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Friday, June 24, 2011

India now ruled by... Aunty in the Capital ..Madam in Center...जारी है


India now ruled by... 
Amma
 in South 

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Didi 
in East 

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Bhenji in North
 

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Aunty
 in the Capital 

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Madam
 in Center 

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Nani on top (the president) 

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&


"Wife At Home"


And yet people say.. It’s a Man's World?


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bramhi



पीएसआर जी द्वारा भेजे गये मेल पर आधारित....

Sunday, June 19, 2011

कांग्रेस से सवाल : बाबा - अन्ना तानाशाह तो गाँधी क्या थे ?


120 करोड़ लोगों को बेवकूफ बना रहे राजनीतिक दल से एक भारतीय का सवाल। बाबा-अन्ना यदि स्वघोषित जन-प्रतिनिधि है तो महात्मा गाँधी और अन्य राष्ट्रभक्त क्या थे?‎ उन्होंने किस आधार पर देश की जनता का प्रतिनिधित्व किया ? कांग्रेस कहती है कि देश को काले धन और भ्रष्टाचार से खतरा ही नहीं है बल्कि बाबा और अन्ना से है क्या कहेंगे आप? उन्होंने तो बाबा और अन्ना हजारे जी को स्वघोषित तानाशाह तक की पदवी दे डाली ... बाबा और अन्ना जी अगर देश की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं तो कांग्रेस को बहुत बुरा लगता है वह उन्हें तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताने में लग जाती है .. वह जनता से यानी हमसे सवाल करती है कि बाबा जी आपका प्रतिनिधित्व कैसे कर सकते हैं ??? उनको तो काले धन रखने का अधिकार भी आपने नहीं दिया न ही उन्हें आपने प्रतिनिधि बनाया है तो वह किस हक से जनता का प्रतिनिधि होने का दावा जताकर लोकपाल बिल के लिए सत्याग्रह करते हैं ?? कांग्रेस के बडबोले महासचिव ने तो यहां तक कह दिया कि बाबा को कुछ भी बोलने का हक नहीं है.. अगर बोलना ही है तो चुनाव लड़कर आये और फिर बोले...वे किस अधिकार से यह सब कर रहे हैं


श्रवण शुक्ल
SHRAVAN KUMAR SHUKLA
अब अगर कांग्रेस पार्टी ऐसे बयान जारी करती है तो हम एक आम नागरिक कि हैसियत से उनसे पूछना चाहते हैं कि महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे जाने कितने राष्ट्रभक्त जनता की आवाज बनकर आये, उन्हें किसने चुनकर यह अधिकार दिया था ? जो उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए देश को स्वतंत्रता दिलाई ?क्या उन्हें अंग्रेजी सरकार ने इस कार्य के लिए अनुबंधित किया था या जनता ने उन्हें वोट देकर अपना प्रतिनिधि बनाया था

कांग्रेस पार्टी अगर भ्रष्टाचार पर इतना ही गंभीर है तो उसे स्वयं पहल करके जल्द से जल्द कानून बनवाना चाहिए .. न कि जनता को आन्दोलन करने को विवश करना चाहिए???

कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि चुनाव लड़ने से पहले उनके जो नेता अपनी संपत्ति एक लाख रुपये दर्शाते हैं तो दुसरे चुनाव में उसका कई गुना दिखाते हैं यह इतनी संपत्ति कहाँ से आई इसकी जांच क्यों नहीं कराती? क्या जनता ने उन्हें चुनकर , अपना प्रतिनिधि बनाकर स्वयं को खोखला करने के लिए भेजा है ? अब कांग्रेस सरकार से एक ही जवाब चाहिए.... अगर अन्ना और बाबा जनता द्वारा बिना चुने जनता का प्रतिनिधित्व करने कि हैसियत नहीं रखते तो यह हैसियत किस आधार पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को मिला था? उन्हें उनकी किस हैसियत पर राष्ट्रपिता का दर्ज़ा दिया गया? अब जबकि जनता जाग चुकी है तो उसे बरगलाने का प्रयत्न न किया जाए


मै पूछना चाहता हूँ कि जब अन्ना हजारे और बाबा रामदेव जनता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते क्योकि यह संविधान के खिलाफ है तो बाकी राष्ट्रभक्तों ने किस आधार पर ऐसा किया था ? आखिर कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झाकना चाहिए साथ ही खुद के मुह पर थूकने की आदत छोडनी चाहिए

इस हाल में आप जनता का सवाल यही है कि  यदि अन्ना हज़ारे या बाबा रामदेव जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं तो फिर क्या कांग्रेस ये जवाब दे सकती है कि स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयों का नेतृत्व करने के लिए महात्मा गांधी का चयन किस चुनाव में हुआ था और किसने वोट किया था?   जवाब चाहिए....

Saturday, June 18, 2011

Welcome to Team IAC and Join this movement with filling an short form


Welcome to Team IAC and thank you for joining this movement!

fill the farm nd add with movement- http://news.indiaagainstcorruption.org/form_volunteer.php

By registering with IAC you have become an important and key player in the communication network of India Against Corruption (IAC). IAC is not an organization but a mass movement of people who care deeply about eradicating corruption in India. The success of this movement depends entirely on its volunteers — folks like you who are willing to lend their time and their talents to free India of Corruption.
How do we take our message to each and every household in India? Through people like you. You are the first level of communication for IAC. Since you are on the net, you will receive regular updates from us about the movement and also other important material. We request you to form a community of IAC in your own locality. These could be people who do not have access to the net (encourage those who have access to net to directly join IAC like you have done). Please discuss all IAC updates, material and activities in the community that you have formed. Try to reach every household in your locality and send us the feedback from your community.
As you know, the odds are heavily stacked against us as we embark on this historic mission. But we can make Lokpal a reality through a sustained campaign that takes this message to every nook and corner of India. Spread the word and together lets make the Jan Lokpal bill a reality!
Jai Hind!
http://news.indiaagainstcorruption.org/form_volunteer.php


