1 happy ….. we all know all lovestories r nt completed …mirza and heer and all …. Wen we fall in love all is awesomm ..feels special …smile without reason …thinks of betterhalf all tim long …wanna b with them all tim long …. Bt wen we think of future it makes us sad … becoz I think may b our lovestory will b also left alone same way ….
Tuesday, May 28, 2013
IS FaceBoOk LovE CorRecT ...??
1 happy ….. we all know all lovestories r nt completed …mirza and heer and all …. Wen we fall in love all is awesomm ..feels special …smile without reason …thinks of betterhalf all tim long …wanna b with them all tim long …. Bt wen we think of future it makes us sad … becoz I think may b our lovestory will b also left alone same way ….
Monday, May 6, 2013
जय हो, आजमगढ़ के विकास और यहां के जनता की...
लोकसभा चुनाव नज़दीक है धर्मगुरुओं के पास नेताओं का आना जाना शुरू हो गया है। किसको वोट देना है ये धर्मगुरु ही तय करते है और अपने आजमगढ़ की तो खासियत है वोट किसको देना है ये वोट देने के एक दिन पहले तय होता। जनता अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करती है। दुसरे से पूछती है.. का हो! किसकी हवा चल रही है। हवा देख कर वोट देने जाते हैं। उम्मीदवार कैसा है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
आपसे मेरा अनुरोध है कि आप किसी इमानदार को हो अपना वोट दे। वह चाहे जीते या हारे पर जिसका जो हक है उसे मिलना चाहिए . बीस वर्षो से अपने एक ही पार्टी को समर्थन दिया है पर फिर भी विकास कोसों दूर है। यार! अब तो अपना टेस्ट बदलो। हो सकता है इस बार गलती से तुम्हारा वोट किसी अच्छे उमीदवार को जिता दे।
हर पार्टी के अपने धर्म गुरु हैं, जिससे वो आसानी से वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लेते हैं। क्योंकि, नेताओं के बस की बात नहीं की वो जनता को अपने तरफ खींच सके। यह काम बिके हुए धर्मगुरु बहुत आसानी से कर लेते है क्योंकि इनकी fan following बहुत बड़ी होती है। . अब बहुत सारी सेमिनार और भीड़ जमा करने वाली योजनाएं शरू होंगी, जहां भोली भाली जनता को लोलीपोप दिखाए जायंगे।
अपना वोट उमीदवार देखकर दें। नाकि किसी पार्टी को देखकर। हर पांच साल में अपना नेता बदलो ताकि दूसरे नेता को भी चांस मिले। बहुत से अच्छे नेता भी हैं आजमगढ़ में, लेकिन हर बार एक ही नेता क्यों ? एक ही पार्टी क्यों ?
मैं कभी भी किसी एक पार्टी का प्रशंसक नहीं रहा। जब, जैसी परिस्थियां होती है मेरा वोट उसी को जाता है। यह मेरा अपना मत है, अपने सुझाव से मुझे भी अवगत कराएं। बड़ी मेहरबानी होगी......
(Zahid Azmi) |
जाहिद आजमी (लेखक उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से हैं, उन्होंने यह टिप्पणी आजमगढ़ के सियासी हलचल और मतदाताओं को मद्देनजर रखते हुए दी है। वर्तमान समय में बिहार-झारखण्ड के नम्बर-1 न्यूज चैनल महुआ न्यूज में कार्यरत)
Saturday, May 4, 2013
दोस्त की शादी, बोले तो मस्ती का फुलडोज..
