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Tuesday, July 28, 2015

भारत मां के अमर बेटे हैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

कई बेवकूफों के पोस्ट देख रहा हूं जो कलाम साहब के मुस्लिम होने को लेकर है। अरे मूर्खों, कलाम जैसे धर्मात्मा अरबों सालों में होते हैं। कलाम वर्तमान भारत देश के कृष्ण हैं। जिन्होंने हनुमान जैसा ब्रह्मचर्य निभाया। कृष्ण जैसी दूरदृष्टि। राम जैसा पुरुषत्व, भोले बाबा जैसा सेवक... तुम क्या समझोगे बेवकूफो।

वो समय याद करो, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीआरडीओ के बजट को बंद कर दिया था, तो इंदिरा ने कलाम साहब के हाथों सीक्रेट बजट सौंपकर देश के सुरक्षा मिशन का जिम्मा ही सौंप दिया... और अब हमारे पास पृथ्वी, जल, आकाश की सुरक्षा का चक्र है। स्माइल बुद्धा की स्माइल है। अपना जीपीएस(केवल सैन्य) सिस्टम है। हम आत्मनिर्भर हैं। वो अलग बात है कि देश के नेताओं की कभी हिम्मत ही नहीं हुई, खुलकर सामने आने की। सिवाय अटल बिहारी वाजपेयी के। जिनके एक फोन पर डॉ साहब ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाल 5 साल अपने छात्रों से दूर रहे। हालांकि बीच बीच में वो सबसे संपर्क करते रहे, यहां तक कि तिरुवनंतपुरम के जिस होटल में वो वैज्ञानिक के तौर पर रुकते रहे, उसके मालिक से भी फोन पर बात करते रहे।

तुम क्या जानों, हिंदू मुस्लिम। एक पाकिस्तानी अब्दुल कादिर हुआ, जिसने परमाणु बम को इस्लामिक बम बना दिया, तो दूसरे हमारे अपने अबुल पाकिर जैनुलआबदीन अब्दुल कमाल साहब रहे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। हमें सर उठाकर जीने और हमारी संपूर्ण सुरक्षा का बंदोबस्त कर गए। कलाम साहब ने अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन किया, उन्होंने तमाम हिंदु साधु-संतों का आशिर्वाद भी लिया। वो कहां से मात्र मुस्लिम दिखे? न ... वो हमारी मां के सच्चे सपूत थे। डॉ साहब हमारी मां के सबसे महान बेटे थे। मेरे जैसे लाखों-करोड़ों की प्रेरणा हैं। हमारे जैसे लोगों के दिलों में हैं। वो कहीं नहीं गए, हमारे बीच फैल गए हैं।

महान आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि... अभी उनके अंतिम दर्शन करके लौटा हूं। पत्रकार होने के नाते नहीं, एकलव्य होने के नाते। उन्होंने हमेशा कहा कि पहली सफलता पर खुश मत हो जाओ, क्योंकि बाकी तुम्हारी असफलता पर हंसी उड़ाने को तैयार हैं।

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