आसमान की छत पे
है अपनी दुनिया..
खिलखिलाती जिसमें..
हैं अपनी खुशियां.. !
सूरज की पलकों तलें...
धूप बनते हैं हम...
जादुई है येह जहां...
है नहीं कोई गम ..!!
बंदे हैं हम उसके..
हम पर किसका जोर.
उम्मीदों का सूरज...
निकला देखो चारों ओर !
इरादे हैं फौलादी...
हिम्मती हर कदम..
अपने हाथों किस्मत लिखने..
आज चले हैं हम !!
आदित्य चोपड़ा अच्छा लिखते हैं.. शुक्रिया.. रूह जमा देने वाले इस कविता के लिए.. जादुई..बिल्कुल जादुई..
शिवम महादेवन और अनीष शर्मा की आवाज बेहद जंची...
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