-- 
THANKS&REGARDS
ShRaVaN KuMaR ShUkLa
9716687283, 8957032135

अन्ना - बाबा, सरकार-विपक्ष की चाल को समझने लगी है जनता

लोकपाल-भ्रष्टाचार, अन्ना-बाबा और सत्ता के प्यादों के बीच जनता
प्रख्यात समाजसेवी और गांधीवादी अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आमरण अनशन से हलकान सरकार द्वारा लोकपाल समिति पर बैठकों के आयोजन बहिष्कार और बयानबाजी के बीच आम लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए जाने के इन्तजार के बीच अंततः बाबा रामदेव द्वारा आखिरी कदम के रूप में दिल्ली के प्रख्यात राम-लीला मैदान में अनशन की घोषणा और उसके बाद अनशनकारियों पर पुलिसिया कार्यवाही से देश में 70 के दशक के बाद फिर से आपातकाल जैसी स्थिति होती नज़र आ रही है। देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बनती पार्टियों और अनशन, विरोध प्रदर्शनों के बीच घोटालों की नित नई खुलती पोल से कांग्रेस पर बढते दबाव से सरकार मुसीबत में है । जिसपर दिग्विजय सिंह जैसे बडबोले लोगों द्वारा बयानबाजी घाव में नमक जैसा कार्य कर रही है। एक तरफ कांग्रेस की तरफ से केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ, सपा प्रमुख मुलायम सिंह, बसपा सुप्रीमों मायावती तथा भाजपा आडवाणी, गडकरी, सुषमा स्वराज आदि नेता इस मुद्दे पर बाबा के साथ नजर आ रहे हैं तो वही दिग्गी राजा, प्रणव मुखर्जी, कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता बाबा रामदेव के खिलाफ जमकर जहर उगल रहे हैं.। कुछ दिनों पहले भट्टा-परसौल जैसे मुद्दे पर उत्तर-प्रदेश सरकार को घेरने वाले 'अमूल बेबी' राहुल गांधी पूरी तरह से चुप और खामोश होने के साथ कही छुपे हुए नजर आते है वही कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी का मुह बंद होता नज़र आ रहा है। द्रमुक, माकपा, भाकपा, लोजपा जैसी पार्टियां इस मुद्दे पर जहां पूरी तरह खामोश है वही रेड्डी बंधुओं, येदुरप्पा के कारण दक्षिण की अपनी एकमात्र सरकार एवं उत्तराखंड में निःशंक के कुम्भ मेले के समय के घोटालों में फसने के कारण अपनी डावांडोल स्थिति के बावजूद भाजपा खुले-आम बाबा रामदेव का समर्थन कर रही है।
एक तरफ जहाँ इन मुद्दों पर खूब राजनीति हो रही है तो वही दूसरी तरफ अपना सबकुछ दांव पर लगाये बैठी जनता कुछ खास होने के इन्तजार में है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे द्वारा आमरण अनशन की घोषणा के बाद पहले सरकार के कानो पर जून तक नहीं रेगने के बावजूद सारी दुनिया में मिले समर्थन और दिनों-दिन बिगड़ते हालत के बीच सराकर पिछले पैर पर आ गई थी वही बाबा रामदेव द्वारा काले-धन और भ्रष्टाचार के मूड पर पहले उन्हें लुभाने की कोशिश, फिर परदे के पीछे हुए समझौतों, बाबा द्वारा विजय प्रदर्शन करने के साथ ही कपिल सिब्बल द्वारा समझौते की पर्ची दिखाकर आम-जनता में भ्रम जैसी स्थिति फैलाते हुए बाबा के दमन की पूरी कोशिस की गई।

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने भी बाबा रामदेव के आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि वह देश की चुराई गई सम्पत्ति को वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। बाबा रामदेव को समर्थकों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा होने के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का भी समर्थन मिल रहा है, विहिप दिल्ली के महामंत्री सत्येंद्र मोहन ने विहिप का बयान जारी करते हुए कहा कि देश को एक स्वच्छ व्यवस्था देने के लिए लड़ी जाने वाली इस लड़ाई में विहिप बाबा रामदेव के साथ है। बाबा को मिलने वाले समर्थनो के बीच अभी तक किसी आध्यात्मिक गुरु के उनका कुछ खास समर्थन नहीं किया था, इस कमी को पूरा करते हुए श्री श्री रविशंकर ने बाबा रामदेव के अभियान को समर्थन दिया उन्होंने कालेधन के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव के अनिश्चितकालीन अनशन को समर्थन देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम सभी साथ हैं।

बाबा रामदेव द्वारा काले धन के मुद्दे पर अनशन के पर 23 मई को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने समर्थन देते हुए कहा कि विदेशी बैंक में जमा काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव द्वारा चार जून को दिल्ली में आयोजित सत्याग्रह का देश के हर नागरिक के साथ केंद्र सरकार का एक-एक व्यक्ति साथ देगा.. वहीं लोकपाल के मुद्दे परा बाबा रामदेव के इस बयान के बाद "कि लोकपाल एक जटिल विषय है, लिहाजा प्रधानमंत्री व सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को लोकपाल की परिधि में लाने के मामले में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। इस विषय पर तार्किक विश्लेषण किया जाना चाहिए" पर अन्ना समिति में शामिल सदस्य बनते हुए नज़र आये.. इस बात से अन्ना हजारे भी नाराज नजर आये कि लोकपाल के मुद्दे को बाबा-किनारे रख रहे हैं. इसके बावजूद उन्होंने बाबा का साथ देने की घोषणा की, अरविन्द केजरीवाल व प्रशांत भूषण ने बाबा रामदेव के अभियान का समर्थन किया जबकि अनशन के मुद्दे पर आना हजारे ने बाद में जवाब देने की बात कही.31 मई को बाबा रामदेव के अनशन की योजना के बीच सीसीपीए(राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति) की बैठक की बैठक हुई जिसमे स्थिति पर नजर रखने पर जोर दिया गया साथ ही लोकपाल विधेयक का प्रारूप तय करने के लिए हुई बैठक में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच उभरे मतभेद और योग गुरु स्वामी रामदेव के अनशन की योजना पर भी बातचीत की गई।लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने के लिए गठित संयुक्त मसौदा समिति की सोमवार को हुई बैठक में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को विधेयक के दायरे में लेने के मुद्दे पर जहां गतिरोध उत्पन्न हो गया वहीं, समिति के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने विधेयक के इस विवादास्पद पहलू पर सभी राजनीतिक दलों और मुख्यमंत्रियों की राय जानने के लिए उन्हें पत्र लिखा। भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे का पूरा लाभ उठाते हुए बाबा रामदेव के अनशन पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने योग गुरु की मांगों को 'स्वीकार' करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा, जबकि प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव से अनशन पर न जाने की गुजारिश करते हुए कहा कि सरकार अपनी पूरी क्षमता के साथ काले धन और भ्रष्टाचार की समस्या से निपट रही है।