श्रवण शुक्ल
आज दिनांक
05/05/2013 है। सुबह का समय है, 3.11AM हो रहे हैं। नींद नहीं आ रही है, पता है
क्यों? क्योंकि 8 मई को मुझे अपने गांव के लिए निकलना है। हां! वहां शादी है, शादी
है मेरे दोस्त की। और आज बरीक्षा होने वाला है। वैसे यह दोस्त से ज्यादा बड़े भाई
हैं मेरे, लेकिन अहम कभी नहीं दिखा।
Shravan Shukla 9716687283 |
वैसे तो वह मुझे कई
साल बड़े हैं, लेकिन हम दोनों की अच्छी ट्यूनिंग है। वजह कुछ भी हो सकती है। मुझे
नहीं मालूम! वैसे एक समय होता था, जब मेरे सगे बड़े भाई और विमल में जमकर लड़ाई हुई
थी, लाठियां तक चल गई थी। मगर, इतना सब होने के बाद भी हम दोनों के बीच सबकुछ
नार्मल रहता है, नार्मल क्या? हमेशा हमारा रिश्ता एक नई उंचाई पर ही मिलता है।
एक और बात! देखा जाए
तो वह मेरे दूर की रिश्तेदारी में मौसी के बेटे हैं, इस लिहाज से भी वह मेरे बड़े
भाई हुए। हां! हम दोनों अगर किसी जगह बराबर दीखते थे, तो वह क्रिकेट के मैदान में।
अक्सर हम दोनों एक ही टीम से होते थे, मेरा काम सिंगल देने का होता था, तो विमल का
ऑफ साइड की गेंदों को भी लेग साइड में दूर तक उछाल देने का था, जो एक ओवर में 5
छक्के तक हो जाया करती थी। अब जब से दिल्ली जैसे महानगर में निरंतर रहने लगा हूं,
तब से गांव के दोस्तों की बेहद याद आती है। याद सबकी आती है, लेकिन टिंकू, डिम्पू,
रिंकू, सेके और विमल की बात अलग है। एक और बात, जितने नाम मैंने लिए उनमें से
रिंकू एक नंबर का डरपोक खिलाडी है, सिर्फ क्रिकेट में! वैसे तो वह लड़ाई झगडे के
मैदान का बेख़ौफ़ खिलाडी है, किसी के आगे झुकता नहीं. सभी से भिड जाता है, इसलिए
उससे भी मेरी अच्छी बैठती है। आजकल वह दिल्ली में ही है, इसलिए हम दोनों साथ में
विमल की शादी के लिए निकलेंगे, एक ही पीएनआर पर दोनों के टिकट हैं। खास बात यह है
कि रिंकू और जिसकी शादी में जाना है, यानि विमल.. यह दोनों चचेरे भाई हैं। खैर,
ज्यादा नहीं उल्झाऊंगा, रिंकू का छोटा भाई टिंकू है, रिंकू जहां मेरा क्लासमेट रहा
है तो टिंकू मेरी उमर का है, मुझसे कुछ महीनों छोटा, लेकिन क्रिकेट का मास्टर है।
वह बहुत कम उम्र से ही हरफनमौला प्लेयर है, हालांकि पहले जैसी अब बात नहीं। इसकी
वजह भी काफी हद तक मुझसे जुडी रही। खैर, क्या वजहें रहीं, उनका उल्लेख नहीं करना
चाहूंगा।
एक और खिलाड़ी सेके,
जिनका वास्तविक नाम छोटे जीतेन्द्र है, क्योंकि रिंकू का नाम भी जीतेंद्र है, और
दोनों एक साथ एक ही क्लास में आए, तो मास्टर जी के लिए बड़े जीतेंद्र और छोटे
जीतेंद्र में बदल गए। घर भी दोनों का सटा हुआ है। वैसे रिंकू-सेके और शुकुल यानि
मैं, हम तीनों 4-5वीं क्लास में एक ही स्कूल में साथ ही पढ़े थे।
इन दोस्तों में एक
और किरदार जों शायद सबसे अहम है, उसके बारे में बताना चाहूंगा। नाम है डिम्पू यानि
शैलेन्द्र उर्फ नेताजी। मेरे पहली की पहली कक्षा से लेकर अबतक, हर कदम पर मेरे साथ
रहा है। हमने लड़कियां छेड़ी हैं, तो साथ में दूर दूर तक मंदिर भी गएं हैं।
विन्ध्याचल मंदिर से लेकर महावीरन बाबा और अन्य जगह। नेवता खाने में हम दोनों का
कोई सानी नहीं। कइयो किलोमीटर तक हम दोनों साथ नेवता खाने चले जाया करते थे। हम
दोनों कई कुटम-कुटाइयों में भी साथ रहे हैं। इंटर कालेज के दौरान चाहे पूरे गांव
