120 करोड़ लोगों को बेवकूफ बना रहे राजनीतिक दल से एक भारतीय का सवाल। बाबा-अन्ना यदि स्वघोषित जन-प्रतिनिधि है तो महात्मा गाँधी और अन्य राष्ट्रभक्त क्या थे? उन्होंने किस आधार पर देश की जनता का प्रतिनिधित्व किया ? कांग्रेस कहती है कि देश को काले धन और भ्रष्टाचार से खतरा ही नहीं है बल्कि बाबा और अन्ना से है। क्या कहेंगे आप? उन्होंने तो बाबा और अन्ना हजारे जी को स्वघोषित तानाशाह तक की पदवी दे डाली ... बाबा और अन्ना जी अगर देश की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं तो कांग्रेस को बहुत बुरा लगता है वह उन्हें तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताने में लग जाती है .. वह जनता से यानी हमसे सवाल करती है कि बाबा जी आपका प्रतिनिधित्व कैसे कर सकते हैं ??? उनको तो काले धन रखने का अधिकार भी आपने नहीं दिया न ही उन्हें आपने प्रतिनिधि बनाया है तो वह किस हक से जनता का प्रतिनिधि होने का दावा जताकर लोकपाल बिल के लिए सत्याग्रह करते हैं ?? कांग्रेस के बडबोले महासचिव ने तो यहां तक कह दिया कि बाबा को कुछ भी बोलने का हक नहीं है.. अगर बोलना ही है तो चुनाव लड़कर आये और फिर बोले...वे किस अधिकार से यह सब कर रहे हैं।
श्रवण शुक्ल SHRAVAN KUMAR SHUKLA |
कांग्रेस पार्टी अगर भ्रष्टाचार पर इतना ही गंभीर है तो उसे स्वयं पहल करके जल्द से जल्द कानून बनवाना चाहिए .. न कि जनता को आन्दोलन करने को विवश करना चाहिए???
कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि चुनाव लड़ने से पहले उनके जो नेता अपनी संपत्ति एक लाख रुपये दर्शाते हैं तो दुसरे चुनाव में उसका कई गुना दिखाते हैं। यह इतनी संपत्ति कहाँ से आई इसकी जांच क्यों नहीं कराती? क्या जनता ने उन्हें चुनकर , अपना प्रतिनिधि बनाकर स्वयं को खोखला करने के लिए भेजा है ? अब कांग्रेस सरकार से एक ही जवाब चाहिए.... अगर अन्ना और बाबा जनता द्वारा बिना चुने जनता का प्रतिनिधित्व करने कि हैसियत नहीं रखते तो यह हैसियत किस आधार पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को मिला था? उन्हें उनकी किस हैसियत पर राष्ट्रपिता का दर्ज़ा दिया गया? अब जबकि जनता जाग चुकी है तो उसे बरगलाने का प्रयत्न न किया जाए।
मै पूछना चाहता हूँ कि जब अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जनता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते क्योकि यह संविधान के खिलाफ है तो बाकी राष्ट्रभक्तों ने किस आधार पर ऐसा किया था ? आखिर कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झाकना चाहिए साथ ही खुद के मुह पर थूकने की आदत छोडनी चाहिए।
इस हाल में आप जनता का सवाल यही है कि यदि अन्ना हज़ारे या बाबा रामदेव जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं तो फिर क्या कांग्रेस ये जवाब दे सकती है कि स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयों का नेतृत्व करने के लिए महात्मा गांधी का चयन किस चुनाव में हुआ था और किसने वोट किया था? जवाब चाहिए....
26 comments:
इस सवाल का ज़वाब तो सियासी दल से न मांगा जावे. यह एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है जिसे आम जनता को ही हल करना है.