बाबा रामदेव के 1 जून को उज्जैन से दिल्ली पहुचने पर केन्द्रीय मंत्रियों की फ़ौज उन्हें मानाने में दिनभर डटी रही लेकिन बाबा अपनी मांगो से टस से मस नहीं हुए.. भ्रष्टाचार एवं विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ अनशन शुरू न करने के लिए बाबा रामदेव को राजी करने की कोशिशों के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल तथा दो अन्य मंत्रियों ने दिल्ली हवाईअड्डे पर योग गुरु से मुलाकात की। लेकिन बाबा रामदेव के पीछे न हटने की स्थिति में कपिल कपिल सिब्बल ने बातचीत जारी रखने की घोषणा करते हुए कहा कि हम भ्रस्ताचार से खुद ही निपट रहे हैं, इसके लिए अनशन की क्या जरुरत है ? वही देर शाम को गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने रामदेव को अपना समर्थन देने की घोषणा करते हुए हर कदम साथ देने की बात कही थी। जिसकी कड़ी में बाबा रामदेव एवं उनके समर्थकों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और सरकार के गैरजिम्मेदाराना कार्यों के विरोध में 8 मई को जंतर-मंतर पर धरना देने की घोषणा की गई। जिसको बाद में सुरक्षा कारणों से दिल्ली पुलिस ने रद्द करते हुए राजघाट को धरना-स्थल के रूप में चुनने को कहा. जहां आज – दिन भर शान्ति पूर्ण अनशन चला..बाबा रामदेव को अन्ना हजारे ने पहले ही चेता दिया था कि सरकार उन्हें इस मुद्दे पर बेवकूफ बना सकती है। जबकि बाबा रामदेव के प्रस्तावित अनशन को रोक पाने में विफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार 3 जून की रात योग गुरु को आश्वस्त किया कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने पर विचार किया जा रहा है।

बाबा रामदेव के अनशन पर बैठने से एक दिन पहले कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया कि बाबा रामदेव भाजपा और विहिप के एजेंडे पर कार्य करा रहे हैं जबकि बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान से सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे आंदोलन का कोई गुप्त राजनीतिक या साम्प्रदायिक एजेंडा नहीं है बल्कि यह आंदोलन देश में व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि वह विदेशों में जमा भारतीयों के 400 लाख करोड़ रुपये के काले धन को वापस लाकर देश की गरीबी और भुखमरी दूर करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने मांग की कि भ्रष्टाचारियों को फांसी दी जानी चाहिए.। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी थी कि उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश महंगी साबित होगी। इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मिलकर रामदेव के साथ जारी बातचीत पर उन्हें जानकारी दी।

बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ 4 जून से दिल्ली के रामलीला मैदान पर कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े जनसमूह के साथ अनशन शुरू किया। जिसका समर्थन पूरे देश में हुआ.. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न तबकों के लोगों ने धरना प्रदर्शन की तथा बाबा के समर्थन में नारे लगाए। बिहार में बाबा रामदेव के समर्थन में बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। पटना में महिलाए, बुजुर्ग, छात्र, समाजसेवी और समाज के अन्य तबकों के लोग बड़ी संख्या में अनशन और धरने पर बैठ गए। उड़ीसा में भी बाबा रामदेव के समर्थन में विभिन्न तबकों के लोग अनशन एवं धरने पर बैठे। भ्रष्टाचार खत्म करने, कालाधन वापस लाने तथा व्यवस्था परिवर्तन की मांग को लेकर दिल्ली में अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को मध्य प्रदेश में भी समर्थन मिला। बाबा रामदेव के अनुयायी और समर्थकों ने राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों में अनशन और धरना दिया। बाबा रामदेव के अनशन को देश भर से समर्थन को व्यापक समर्थन मिलने से घबराए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव के अनशन को पांच सितारा सत्याग्रह करार दिया। वही कांगेस ने दोतरफा घेरने की साजिस के तहत एक तरफ सरकार योग गुरु बाबा रामदेव से बातचीत जारी रखे हुए थी,वहीं दूसरी ओर आरोप लगायाकि भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन का रिमोट कंट्रोल भारतीय जनता पार्टी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के हाथों में है।

बाबा रामदेव के अनशन प्रतिक्रिया देते हुए जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ और काले धन को वापस लाने की मांग को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन को शनिवार को 'राजनीतिक साजिश' करार दिया। उनका कहना है कि साम्प्रदायिकता भ्रष्टाचार से बड़ा मसला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव के अनिश्चितकालीन अनशन पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव जिस तरीके से राजनीतिक मंच पर आ रहे हैं वह रहस्यमय है। जबकि कांग्रेस महासचित दिग्गी राजा ने बाबा रामदेव की जीवनशैली पर ही सवाल उठाते हुए उनपर विलासितापूर्ण होने का आरोप लगाते हुए कहा कि योग गुरू का अनशन 'पांच सितारा सत्याग्रह' है। साथ ही उन्होंने बाबा पर RSS और विहिप के साथ भाजपा का एजेंट होने के आरोप भी लगाए जिसपर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से सवाल कि वह किसके एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में पूछा कि दिग्विजय सिंह पहले यह बताएं कि वह किस हैसियत से ऐसे आरोप लगा रहे हैं। जिसपर योग गुरु बाबा रामदेव ने स्पष्ट किया कि वह किसी राजनीतिक संगठन या पार्टी के एजेंट नहीं हैं।