के गांव पर भारी पड़ना रहा हो, या पड़ोस की गांव में रहने वाली लड़की के पीछे जब मैं
पड़ा था, उस समय पूरे गांव से बचाने की जिम्मेदारी जिसपर थी, वह नेताजी ही हैं। मेरा
देर रात को सुल्तानपुर शहर से गांव आना हो, या दिल्ली में रहकर गांव का वोटर-आई
कार्ड बनवाना। सारी जिम्मेदारी नेताजी की होती है, कह सकते हैं कि अगर नेता जी
मेरे दोस्त नहीं होते तो शायद ज़िन्दगी में इतनी तेज़ी नहीं होती, ठहरन सी रहती। वैसे
विमल की शादी में तो जरूर जा रहा हूं, सभी दोस्त मिलेंगे, लेकिन नेताजी के साथ तो
कुछ अलग ही प्लान है। देखते हैं, हम कहां तक जाते हैं।
वैसे तो हर किसी की
ज़िंदगी में दोस्तों की जगह बेहद अहम होती है, लेकिन मेरे मुट्ठी भर दोस्तों में बस
इतने ही हैं, जिन्हें मैं हर जगह बेधड़क अपने साथ लिए चल सकता हूं। और भी किरदार
हैं, जैसे दिल्ली में राहुल पल्हानिया, लालित्य वशिष्ठ और अब एक नया दोस्त प्रतीक।
दिल्ली वालों दोस्तों के बारे में फिर कभी बताऊंगा, खासकर राहुल के साथ बिताए समय
को। अगर गांव में नेताजी हैं तो शहर में राहुल। वैसे, दोस्त हमेशा अच्छे ही होते
हैं, कुछ ‘कमीने’ समय को छोड़कर।
अमां यार! पूरे
फ्रेंड सर्कल में आप लोगों को घुमा चुका हूं। अब विमल की शादी पर आते हैं। आज 5 मई
है। सुबह के 3.31AM हो चुके हैं। आंखो से नींद गायब है। पता है क्यों? दरअसल आज
विमल का बरीक्षा है। गांवो में कन्या पक्ष को लूटने का एक कार्यक्रम समझ लीजिए,
वैसे तो मैं ऐसे किसी भी शाहीखर्च से दूर रहता हूं, लेकिन परम्पराओं को लेकर अभी
उस स्थिति में नही हूं, कि मैं बड़े लोगों से बहस कर सकूं। हां! अपनी शादी के समय
इन सबसे दूर रहने की कोशिश जरूर करूंगा।
तो, आज विमल का
बरीक्षा है, कन्यापक्ष के लोग उलट बाराती की तरह आज विमल के घर आएंगे, यहां बहुत
सारी प्रक्रियाएं संपन्न होंगी, जिन्हें यहां नहीं बता सकते, कोई गांव का बंदा
होगा तो समझ जाएगा। वैसे, आज शाम नेवते का भी प्रोग्राम है। वही नेवता, जिसके पीछे
हम कई-कई किलोमीटर तक चले जाया करते थे, अक्सर नेताजी के साथ, नहीं तो टिंकू,
रिंकू के साथ। दूर वालों में विमल के साथ भी। एक बात और याद आ गई, नेवते से। काफी
समय पहले की बात है, जब हम बहुत छोटे थे। हां,
तो उस समय हम पड़ोस के गांव में नेवता खाने गए थे, मैं और टिंकू। बाकी भी थे, लेकिन
वह आगे निकल गए। सभी लौट रहे थे, उसी समय एक लड़के से किसी बात को लेकर टिंकू की
बहस हो गई। टिंकू शुरू से ‘छोटा
भीम’ जैसा रहा है, हां! अंदर से
थोड़ा डरता था, लेकिन सपोर्ट पाने पर किसी को भी पटकने की ताकत रखता था। उस लड़के से
जब बहस हुई तो टिंकू ने कहा, ‘बेटा,
अभी हम घर जा रहे हैं, और अकेले हैं, वरना बताते’। यही वह लाइन थी, जों हमारे बीच अभी भी बेहद अच्छी
ट्यूनिंग रखती है। उस समय मैंने कहा, ‘अरे टिंकुआ! शाम ही तो हुई है न? मैं भी साथ हूं, आज इसकी ‘ले ही लेते हैं’। इतना कहना भर ही था कि टिंकू उस लड़के पर टूट पड़ा,
उसके बाद उस लड़के की क्या गत हुई, बताने लायक नहीं है। बस! वह लड़ाई, और हम दोनों
हमेशा के लिए दोस्त! कंधे पर हाथ रखकर दोनों घर को चले आए, उसके बाद ऐसी किसी भी हालत
में हम दोनों मार-कुटाई से कभी भागे नहीं। हाहाहा! क्या दिन थे यार।
खैर! नेवते पर थे
हम। आज हम नेवते के बाद और सभी कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे, लेकिन उससे खास मतलब