अगर आज यह सवाल दिग्विजय सिंह जैसा अपने आकाओं का विरुदावली गाने वाला चारण उठा सकता है ,तो एक नहीं कम से कम दो प्रश्न सामने आ जाते हैं .पहला प्रश्न तो लेखक ने स्वयं उठाया की इस मापदंड पर तो आजादी की लड़ाई लड़ने वाला कोई भी नेता या साधारण स्वतंत्रता सैनिक जनता का प्रतिनिधित्व का दावा नहीं कर सकता था.दिग्विजय सिंह तो कह देंगे की यह सही है,क्योंकि उनके पूर्वज तो शायद उस संग्राम में भी अंग्रेजों का साथ दे रहे थे..दूसरा प्रश्न उससे ज्यादा सामयिक है,वह यह है की क्या जनता ने गलती से किसी को एक बार प्रतिनिधि चुन लिया तो क्या उनकी उनकी पांच वर्षों के लिए गुलाम हो गयी?दिग्विजय सिंह जैसे लोगों को मेरी यही सलाह है की प्रजातंत्र के मूल सिद्धांत को पढ़े और समझे.पांच वर्षों के लिए चुने जाने पर भी जन प्रतिनिधि वास्तव में जनता का गुलाम ही होता और जनता का यह पूर्ण अधिकार है की उसके द्वारा किये गये किसी भी मनमानी के विरुद्ध वह आवाज उठा सकती है और उस मामले में किसी को भी जो जनता की आवाज में अपनी आवाज मिला सकता है ,जनता केलिए आवाज उठाने का अधिकार है.दिग्विजय सिंह जैसा चारण यह क्यों भूल जाता है की यह उनका या उनके आकाओं का पैत्रिक साम्राज्य नहीं है.जो भी आज शासन कर रहा है उसके विरुद्ध आवाज उठाने और उसको किसी भी भ्रष्ट या नीच कार्य के लिए उत्तरदाई ठहरा कर उसको हटाने का भी अधिकार जनता को है.ऐसे दिग्विजय सिंह जैसे चारणों के लिए तो इंडिया बनाम भारत गांधी परिवार की पैत्रिक सम्पति है और उनका आचरण दिखाता है की इससे अधिक न वे सोचतें हैं न सोचने की आवश्यकता महसूस करते हैं.
ये प्रश्न ऐसे हैं जिनका जवाब उचित समय पर जनता देगी. पागल कुत्तों का इलाज़ नहीं किया जाता, उन्हें गोली मार दी जाती है.
आपके प्रश्न वाजिब है इनका दिग्गी शायद ही ढंग से जबाब दे
pratinidhitva ka adhikar to her deshvasi ko hai ...yadi use desh ki chinta hai ...yah meri raye hai...jise kisi way mein samane rakkhi ja sakti hai ..
we are civilians..........we hv right to protest lawfully....noany way is better thn anshan .as our constitution we hv copied all aspects of british....thn we shuld also see tht .....in britain we can easily found people protesting in frnt of parliament and other govt offices ,,,till now there has been no any incident lik 4 june at britain...police was sent to mak stampede...may be ramdev is wrong ..may be he fraud...but his demand fr wht he has assaulted was right..ramdev talks about bharat nt india...hm bhartiya h indian nhi...agr koi aadmi desh k hit m btkre to usse pcho ki tere ko kya haq h....usp ilzam lagao ye fraud h uski income tax jaanch kro...its nt democracy we wnt democracy...cngress khud nhi jayegi to hum(jnta ) utaregi..
Congress party yeah galat fehmi palle baithi hai ki veh log iss desh ke thekadar hain aur jo chaheinge vahi hoga. Pichle 60 saal bhi inn logon ko kam pad gaye hain iss desh ko loot kar khane mein isliye yeah abhi aur samay mang rahe hain, Anna aur Ramdev ki maangon ko naa mankar.
we are civilians..........we hv right to protest lawfully....noany way is better thn anshan .as our constitution we hv copied all aspects of british....thn we shuld also see tht .....in britain we can easily found people protesting in frnt of parliament and other govt offices ,,,till now there has been no any incident lik 4 june at britain...police was sent to mak stampede...may be ramdev is wrong ..may be he fraud...but his demand fr wht he has assaulted was right..ramdev talks about bharat nt india...hm bhartiya h indian nhi...agr koi aadmi desh k hit m btkre to usse pcho ki tere ko kya haq h....usp ilzam lagao ye fraud h uski income tax jaanch kro...its nt democracy we wnt democracy...cngress khud nhi jayegi to hum(jnta ) utaregi..
