एक शायकसुअल पोस्ट
________________________________
अलोक शायक (पत्रकार, कवि) |
वह भी दौर आया जब मस्तराम पुराने लगने लगे और लगता कि अब कुछ नया नहीं बचा है मस्तराम के पास कहने को .. तभी मैंने अपने होस्टल में मेरा वह ऐतिहासिक वक्तव्य भी दिया था कि ' मस्तराम ने सामाजिक रिश्तों के बंधनों को तोड़कर सेक्स को जिस प्रकार आनंद परमानंद की श्रेणी में पहुंचा दिया है और कल्पनाओं पर जैसा प्रभाव मस्तराम डाइजेस्ट का है वैसा प्रभाव ओशो भी नहीं छोड़ पाए हैं ' .. एक बार तो मैंने यहाँ तक विचार किया कि ओशो को 'सम्भोग से समाधि की ओर' लिखने की प्रेरणा मस्तराम डाइजेस्ट पढने से प्राप्त ज्ञान से ही मिली होगी ..
खैर .. मस्तराम का दौर ख़त्म हुआ तो टी वी सी डी का दौर आया .. बाकायदा चंदा होता था हमारे होस्टल में .. सबसे ज्यादा आर्थिक योगदान करने वाले से उसकी पसंद भी पूछी जाती थी .. जन्मदिन पार्टियों में सी डी प्रदर्शन अनिवार्य कर दिया गया .. कुछ उत्साही मित्र तो बाकायदा बोल कर जाते थे कि पॉज पर रखो अभी पांच मिनट में बाथरूम से आता हूँ .. एक चिन्हित सी गंध होस्टल के दो तीन चिन्हित लड़को के कमरों से आने लगी .. और फिर धीरे धीरे वह दौर भी ख़त्म हो गया ..
इंटरनेट पहली बार मैंने 2005 में इस्तेमाल किया .. याहू याहू सुनता रहता था और मेरे रूम पार्टनर की प्रेयसी ने मेरा याहू अकाउंट बना दिया .. वह ज्यादा उत्सुक इसलिए थी कि जितनी देर मैं कैफे जाकर नेट करता उतनी देर वह मेरे कमरे का उपयोग अपने प्रेम प्रयोग के लिए कर सकती .. यह एक छोटा सा कैफे था कठवरियासराय दिल्ली में और फिर याहू देखते देखते दो एक रोज में गूगल सर्च करना भी सीख गया मैं ..
सचमुच का सेक्स मैंने पहली बार वर्ष 2006 में किया सचमुच कि प्रेयसी के साथ .. तभी पहली बार जाना कि इकसठ बासठ और सेक्स में उतना ही अंतर है जितना मैंगो बाईट लेमनचूस चूसने और सचमुच के आम खाने में .. हालांकि सेक्स को तब तक मैं एक बेशर्म शब्द मानता था और वह और मैं सेक्स को मेकिंग लव कहना पसंद करते थे ..
और फिर ज़िन्दगी ने और कई रंग और स्वाद दिए ..
____________
शायक
खैर .. मस्तराम का दौर ख़त्म हुआ तो टी वी सी डी का दौर आया .. बाकायदा चंदा होता था हमारे होस्टल में .. सबसे ज्यादा आर्थिक योगदान करने वाले से उसकी पसंद भी पूछी जाती थी .. जन्मदिन पार्टियों में सी डी प्रदर्शन अनिवार्य कर दिया गया .. कुछ उत्साही मित्र तो बाकायदा बोल कर जाते थे कि पॉज पर रखो अभी पांच मिनट में बाथरूम से आता हूँ .. एक चिन्हित सी गंध होस्टल के दो तीन चिन्हित लड़को के कमरों से आने लगी .. और फिर धीरे धीरे वह दौर भी ख़त्म हो गया ..
इंटरनेट पहली बार मैंने 2005 में इस्तेमाल किया .. याहू याहू सुनता रहता था और मेरे रूम पार्टनर की प्रेयसी ने मेरा याहू अकाउंट बना दिया .. वह ज्यादा उत्सुक इसलिए थी कि जितनी देर मैं कैफे जाकर नेट करता उतनी देर वह मेरे कमरे का उपयोग अपने प्रेम प्रयोग के लिए कर सकती .. यह एक छोटा सा कैफे था कठवरियासराय दिल्ली में और फिर याहू देखते देखते दो एक रोज में गूगल सर्च करना भी सीख गया मैं ..
सचमुच का सेक्स मैंने पहली बार वर्ष 2006 में किया सचमुच कि प्रेयसी के साथ .. तभी पहली बार जाना कि इकसठ बासठ और सेक्स में उतना ही अंतर है जितना मैंगो बाईट लेमनचूस चूसने और सचमुच के आम खाने में .. हालांकि सेक्स को तब तक मैं एक बेशर्म शब्द मानता था और वह और मैं सेक्स को मेकिंग लव कहना पसंद करते थे ..
और फिर ज़िन्दगी ने और कई रंग और स्वाद दिए ..
____________
शायक
1 comment:
आपका ब्लॉग हमारीवाणी में सम्मिलित कर लिया गया है, परन्तु आपके ब्लॉग की फीड ठीक से कार्य नहीं कर रही है, जिस कारण आपकी पोस्ट हमारीवाणी सहित किसी भी फीड संकलक पर प्रकाशित नहीं हो पाएगी। इसके साथ-साथ आपकी नई पोस्ट आपके फ़ोलोवर्स तक भी नहीं पहुंचेगी। संभवत: आपने अपने ब्लॉग के सेटिंग में फीड पते के सामने “https://www.facebook.com/realfighar” लिखा हुआ जिस कारण आपकी फीड का पता त्रुटी पूर्ण दिखाई दे रहा है। अगर ऐसा है तो इसे हटा कर सेटिंग को सेव (Save) कर दें।
इसके लिए ब्लॉग पर लॉग इन करके सेटिंग्स (Settings) पर क्लिक करें तथा उसके बाद Others पर क्लिक करें। इसके उपरांत चेक करें कि "Post Feed Redirect URL" के आगे अगर “https://www.facebook.com/realfighar” लिखा है तो इस एड्रेस को डिलीट करके उस स्थान को खाली छोड़ दें।
कृपया अपनी फीड को चेक करें, आपके ब्लॉग की फीड का पता यह होना चाहिए।
http://jeewaneksangharsh.blogspot.in/feeds/posts/default
किसी भी तरह की जानकारी / शिकायत / सुझाव / प्रश्न के लिए संपर्क करें
टीम हमारीवाणी
Post a Comment