इन सब क्रियाकलापों के योग गुरु बाबा रामदेव ने शनिवार को दावा किया कि सरकार काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने और विदेशों में धन जमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की उनकी मांग पर राजी हो गई है। लेकिन उन्होंने कहा कि उनका अनशन तभी समाप्त होगा, जब सरकार उन्हें लिखित आश्वासन देगी। सरकार की तरफ से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार बाबा रामदेव की अधिकांश मांगों पर राजी हो गई है। जिसके कुछ ही देर बाद बाबा रामदेव ने सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया और कहा कि उनका अनशन तबतक जारी रहेगा, जबतक कि सरकार उनकी मांगों पर अध्यादेश नहीं जारी कर देती।
इस बीच सरकार ने बाबा रामदेव पर परदे के पीछे समझौता करने का आरोप लगते हुए उन्हें अपने निजी स्वार्थ के लिए आन्दोलन करने का आरोप लगा जबकि बाबा रामदेव ने सरकार को धोखेबाज़ कहते हुए अपना आन्दोलन जारी रखा, इन्ही आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच बातचीत पटरी से उतर जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। जिसके कारण अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को रविवार तड़के पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उन्हें धरना स्थल से उठा ले गई। इस दौरान पुलिस कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए और धरना स्थल को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। पुलिसिया कार्यवाही में 100 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हो गए.. पांडाल में आंसू गैस के गोले छोड़े जाने एवं दौड़ा-दौड़ा कर पीते जाने से कई लोग बेहोश हो गए जिनमे से कुछ का इलाज अभी तक चल रहा है। इस सबके बीच बाबा रामदेव का कही अता-पता न चलने से उनके समर्थकों में रोष पैदा हो गया जिसके कारण सरकार ने स्थिति बिगड़ने के डर से पूरे दिल्ली शहर में धारा - 144 लगाकर निषेधाज्ञा जारी कर दी जो अभी कई दिनों तक आगे भी बनी रहेगी .. बाबा रामदेव का कुछ अता-पता नहीं चलने के कारण 5 जून सुबह दस बजे तक बाबा के गायब होने कि ख़बरें खबरिया चैनलों पर गूंजती रही, जिसके बाद गृह सचिव जी. के. पिल्लै ने बाबा को उत्तराखंड ले जाने की बात कहते हुए कहा कि बाबा रामदेव को हरिद्वार स्थित उनके आश्रम ले जाया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि क़ानून-व्यवस्था के मद्देनजर बाबा रामदेव के दिल्ली में दाखिल होने पर 15 दिन तक प्रतिबंध लगाया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'अलोकतांत्रिक' करार दिया। कई सामाजिक संगठनों ने बाबा रामदेव पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की। रामलीला मैदान में आधी रात को हुई कार्यवाही पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि पुलिस कार्रवाई से ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार मानसिक संतुलन खो बैठी है। इस घटना को गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र का गला घोंटने' की घटना करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे जलियावालां बाग कांड की पुनुरावृत्ति हुई है, जबकि बाबा के सहयोगी ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्याधीश से बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जांच का आदेश देने की मांग की। जबकि इस पूरी घटना को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के लिए देश से माफी मांगे। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से संसद का एक आपात सत्र बुलाने की मांग की। माकपा ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए सरकार और बाबा रामदेव के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर किए गए गुप्त समझौते पर दोनों की आलोचना की। जबकि भाजपा पुलिस की कार्रवाई को 'भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में शर्मनाक अध्याय' करार दिया है। इस घटना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर देर रात की गई पुलिस कार्रवाई की निन्दा की। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धरना स्थल पर हुई पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र के लिए शर्मसार करने वाला बताते हुए कहा कि इस घटना ने मध्ययुगीन बर्बरता की याद दिला दी। पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की। उड़ीसा में राजनीतिक दलों, धार्मिक नेताओं तथा आम लोगों ने इसे 'हैरान करने वाला' एवं 'शर्मनाक' बताया। बाबा रामदेव के समर्थन में नेपाल में प्रदर्शन हुए .. बाबा रामदेव का अनशन हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ में जारी है लेकिन इसका असर अब देश के बाहर भी दिखाई देने लगा है। दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा के समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में सोमवार से नेपाल में लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया ।

इस बीच कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने योग गुरु बाबा रामदेव पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन की आड़ लेकर लोगों को भड़काने का काम किया। जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मोहरे हैं। लालू ने बाबा रामदेव को आरएसएस के चंगुल से मुक्त होने और लोगों को योग सिखाने की नसीहत भी दे डाली। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मोहरा होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराया..कांग्रेस पार्टी ने बाबा रामदेव साम्प्रदायिक, राजनीतिक ताकतों का मोहरा बताते हुए कहा कि योग गुरु उन साम्प्रदायिक एवं राजनीतिक ताकतों के मोहरा हैं, जिन्हें मतदाताओं ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने इन ताकतों के मकसद के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए देश भर में सार्वजनिक सभाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है।