दिग्विजय सिंह के नाम का मतलब है दुनिया को जीतने वाला पर इस दुनिया का क्या बाजु में खड़े इसन का दिल भी नहीं जीत सकता, रही बात चापलूसी की तो उसमें उसको महारथ हासिल है, ये कांग्रेस का कबाड़ है ---अमित द्विवेदी -जबपुर
Shravan,
Please note that `99% of news is paid news`
M.K.Gandhi was highlighted by British for their own interest. Gandhi received funds from businessmen on prompting of British and British also made sure the media highlighted Gandhi. This they did because Gandhi created a program which kept activists busy with time-pass activities and stopped them from becoming Bhagat, Udham, Dhingara, Subhash and thus helped the British.Also, we did not get independence due to Charka-spinning of Gandhi but due to Navy revolt (Google for Navy revolt).Also, in 1930s , Gandhi in Lahore adhiveshan demanded Right to bear weapons along with other congress members like Patel, Nehru. But like Netas , they broke their promise. In my opinion, Gandhi was worse than a dictator.
congress to 60 puarani chor hai.
chor ko sabhi chor dikhate hain.
App k Sawal ka javab Janta chunav m degi.
Best Of Luck For Interview Deggi Ke Hosh Uda Dena
श्रवण मेरे शब्दों को समझने का प्रयास करना....
पहले असली शत्रु को पहचानो, ये सम्पूर्ण भारतीय जनमानस की समस्या है की वो राजनीति को असली परतों को समझने का प्रयास नहीं कर पाते l
CONgress से कोई भी नेता यदि कुछ करता है, जिस पर बवाल हो या कोई अनर्गल बयान, किसी घोटाले से सम्बन्धित विषय ज्वलनशील बन गया हो या कुछ भी ऐसा जो CONgress पर भारी पड़ने लगता है ... उसी समय DOGvijay नामक एक जयचंद-मानसिंह खून से पैदा हुई एक विकृति आती है जो एक बे- सिर पैर का बयान देकर इधर उधर हो जाता है .... और मीडिया तथा अन्य साधनों द्वारा केवल उसी को मुख्य बना दिया जाता है l
हम यह भूल जाते हैं की असली समस्या क्या थी ?
चक्रव्यूह का जब निर्माण हुआ था तो पांडव केवल चक्रव्यूह के बाहर ही घूमते रहे.... केवल अभिमन्यु ही अन्दर पहुँच सका ... अभिमन्यु बनो .. अन्दर घुसो
वो मत देखो जो दिखाया जा रहा है ... वो देखने, समझने और खोजने का प्रयास करो जो छुपाया जा रहा है l
उस पर कार्य करो, सबको जागरूक करो, ये सनातन संस्कृति है जो यदि संगठित होकर लड़े तो आज तक कोई परस्त नहीं कर पाया है, सबके अन्दर इतना उद्वेलन भर दो की सबके उद्वेलन मिल कर एक ऐसे चक्रवात का रूप धारण करें की समस्त जयचंदों के साथ मुहम्मद गौरी, गजनवी आदि का भी .... राम नाम सत्य हो जाए l
जय श्री परशुराम
जय श्री राम
Lovy Bhardwaj जी कह रहे है की वो मत देखो जो दिखाया जा रहा है ... वो देखने, समझने और खोजने का प्रयास करो जो छुपाया जा रहा है l " जी हना आप सही कह रहे है. "
जो भ्रस्टाचार और जिस संस्कृति की आप बात कर रहे है वही असली जड़ है ......
mera aisa manna hai ki congress ko jyada in sab chizo me dakhal nahi dena chahiye , aur jo bhi bate baba aur anna kah rahe hain wo man leni chahiye,
aisa to hai nahi ki wo galat kah rahe hai, agar galat kahte to kya janta unke wsatjh rahti..........
