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Monday, September 2, 2013

दास्तां

श्रवण शुक्ल
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तुम... तुम... और सिर्फ तुम
कुछ कहना नहीं
कुछ सुनना नहीं..
बस चाहत और तुम्हारी आहट
यही है .. हमारे दिल की दास्तां..

तुम जो कहो
तो तुम्हारे पास आ जाएं
आशिकी भी करें
आवारगी भी करें
और तुम्हारे हो जाएं
अब तुम भी कहो.. कुछ अपनी दास्तां

हम और कुछ कह नहीं सकते
कुछ और सुन नहीं सकते
सिवाय तुम्हारे इश्क के
हम अब रह नहीं सकते

और क्या कहें?
सबकुछ तो कह चुके नहीं..
आखिरी शब्द यही हैं..
जीना है, मरना है.. सिर्फ तुम्हारे साथ
लो खतम हो गयी हमारी दास्तां..!

(C) कॉपीराइट@ श्रवण शुक्ल

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