नहीं रहेगा, हम लैसे ‘लौडों’ को। हम तो बस क्रिकेट खेलेंगे, या फिर तफरी
करेंगे।
आज के बाद अगला खास
दिन 11 मई रहेगा। उसी दिन हम सभी नाचते गाते, विमल की बारात में धूम मचाएंगे। विमल
की शादी के बारे में सोचकर दिल रोमांचित हो उठता है। पता है क्यों? दिल में सिर्फ
यही आ रहा है कि हम सभी कभी किसी और की शादी में धूम मचाते थे, आज इसका नंबर आ
गया। इतना खुश हूँ कि अभी भी सोने के बारे में नहीं सोच रहा हूं। शायद
विमल से बात कर लेने के बाद नींद आए, तो 6 बजे के बाद बात करूंगा। वैसे शादी के
बारे में जब सोचता हूं तो अच्छा लगता है। 11 को शनिवार का दिन रहेगा, शाम के समय
हम सभी जी भरके नाचेंगे। पूरे गांव की महिलाएं और बच्चियां बारात को बिदाई देने
जाएंगी। सबकी निगाहें विमल पर रहेंगी, लेकिन सभी दूल्हों से उलट यह दूल्हा
शर्माएगा नहीं। पता है क्यों? क्योंकि गांव में होने वाली रामलीला में विमल हमेशा
से अच्छे-अच्छे किरदारों को जीता आया है, कभी लक्ष्मण तो कभी राम। यहां तक कि कई
दैत्यों का भी वेश धर चुका है। ऐसे में, कितनी भी निगाहें उसपर हो वह अच्छा ही
महसूस करेगा, वास्तविकता क्या होगी, वह मैं उसी दिन उसकी शकल से भांप लूंगा। यह
सोचकर थोड़ा अजीब लगता है, अजीब इसलिए लग रहा है कि हर दोस्त के बाद अपना नंबर करीब
आता जा रहा है। फिर भी, मैं निश्चिन्त हूं। क्योंकि शादी के झंझट से दूर रहने की
इच्छा घर पर पहले ही व्यक्त कर चुका हूं। शायद मेरी इच्छा का सम्मान किया जाए।
शाम के समय हम सभी
बारात विदा होने के बाद कन्यापक्ष के घर पहुंच जाएंगे। वहां फिर हम दोस्तों की धूम
मचेगी। खूब डांस होगा। इस बार भी शायद पिंटू-दीपक का मशहूर नागिन डांस हो। दरअसल,
यह दोनों गांव की शादियों में खूब नाचते हैं, दोनों शुरू से दोस्त रहें हैं, और
गांव की शादियाँ वैसे भी घर की शादियाँ होती है, तो सभी लोगों की दिमांड दोनों
पूरी करते ही हैं। इस बार भी ऐसा ही होगा। एक और खास बात! इस बार विमल की शादी के
साथ ही नाचने का आगाज मैं भी करूंगा। स्वभाव से शर्मीला होने की वजह से अबतक किसी
भी शादी में ढंग से नाच नहीं पाया, लेकिन अब लगता है कि जरूरी परिपक्वता मेरे अंदर
आ चुकी है, कि अब मैं अपने दोस्तों की शादी में खुलकर नाच सकता हूं।
काफी एक्साइटेड हूं।
शादी विमल की है, लेकिन दोस्त होने के चलते उससे कहीं ज्यादा खुशी मुझे है। पता है
क्यों? क्योंकि, शादी में आए रिस्तेदारों और दोस्तों से निपटने में ही लगा होगा
बेचारा, तो उसे सोचने की फुर्सत ही कहां? इसीलिए उसके हिस्से का काम मैं कर रहा
हूं। लेकिन सिर्फ अघोषित तौर पर।
आधी रात द्वारपूजा
तक नाच-गाना चलता रहेगा। इसी दौरान खाना-पीना भी हो जाएगा। इसके बाद दूल्हे की
असली परीक्षा शुरू होगी। पता है क्या? शादी की सारी प्रक्रिया। उफ़ पूरी बारात खाना
खाकर आराम करने की ओर होगी तो बेचारे दूल्हे मियां, अपनी जिंदगी के सबसे अहम पड़ाव
पर होंगे।
इस पड़ाव पर मैं खुद
भी रहना चाहता हूं। इस पल का साक्षी बनना चाहता हूं। पता है क्यों? क्योंकि यह
मेरे अच्छे दोस्त की शादी है। इसके बाद शुरुआत हो जाएगी। इसलिए भी कि मैं खुद
शादी नहीं करना चाहता। लेकिन मजे और सजे की बात तभी पता चलती है, जब आनंद उठाया