नेताओं तुमने हमें इतने गम दिए जिन्हें हम आजादी के बाद से चबाते जा रहे है पर वो ख़तम ही नहीं होते तो लो हमारी तरफ से ये थोडा सा चुइंग-गम
लेखिका टीवी देखने की शोकीन है और कभी कभार न्यूज़ का पोस्टमार्टम करने से नहीं चूकती है http://ekhabar.in/editorial-hindi/11491-chuinggm-mukherjee-mouse-government.html
Bharadwaj ji ne bilkul sahi kaha hai
नेताओं का काम है अनर्गल बाते कहते रहना
श्री दिग्विजयसिंह जी के बारे मे क्या कहें वो तो जो भी कहते हैं वो हमेशा ही अनर्गल होता है .... ऐसा लगता है जैसे मध्यप्रदेश से उनकी सत्ता छीन जाने के बाद उनकी दिमागी स्थिति बिगड चुकी है उन्हें राजा कहा जाता था लेकिन अभी के हालात तो जाने क्या साबित कर रहे हैं
रही बात अन्ना और बाबा के कुछ कहने की तो सिर्फ इतना ही कहूँगा की अन्ना के साथ हर रोज भूखा रहता था मै और मेरे जैसे कई लाख लोग भूखे रहते थे और क्या कहें उनको
अन्ना स्वयभूं नेता नहीं है उन्हें जनता ने ही नेता बनाया है स्वयभूं तो वो है जो पैतृक स्थितियों के कारण राजनेता बन जाते हैं ... या फिर वो जो जी हुजूरी कर के मंत्री पद पा लेते हैं
मेरा इशारा किन लोगो की तरफ है ये आप भी जानते हैं और श्री दिग्विजयसिंह जी भी जानते हैं ........
हमारा वर्त्तमान लोकतंत्र, राजतंत्र का ही रूप है:-
१. जनता उमीदवार नहीं चुन सकती.
२. अंधों में काना राजा चुनने की मज़बूरी है, इनमे से कोई नहीं का विकल्प जान बुझ कर नहीं दिया जा रहा है.
३. जनता का अधिकार सिर्फ वोट देने भर है, सरकार को कंट्रोल करने या कानून बनाने में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
४. भ्रष्ट नेताओं को वापस बुलाने का अधिकार नहीं है.
५. चुनाव जितने के बाद नेता जन प्रतिनिधि नहीं, राजा हो जाते हैं और जनता गुलाम.
इस स्थिति से निकालने के लिए देश में दल रहित और लाभ रहित लोकतंत्र की स्थापना करनी होगी, और उपरोक्त गुलामी से भी लोकतंत्र को आज़ाद कराना होगा. रास्ता है :-
http://www.facebook.com/notes/ghulam-kundanam/%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-india-in-future-%D8%A7%D9%85%DB%8C%D8%AF%D9%88%DA%BA-%DA%A9%D8%A7-%D8%A8%DA%BE%D8%A7%D8%B1%D8%AA/234298739919325
बाबा व अन्ना की तुलना गांधीजी से करना ही बेमानी है, दोनों के काल में अंतर है, अलबत्ता अन्ना हजारे का आंदोलन गांधीवादी जरूर है, मगर इससे वे गांधी के बराबर नहीं हो गए, असल में देश भ्रष्टाचार से इतना त्रस्त है कि जो भी इस मुदृदे पर आगे आता है वह हमें आशा की किरण नजर आता है, बाबा तो दंभी हैं ही अब अन्ना ही उसी प्रकार की भषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, कितने दुर्भाग्य की बात है कि वे सरकार को काले अंग्रेजों की सरकार बता रहे हैं, यह सरकार हमारी है और हम ने ही चुनी है, अगर पसंद नहीं है तो उसे पलटा जा सकता है, लोकतंत्र का आखिर कोई तो कायदा रखना होगा
तीसरी आँख जी...(तेजवानी जी)
हाँ आपने सही कहा.. मैंने आन्दोलन के नजरिये से नहीं लिखी है यह पोस्ट .. मैंने दरअसल नेतृत्व के अधिकार को लेकर लिखा है ... कि गाँधी जी को भी किसी ने वोटिंग के द्वारा नहीं चुना था फिर भी उन्होंने अपनी क्षमता के द्वारा उनका प्रतिनिधित्व किया .. कांग्रेस का कुछ दिन पहले बयान आया था कि अन्ना-बाबा आन्दोलन कि अगुवाई नहीं कर सकते क्योकि उन्हें जनता ने चुना नहीं है ... मेरा सवाल यही है कि वो क्यों नही कर सकते ? कांग्रेस कहती है यह लोग स्वघोषित प्रतिनिधि-तानाशाह है ... तो क्या हम भी यह माँ ले कि गाँधी जी भी स्वघोषित जन-प्रतिनिधि और तानाशाह थे??..
