाने और घटियापन में आकार किया.. शायद उन्हें बड़े बाप के बड़े लड़के का दवाब भी रहा.. लेकिन अगर ऐसे ही दवाब में आकार यह काम करते रहे तो देश का क्या होगा? आज यह बच्चों को ऐसे धमका रहे कल इनके बच्चों को कोई धमकाएगा(हालांकि सारे लोग इतने बदजुबान नहीं होते ) .. तो मरने कटने की नौबत आ जाती ... अगर आप लोग नहीं बोले तो शायद उसमे दूसरा भी कोई पहलू रहा होगा जो शायद मै नहीं जानता ...लेकिन अब ऐसे में तो यही कहूँगा.. कि अगर यह बिहार का सुशासन है तो इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता...
Saturday, June 18, 2011
abhishek anand: सुशासन का एडीएम मेरा गला दबाता है, रूम बंद करता है, और दिवार से टकराता है: क्योंकि मैंने सच बताया
abhishek anand: सुशासन का एडीएम मेरा गला दबाता है, रूम बंद करता है, और दिवार से टकराता है: क्योंकि मैंने सच बताया
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