( फिर आया दीवाना) |
जितने करीब आ रहे हैं...
दिल की धड़कने बढ़ रही हैं
बेताबी बढ़ रही है
तुझपे प्यार आ रहा है
इन पलों में क्या करुं... बस यही सोच रहा हूं
सोचता हूं, क्या हम फिर मिलेंगे
लेकिन कब ?
शायद कभी नहीं
ये विदाई की बेला है
जिसे कोई टाल नहीं सकता
लेकिन मिटा तो सकता है ?
खुद को ?
तो कोशिसें जारी हैं
खुद को मिटानें की
खुद को सताने की
लेकिन वो पल बड़ा अजीब होगा
जब डोली उठेगी मेरे सामने
घर जाएगी मेरे या किसी और के
ये सोटने की बात नहीं
लेकिन उस सफर के बाद
क्या अजीब मंजर होगा
शायद मैं न रहूं..
ये देखने के लिए
दोस्तों... मैं रहूं या न रहूं
मेरी मय्यत पे एक तस्वीर डाल देना
उसकी डोली उठने से पहले की
शायद तब मैं सुकून से जा सकूं
वहां..
जहां से कोई वापस नहीं आता..
कुछ इस तरह चाहत है मेरी
आखिरी पल जितने करीब आ रहे हैं..
धड़कनें बढ़ रही हैं मेरी
समां रहा हूं धड़कनों में अपनीं..
जहां तेरा वास है..
ऐ मोहब्बत..।
2 comments:
समां रहा हूं धड़कनों में अपनीं..
जहां तेरा वास है..
ऐ मोहब्बत..। दिल से चाहे हो
हर पल निहारे हो
ऐ दोस्त ये चाहतो का सिलसिला है
कभी पास तो कभी शिकवा और गिला है
कभी पास होती है एकदम मंजील
तो कभी दुर होने का सिलसिला है।
Awesome.. :) just heart touching
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