काल और कार्य में भी अंतर है... लेकिन असल बात अधिकारों और प्रतिनिधित्व के अधिकार की मैंने की है ////
मान्यवर
जहां तक कांग्रेस के बयान का सवाल है वह तो राजनीति का हिस्सा है, सरकारें और सत्तारूढ दल ऐसा ही करते रहे हैं, मगर सवाल ये है कि क्या लोकतं. में चुने हुए प्रतिनिधियों को पूरी तरह से नकार कर इस प्रकार के नेताओं को यह छूट दे दी जाए कि वे पूरे राजनीतिक सिस्टम को खारिज करते हुए अराजगता की स्थिति पैदा कर दें, आपको ख्याल होगा कि भाजपा ने बाबरी मस्जिद मामले में यह कह कर पल्लू झांड लिया था कि भीड बेकाबू हो गई थी, और मजे की बात है कि बाबरी मस्जिद टूटने के लिए नरसिंहराव को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा था, कल यदि बाबा या अन्ना की ओर से जुटाई गई भीड भी ऐसा ही कुछ कर बैठे तो कौन जिम्मेदार होगा, आख्रिकार सरकार को ही जिम्मेदारी निभानी होगी,
आपका कहना सही है .. लेकिन अगर सरकार भ्रष्टाचार को लेकर इतनी ही गंभीर है तो उसे स्वयं पहल करनी चाहिए .. जिससे किसी भी बाबा या हजारे को आवाज उठाने के लिए मजबूर न होना पड़े.. यह बात भी मैंने ब्लॉग पे कही है ...
खुद सरकार को ही पहल करनी चाहिए न कि पहले भरोषा देकर धोखा दिया जाए... या फिर बर्बर पुलिसिया कार्यवाई की जाये ... वहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि उस समय केवल एक कट्टरपंथी वर्ग बेकाबू हुआ था .. लेकिन यहां तो पूरे देश की जनता जुडी हुई है .. सरकार को यही चाहिए कि वह किसी को मौके दिए बगैर अपना कार्य करें..
हर एक बात पे कहते हो की तू क्या है
तुम्हे बताओ ये अंदाज़े गुफ्तगू क्या है
१. गांधी को पुलिस या अंग्रेज सरकार से बचने के लिए कभी साडी-सलवार में भागते देखा सुना हो तो ज़रूर बताएं?
२. महात्मा गाँधी ने कभी अपने लिए कोई पद नहीं माँगा.यहाँ तो देश को चलाने के लिए एक समानांतर उत्तरदायित्व रहित एजेंसी लोकपाल बनाने और उसके सर्वेसर्वा बनने की जद्दो-जहद चल रही है.
३. महात्मा गाँधी की नीतियाँ स्वनिर्मित और स्पष्ट थीं.यहाँ तो एक ७ वीं -८ वी फेल आदमी है,जो चंद तथाकथित सिविल समाज के लोगों का कहा मान लेता है और उनके लिखे हुए को पढ़ देता है,जहां बिठा देते हैं बैठ जाता है और उसने खुद से बस इतना बोलना सीखा है कि वो गोली खाने को तैयार है भले ही कोई मारे या न मारे.
तो ऐसे व्यक्तियों को गांधी तुल्य वही मानेगा जो इतिहास से या तो अनभिज्ञ हो या जान बूझकर इतिहास से मुंह मोड़कर बैठा हो.दूसरी बात जो मैं बार बार करता रहता हूँ और जिसे तुम समझने में असमर्थ रहते हो,वो ये कि 'कथनी और करनी' का अंतर गांधी को अन्य 'मीडिया जनित' महान हस्तियों से अत्यंत ऊंचा ठहराता है, अन्ना हजारे की क्षेत्रवादी मानसिकता और रामदेव का न्यूट्रलइज्म का ढोंग करते हुए भी साम्प्रदायिक तत्वों से गलबहियां करना कुछ ऐसी बातें हैं जो इन दोनों को गांधी की चरणों की धूल बनाने लायक भी नहीं छोड़ता.
भावनाओं में बहकर,प्रचार से प्रभावित होकर अगर हम नित्य ऐसे अनपढ़,अनगढ़,नीतिहीन हीरो चुनते रहे तो लोकतंत्र का ना सिर्फ ह्रास होगा बल्कि ऐसे ठस्स-बुद्धियों द्वारा जनित तानाशाही प्रवृत्ति को बढ़ावा ही मिलेगा.
-vanmanush
किससे पूछोगे भाई यहा बताने बैठा कौन है इन कांग्रेसियो की भाव भंगिमा मे तानाशाही झलक रही है
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