लोकसभा चुनाव नज़दीक है धर्मगुरुओं के पास नेताओं का आना जाना शुरू हो गया है। किसको वोट देना है ये धर्मगुरु ही तय करते है और अपने आजमगढ़ की तो खासियत है वोट किसको देना है ये वोट देने के एक दिन पहले तय होता। जनता अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करती है। दुसरे से पूछती है.. का हो! किसकी हवा चल रही है। हवा देख कर वोट देने जाते हैं। उम्मीदवार कैसा है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
आपसे मेरा अनुरोध है कि आप किसी इमानदार को हो अपना वोट दे। वह चाहे जीते या हारे पर जिसका जो हक है उसे मिलना चाहिए . बीस वर्षो से अपने एक ही पार्टी को समर्थन दिया है पर फिर भी विकास कोसों दूर है। यार! अब तो अपना टेस्ट बदलो। हो सकता है इस बार गलती से तुम्हारा वोट किसी अच्छे उमीदवार को जिता दे।
हर पार्टी के अपने धर्म गुरु हैं, जिससे वो आसानी से वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लेते हैं। क्योंकि, नेताओं के बस की बात नहीं की वो जनता को अपने तरफ खींच सके। यह काम बिके हुए धर्मगुरु बहुत आसानी से कर लेते है क्योंकि इनकी fan following बहुत बड़ी होती है। . अब बहुत सारी सेमिनार और भीड़ जमा करने वाली योजनाएं शरू होंगी, जहां भोली भाली जनता को लोलीपोप दिखाए जायंगे।
अपना वोट उमीदवार देखकर दें। नाकि किसी पार्टी को देखकर। हर पांच साल में अपना नेता बदलो ताकि दूसरे नेता को भी चांस मिले। बहुत से अच्छे नेता भी हैं आजमगढ़ में, लेकिन हर बार एक ही नेता क्यों ? एक ही पार्टी क्यों ?
मैं कभी भी किसी एक पार्टी का प्रशंसक नहीं रहा। जब, जैसी परिस्थियां होती है मेरा वोट उसी को जाता है। यह मेरा अपना मत है, अपने सुझाव से मुझे भी अवगत कराएं। बड़ी मेहरबानी होगी......
(Zahid Azmi) |
जाहिद आजमी (लेखक उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से हैं, उन्होंने यह टिप्पणी आजमगढ़ के सियासी हलचल और मतदाताओं को मद्देनजर रखते हुए दी है। वर्तमान समय में बिहार-झारखण्ड के नम्बर-1 न्यूज चैनल महुआ न्यूज में कार्यरत)
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