बाबा रामदेव ने पूरी घटने के गवाह 4 जून की रात को इतिहास की सबसे काली रात करार दिया.. उन्होंने रिहा होने के बाद देहरादून में कहा कि बीती रात इतिहास की सबसे काली रात थी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को कुटिल करार दिया और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी सीधा हमला बोला। साथ ही बाबा रामदेव ने कहा कि बर्बर और वीभत्स अत्याचार को याद करके उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि उन्हें जान से मारने की साजिश रची गई थी। जबकि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने योग गुरु बाबा रामदेव का खुला समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली से जबरन यहां भेजे जाने के बाद उन्हें अपना विरोध जारी रखने के लिए राज्य में 'पूरी स्वतंत्रता' है। हम सब आपके साथ है। आप यहां से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख सकते हैं.. इस बीच नई दिल्ली की सीमा में घुसने से लगे प्रतिबंध के बावजूद अनशन जारी रखने के लिए दिल्ली जा रहे बाबा रामदेव उत्तर प्रदेश प्रशासन के अनुरोध पर रविवार रात हरिद्वार वापस लौट गए। इसके बाद बाबा रामदेव ने हरद्विार स्थिति पतंजलि योगपीठ में ही अनशन जारी रखने का फैसला किया है।बाबा रामदेव ने हरिद्वार में रहकर अनशन करने का निर्णय लिया।

इन घटनाओं के बीच आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर ने योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए लोगों से शांति के साथ दृढ़ता बनाए रखने की अपील की। जबकि बाबा रामदेव पर कार्रवाई के खिलाफ भाजपा रविवार शाम 24 घंटे का सत्याग्रह शुरू किया था।


वरिष्ठ गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन के दौरान पुलिस कार्रवाई की रविवार को कड़ी निंदा की। इसे लेकर उन्होंने आठ जून को एक दिन के लिए जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठने का ऐलान किया। साथ ही लोकपाल मसौदा समिति की होने वाली अगली बैठक का इसमें शमिल सामाजिक संगठन के सदस्यों ने बहिष्कार करने का फैसला किया है। सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से जारी बयान में रविवार शाम यह बात कही गई। कर्नाटक के लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े ने कहा कि 'बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई से आपातकाल की याद' ताजा हो गई। वहीं प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई का बचाव किया था। अपना मुंह खोलते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया लेकिन साथ ही इस कार्रवाई का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारियों के पास इसके अलावा 'कोई और विकल्प नहीं' था।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को योग गुरु बाबा रामदेव पर की गई दमनात्मक कार्रवाई को सही ठहराने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अप्रत्याशित और अजीब बताया।

शनिवार मध्यरात्रि को हुई पुलिस कार्रवाई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव जी. के. पिल्लै तथा दिल्ली पुलिस के प्रमुख बी. के. गुप्ता को नोटिस जारी किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठी चलाए जाने की घटना के बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसे संज्ञान लेना स्वागतयोग्य कदम बताया।बाबा रामदेव के अपमान के विरोध में पतंजलि योग समिति की बिहार इकाई के मंगलवार को एक दिवसीय बिहार बंद के आह्वान का मिला-जुला असर देखा गया। इस दौरान कई स्थानों पर रैलियां निकाली गईं और कई स्थानों पर सड़क यातायात अवरुद्ध किया गया।

इन सब घटना क्रमों के बीच बाबा रामदेव अपना आन्दोलन जारी रखे हुए हैं। वो दिल्ली में नहीं आ सकते। बाबा ने सरकार द्वारा इतने अप्रत्याशित कदम उठाने बावजूद कहा कि मैंने सरकार की कार्रवाई को भुला दिया.. उन्होंने कहा कि मैंने अपने तथा समर्थकों के खिलाफ सरकार के इशारे पर हुई पुलिस कार्रवाई को भुला दिया है। और आगे की बातचीत के रास्ते खुले हुए है.. बाबा रामदेव ने घोषणा की है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके आंदोलन को बाधित करने वाले असामाजिक तत्वों और पुलिस से निपटने के लिए वह 11,000 लोगों की एक सशस्त्र सेना तैयार करेंगे। वह 11 हजार महिलाओं और पुरुषों की मजबूत सेना तैयार करेंगे ताकि अगली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में हम लड़ाई हारकर नहीं लौटे। उन्होंने हालांकि कहा कि सेना का गठन केवल आत्मरक्षा के लिए किया जाएगा और वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
बाबा रामदेव ने कहा, "सेना हमारी और अनुयायियों की रक्षा करेगी। यह किसी की जिंदगी लेने के लिए नहीं होगी।


जब कि आज बाबा रामदेव के खिलाफ हुए अत्याचार के खिलाफ अन्ना के यहां राजघाट पर अनशन किया। देखते हैं आगे यह कहानी कहाँ तक चलती है। लेकिन इतना तो तय है कि भारतीय जनता अब जाग चुकी है शायद अब नेता भी जान चुके हैं कि इसे ज्यादा दिन तक बेवकूफ बनाना आसान नहीं होगा। जनता को पता चल गया है कि असली ताकत वही है। आने वाले दिनों में जनता का यह अंदाज कुछ बड़ा बदलाव लाने कि तैयारी कर चुका है। बात धीरे-धीरे सामने आएगी....

श्रवण कुमार शुक्ल
आईएएनएस 
@ बिना अनुमति प्रकाशन अवैध. हर आर्टिकल के लिए मेहनत किया जाता है इसलिए प्रकाशन से पहले अनुमति लेना अनिवार्य..
(NOTE-आर्टिकल एक सप्ताह पूर्व ही लिखा जा चूका था .. कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण यहां पब्लिस होने में देर लगी ..)

abhishek anand: सुशासन का एडीएम मेरा गला दबाता है, रूम बंद करता है, और दिवार से टकराता है: क्योंकि मैंने सच बताया

abhishek anand: सुशासन का एडीएम मेरा गला दबाता है, रूम बंद करता है, और दिवार से टकराता है: क्योंकि मैंने सच बताया

यह जो कुछ हुआ बेहद चौकाने वाला है ... अगर दो लड़के आपस में किसी बात पर गुस्सा होकर लड़ लिए तो यह बड़ी बात नहीं....लेकिन अगर कोई अधिकारी रंक का आदमी ऐसी बदतमीजी करता है तो वह बहुत पूरी बात है .. मै होता इतना सब करने के बाद शायद उसे नहीं छोड़ता..लेकिन सुरक्षित भविष्य की खातिर इस अपमान को तुम लोग बर्दास्त कर गए... बच्चों के बीच में उन्हें नहीं आना था.. और अगर आ ही गए थे तो इतनी बदतमीजी और बद्द्जुबानी उन्हें नहीं करना चाहिए था.. उन्होंने पूरी तरह से अपने रौब और वर्दी का इस्तेमाल कानून के खिलाफ धमकाने और घटियापन में आकार किया.. शायद उन्हें बड़े बाप के बड़े लड़के का दवाब भी रहा.. लेकिन अगर ऐसे ही दवाब में आकार यह काम करते रहे तो देश का क्या होगा? आज यह बच्चों को ऐसे धमका रहे कल इनके बच्चों को कोई धमकाएगा(हालांकि सारे लोग इतने बदजुबान नहीं होते ) .. तो मरने कटने की नौबत आ जाती ... अगर आप लोग नहीं बोले तो शायद उसमे दूसरा भी कोई पहलू रहा होगा जो शायद मै नहीं जानता ...लेकिन अब ऐसे में तो यही कहूँगा.. कि अगर यह बिहार का सुशासन है तो इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता...

Sunday, June 5, 2011

राजनीतिक घरानों में वर्चस्व की जंग कोई नई बात नहीं


वैसे तो भारत देश में राजनीतिक घरानों में वर्चस्व की आपसी जंग कोई नई बात नहीं है .. इसी कड़ी में कई सारे राजनीतिक परिवारों के आपसी कलह और वर्तस्व के जंग को कलमबद्ध करने के प्रयास किया गया है । स्वतन्त्र भारत में यह परंपरा नेहरु-गाँधी परिवार के ज़माने से ही चली आ रही है। इस कड़ी इंदिरा-संजय टकराहट तो जग-जाहिर है । कांग्रेस पार्टी से बगावत करके खुद की पार्टी कांग्रेस(इंदिरा) खड़ी करने वाली इंदिरा और उनके छोटे पुत्र संजय गाँधी में वर्चस्व की जंग इस कदर थी कि संजय गाँधी के हवाई दुर्घटना में मारे जाने को लोगो ने इस मामले से जोड़ कर देखा । उसके बाद मेनका गाँधीसोनिया गांधी में टकराहट... अभी तक चल रही है .. 

इंदिरा परिवार.. जो अब कभी एक साथ शायद ही आ पाए 
मेनका गांधी और उनके सुपुत्र जहाँ भाजपा पार्टी में रहकर अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे हैंवही सोनिया गांधी और राहुल गाँधी कांग्रेस के सर्वेसर्वा रहकर इस सबसे पुराने राजनीतिक घराने की बागडोर सम्हाल रहे हैं जहाँ उन्हें उनकी बहन प्रियंका गांधी का भी सहयोग प्राप्त होता रहा है...। हाल ही में वरुण द्वारा अपनी शादी में कड़वाहट कम करने की पुरजोर कोशिश हुई लेकिन उनकी ताई सोनिया गाँधी ने व्यस्त होने का बहाना बनाते हुए शादी में आ पाने में असमर्थता जाहिर करते हुए इस बहस को एक और नई दिशा दे दी।

अब बात सिंधिया खानदान में वर्चस्व के जंग की ... यह ग्वालियर के मराठा शासक परिवार का वह नाम है जिसने 18वीं सताब्दी से ही उत्तरी भारत की राजनीति में गहरी पैठ बनाये रखी है। ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की प्रतिद्वंदिता से कौन वाकिफ नहीं होगा माधव राव सिंधिया - वसुंधरा राजे ने तो एक दूसरे की प्रतिद्वंदिता  में रहकर  क्रमशः कांग्रेस और भाजपा में गहरी पैठ बनाते हुए मंत्री- मुख्यमंत्री पद तक की कमान  सम्हाली।… माधव-राव सिंधिया की मौत के बाद उनके पुत्र ज्योतिरादित्य राव सिंधिया केंद्र सूचना और वाणिज्य राजमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं। विजयाराजे सिंधिया की तीन पुत्रियों उषा राजे सिंधियावसुंधरा राजे सिंधिया एवं यशोधरा राजे सिंधिया एवं पुत्र माधवराव सिंधिया के बारे में हर कोई जानता है किसी को यह बताने की जरुरत नहीं कि उनमे वर्चस्व की जंग किस कदर हावी रही। ..इस परिवार का आपसी विवादों से पुराना नाता रहा है। सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद नई बात नहीं है। 1971 में प्रिवीपर्स की समाप्ति के बाद सिंधिया परिवार ने संपत्ति का मौखिक बंटवारा कर लिया था। 1989 में उन्होंने इस दावे को अदालत में चुनौती दी। ये मामला पुणे की अदालत में विचाराधीन है। एक और विवाद ग्वालियर की जिस हिरण वन कोठी में सरदार आंग्रे रहते थे,वहां माधवराव सिंधिया के निर्देश पर स्थानीय गुंडों ने तोडफ़ोड़ की। इस दौरान आंगे्र और राजमाता लंदन में थे। इस मामले में सिंधिया और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया। मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। उसी कड़ी में ग्वालियर किला परिवार में स्थित सिंधिया स्कूल को लेकर भी विवाद जारी है।


खुद को मराठा छत्रप समझने वाले एक और परिवार ठाकरे परिवार में इतना विवाद है कि उनके समर्थकों के बीच रोज ही मार-पीट की नौबात आती रहती है। एक-दूसरे के विरूद्ध उनकी बयानबाजी किसी नाटक के संवाद की तरह लगते हैं जिसे पूरे भारत के लोग सुनकर आनंद उठाते रहते हैं …कभी उद्धव ठाकरे से राजनीति में कई कदम आगे चलने वाले राज ठाकरे की शिवसेना में गहरी पैठ होने से घबराए बाल ठाकरे द्वारा उन्हें परिवार व पार्टी से निकालने की घटना हुई तो कभी शिवसेना के विरूद्ध नया राजनीतिक दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाने वाले राज ठाकरे का शिवसेना सुप्रीमों के खिलाफ बयान बाज़ी चर्चा में रही... गौरतलब है कि वर्ष पहले 2005 में मालवण में नारायण राणे की विधावसभा उपचुनाव में जीत के बाद राज और उद्धव ठाकरे के बीच विवाद एक बार फिर सतह पर उभरा और उन्होंने पार्टी प्रमुख बाल ठाकरे को उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ एक चिठ्ठी लिखी।
ऐसी ही एक चिट्ठी अगस्त 2004 में राज ठाकरे ने और लिखी थी इसमें उद्धव ठाकरे का ज़िक्र किए बिना कहा कहा गया था कि पार्टी के निष्क्रिय लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए।
उद्धव और राज के साथ बालासाहेब ठाकरे(बीच में)
उस समय उद्धव के क़रीबी और पार्टी के मुखपत्र 'सामनाके संपादक संजय राउत ने राज ठाकरे के ख़िलाफ़ टिप्पणियाँ भी प्रकाशित की थी।
मुंबई में एक आमसभा में राज ठाकरे ने कहा था , "शिवसेना का गठन मेरे जन्म से पहले हो चुका था और शिवसेना मेरे ख़ून में है." साथ ही उन्होंने कहा था कि "शिवसेना में अब दलाल आ गए हैं जो पहले नहीं थे।"
इस घटना के बाद ही राज ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम की पार्टी बनाई जिसके कुछ मुख्य उद्देश्य शिवसेना से मिलते जुलते है। पिछले विधान-सभा चुनावों में मनसे के खड़े होने से शिवसेना-भाजपा गठबंधन की दुर्गति को हर आदमी जानता है। आज भी उद्धव और राज एक मंच पर कभी नहीं आते ..चाहे वह स्थिति कुछ भी हो … हालांकि दोनों के पार्टी का मुख्य उद्येश्य महाराष्ट्र का गौरव बढ़ाना ही है फिर भी पारिवारिक कलहों की वजह से दोनों एक साथ आने को आतुर नहीं दिखते।

उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे शिवसेना प्रमुख बाला-साहेब ठाकरे के भतीजे हैं ..शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में नजर आने लगी है। अभी तक बाल ठाकरे की विरासत को लेकर बेटे उद्धव और भतीजे राज में ही जंग नजर आ रही थी। लेकिन इस मैदान में उद्धव के बेटे आदित्य और राज के बेटे अमित ठाकरे भी दांवपेंच सीखने उतर पड़े हैं।
समाज सुधारक प्रबोधन ठाकरे के कार्टूनिस्ट बेटे बाल ठाकरे ने जब राजनीति की डगर में कदम रखा तो कोई नहीं जानता था कि एक अहम राजनीतिक घराने की नींव पड़ने जा रही है। लेकिन शिवसेना के जरिए ठाकरे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में आज अहम हैसियत हासिल कर चुका है।
शिवसेना की विरासत जब उद्धव ठाकरे को सौंपी गई तो कभी उत्तराधिकारी समझे जाने वाले राज ठाकरे ने बाल ठाकरे से बगावत करके महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली। चचेरे भाइयों की ये जंग किसी मुकाम तक पहुंची भी नहीं थी कि उनके भतीजे भी सामने आ गए। उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे और राज के बेटे अमित ठाकरे अपने-अपने पिता को लड़ाई में ताकत देने मैदान में कूद पड़े हैं।

इस बारे में राजनैतिक विश्लेषको का कहना है कि ठाकरे परिवार की चौथी पीढ़ी राजनीति में उतर गई है। राज ठाकरे की पार्टी युवाओं की पार्टी है इसलिए उनके बेटे भी आए हैं और आदित्य ठाकरे भी युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आदित्य पिछले एक साल से कभी अपनी कविता संग्रह का विमोचन महानायक अमिताभ और अपने दादा बालासाहेब से करवा कर तो कभी अपने पिता के साथ महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों की पार्टी रैलियों में हिस्सा लेकर सुर्खियों में आते रहे हैं। महज 19 साल की उम्र में वे जिस बेबाकी से मीडिया से बात करते हैं इससे भी साफ होता है कि वे पूरी तैयारी से मैदान में उतरे हैं।
उधरराज ठाकरे भी अपने बेटे अमित ठाकरे को चुनावी सभाओं मे लेकर जा रहे हैं। वो भी चाहते हैं कि लोगों का ध्यान अमित की ओर जाए। राज ने अपने भाषण में मंच से कहा कि मैं चाहता तो अपने बेटे को ऊपर मंच पर बिठा सकता था लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता।

बहरहालआदित्य और अमित फिलहाल अपनी पढ़ाई पूरी करने में जुटे हैं। लेकिन राजनीति ही उनका भविष्य है इस पर किसी को शक नहीं रह गया है।

मुलायम-शिवराज-अखिलेश को शीर्ष में रखकर बनी समाजवादी पार्टी(सपा) वैसे तो पारिवारिक पार्टी ही मानी गई है क्योकि उसमे पार्टी के मुखिया से लेकर सभी महत्वपूर्ण पद उनके घर के सदस्यों के पास ही है । बगावत करने वालो को अक्सर पार्टी से बाहर खदेड़ दिया जाता है जिसका ताज़ा उदहारण अमर सिंह बने है जिनकी समाजवादी पार्टी को बनाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस परिवार में भी वर्चस्व की जंग गाहे-बगाहे चलती ही रही है। अभी हाल ही में सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा अपने समधन को पार्टी से बाहर निकालने की खबरें मिली थी .. सपा सुप्रीमो के फैसले को न मानने वाले लोगों के खिलाफ सपा मुखिया क्या कार्यवाही कर सकते हैं इसका जीता जगता सबूत उस समय देखने को मिला जब मैनपुरी की पूर्व विधायक उर्निला यादव और पूर्व जिलाध्यक्ष के० सी० यादव को सपा से इसलिये निकला गया क्योकि ये लोग सपा सुप्रीमो के फैसले का विरोध कर रहे थे |
यादव परिवार 

 सपा मुखिया ने इस फैसले से बगावत करने वालों को सचेत किया है कि परिवार में जो भी उनकी बात नहीं मानेगा वह उनकी कोप-भाजन का शिकार बनेगा ..सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की समधन मैनपुरी की पूर्व विधायक रहीं उर्मिला यादव सपा मुखिया मुलायम सिंह के सगे भाई अभयराम सिंह यादव की पुत्री बबली यादव की सास हैं।..


लालू-राबड़ी के परिवार में साधू-सुभाष को पार्टी से निकालने के बाद जो कुछ भी जाना समझा गया, उसमे हर जगह अपनी दबंगई के लिए मशहूर रहे साधू और सुभाष से लालू की प्रतिद्वंदिता के नित नए किस्से सुनने को मिले।कभी यह चारों एक-दूसरे के लिए शान समझे जाते थे आज हालत यह है कि यह एक-दूसरे का सामना करने से भी कतराते है … चारा-घोटाला जैसे महत्त्वपूर्ण घोटालों में फसने के बाद इनके बीच कड़वाहट आनी शुरू हो गई थी जो बाद में सुभाष-साधू को परिवार और पार्टी से लालू द्वारा बेदखल करने के बाद भी बदस्तूर जाती है।

डीएमके पार्टी अध्यक्ष करुनानिधि के परिवार में भी वर्चस्व के जंग के पुराना नाता रहा है ..जो अभी भी निर्बाध गति से चला आ रहा है। करूणानिधि के परिवार से एक परिचय-- उनकी तीन पत्नियां हैं पद्मावतीदयालु आम्माल और राजात्तीयम्माल.उनके बेटे हैं एम.केमुत्तुएम.केअलागिरी, एम.केस्टालिन और एम.केतामिलरसुउनकी पुत्रियां हैं सेल्वी और कानिमोझी.कानिमोझी राज्यसभा की सांसद हैंपद्मावतीजिनका देहावसान काफी जल्दी हो गया थाने उनके सबसे बड़े पुत्र एम.केमुत्तु को जन्म दिया थाअज़गिरीस्टालिनसेल्वीऔर तामिलरासु दयालुअम्मल की संताने हैंजबकि कनिमोझी उनकी तीसरी पत्नी राजात्तीयम्माल की पुत्री हैं।
डीएमके परिवार
इस परिवार में मारन-स्टालिन-वाइको को लेकर इतना विवाद हुआ कि कालांतर में कई मौको पर वो एक – दूसरे के खिलाफ खुलकर कदम उठाते रहे। दुनिया जानती है कि करूणानिधि को अपने परिवार के भूले-भटके सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच होता है हालांकि गलत कार्य करने का दोषी पाए जाने पर उन्होंने अपने अन्य दो बेटों एमकेमुथु और एमकेअज़गिरी को निष्कासित कर दिया है और इसी तरह दयानिधि मारन को केन्द्रीय मंत्री पद से हटा दिया है।.. इस परिवार के टेलीकाम घोटाले में फसने के बाद एक बार फिर से बड़ी कड़वाहट घुलने के आसार नज़र आ रहे हैं।

ताजे विवाद में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपाके संस्थापक एन.टी.रमा राव (एनटीआरके परिजनों और उनके दामाद व पार्टी अध्यक्ष चंद्र बाबू नायडू के बीच उत्तराधिकार को लेकर टकराहट एक कार्यक्रम में फिर से सामने आ गई।
चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश नायडू को उत्तराधिकारी के रूप में बढ़ावा देने के प्रयास पर एनटीआर के बड़े बेटे नंदमूरी हरिकृष्णा ने कार्यक्रम को संबोधित करने से इनकार कर दिया और मंच छोड़कर चले गए।


हरिकृष्णा के बेटे नंदमूरी तरक रमा राव भी कार्यक्रम छोड़कर चले गए। हरिकृष्णा के बेटे लोकप्रिय अभिनेता हैं जिन्हें जूनियर एनटीआर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में तेदेपा के लिए चुनाव प्रचार किया था। हैदराबाद में उनकी मौजूदगी को लेकर दोनों परिवारों के बीच टकराव की आशंका बनी हुई थी।


पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य हरिकृष्णा चाहते है कि उनके बेटे जूनियर एनटीआर तेदेपा की कमान संभालें। उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता वाईरामकृष्णनुडू से नोकझोंक हो गई। इसके बाद हरिकृष्णा ने रामाकृष्णनुडू के आग्रह को मानने से इनकार कर दिया और कार्यक्रम छोड़कर बाहर चले गए।

इसी कड़ी में वाईएसआर रेड्डी के हर कदम पर उनके साथ चलने वाले उनके भाई वाईएस विवेकानंद रेड्डी की उनकी भतीजे जगनमोहन और भाभी विजयाअम्मा के बीच ठना-ठनी का माहौल चल रहा है  वाईएसआर रेड्डी की मृत्यु के बाद जब उनके पुत्र जगनमोहन ने अपनी माँ-और खुद को कांग्रेस द्वारा धोखा दिए की बात कही तो उनके चाचा वाईएस विवेकानंद रेड्डी खुलकर उनके विरोध में आ गए 

यहां तो यह जंग इतनी ज्यादा है कि 8 मई को कडमा विधानसभा सीट पर विजयाअम्मा के खिलाफ विवेकानंद रेड्डी ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन जनता के आक्रोश और वाईएसआर रेड्डी की मृत्यु के बाद जनता की सहानुभूति के तूफ़ान में विवेकानंद की एक न चली और उन्हें करारी मात का सामना करना पड़ा

बहरहाल अभी बस इतना ही क्योकि अपने यहां राजनैतिक घरानों में वर्चस्व की जंग कोई नई बात नहीं है। .. यह राजाओं-महाराजाओ के ज़माने से चली आ रही है, .. जोकि अबाध गति से चलती रहेगी...। फिलहाल तो उपरोक्त राजनीतिक घरानों में सुलह की कोई तस्वीर नज़र नहीं आती....…

श्रवण कुमार शुक्ला
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