जाए। खैर, यह आगे की बात है, अभी से क्या सोचना। हो सकता है, कि माताजी के ‘इमोशनल अत्याचार’ के आगे झुकना पड़े। यह तो देखा जाने वाला मामला है। इस
वक्त वह सात फेरों के साथ कई अन्य वचन निभाने की कसमें खाने की तैयारी करता रहेगा। और
मैं, गवाह के तौर पर उपस्थित रहने की कोशिश करूंगा।
शादी के इस राउंड के
बाद भी दूल्हे को चैन नहीं रहेगा। पता है क्यों? क्योंकि इसके बाद भी ढेर सारे ‘काम’ होते हैं। अरे! वह ‘काम’ नहीं, बल्कि सालियों से भिड़ने का काम। अगर
मैं सही हूं तो, शायद कोहबर का पूजा वाला राउंड। अगर कुछ गलत हो तो माफ
करना, अनुभवी नहीं हूं न।
अब से ठीक एक सप्ताह
बाद इस समय यानि 4.00 AM बाराती, गहरी नींद में सो रहे होंगे। शायद मैं भी। लेकिन
इसमें बहुत सुख मिलेगा, पहला तो यह कि दोस्त अब ज़िंदगी के सफर पर अकेला नहीं
चलेगा। उसका साथ निभाने को ‘भाभीजी’ के रूप में जीवन संगिनी को लेने जो हम आए
रहेंगे।
घंटे-दो-घंटे बाद
सभी बाराती, मूड फ्रेस करने के मूड में होंगे। हां भई, सुबह सबसे जरूरी ‘काम’ वही होता है। इसके बाद सारे के सारे गंवई बाराती टूट पड़ेंगे। पता है
किसपर? चाय-पकोड़े-और नमकीन पर। हां! बारात में सुबह यही मिलता है। घंटे-दो-घंटे
यही चलेगा। फिर कन्यापक्ष का ‘नाई’ बारातियों को फाइनल राउंड के लिए घर पर आने
का आमंत्रण देगा, तबतक यह बारात गांव के बाहर किसी स्कूल की बिल्डिंग में या खेत
को बराबर कर लगाए गए शामियाने में रहेगी।
अब से एक सप्ताह बाद
यानि 12 मई को 9 बजे लगभग ‘खिचड़ी’ खाने का प्रोग्राम होगा। गांव की शादियों में
सबसे ‘रसिया’ प्रोग्राम। भई, सालियां और समधनी यहीं तो अपनी
कसर निकालेंगी। गालियों की बौछार रहेगी, ‘दुल्हे राजा खाय ला खिचड़ी’
जैसे गाने भी गाएं जाएंगे। इस दौरान मामा या किसी कि सलाह पर दूल्हा जैसे ही खिचड़ी
खाएगा, कन्यापक्ष के लोग फिर से हसी उड़ाने पर आ जाएँगे। इन गानों के साथ’ खिसियाय गएन, दूल्हे राजा, खिसियाय के खिचड़ी
खाय लिएन टाइप’। काफी समय हो गया
तो अब गाने याद नहीं रहे। फिर काफी देर तक मैं भी सालियों से चुहलबाजी करूंगा, पता
है क्यों? क्योंकि भईयाजी की सालियां यानि भाभीजी की बहने और उनकी सहेलियां हमारे
भईया को ‘रिश्वतस्वरुप’ गिफ्ट देती रहेंगी। इसी दौरान खूब हंसी मजाक
भी होगी। दोस्त होने के नाते और ‘छोटा
जीजाजी’ होने हक के चलते हम भी
वहां टूट पड़ेंगे, सालियों से मजाक करने। खैर यह तो देखा जाएगा, मजाक किया जाए या
नहीं। क्योंकि यह बात सालियों पर निर्भर करेगी। आजकल गोलियाँ भी चलने लगी हैं।
खैर, जों भी होगा, हम तो फुल मस्ती के मूड में रहेंगे।
खिचड़ी खाने के बाद
या साथ ही हम बारातियों को भी दक्षिणा के साथ विदा किया जाएगा। उसके बाद हम घर आ
जाएंगे। घर आने के बाद कुछ देर तक चहलपहल होगी, फिर रिश्तेदार और दूर के दोस्त
वापस जाने लगेंगे तो माहौल थोड़ा बदलेगा। लेकिन विमल की शादी के बाद, शाम तक माहौल
हम फिर से पहले वाला कर देंगे। पता है कैसे? अरे यार। हम क्रिकेटरों की मस्ती पर
कुछ भारी पड़ सकता है क्या? हां! हम इसी ताक में रहेंगे कि खिसकने का मौका कब मिले,
और हम निकाल जाएं। बागों में खेलने के लिए।
वैसे, सुनने में आ
रहा है कि गांव में आम की पैदावार जबरदस्त है। अगर ऐसा है तो रामकुबेर पाण्डेय जी
खैर मनाएं। गांव के सारे पुराने बदमाश इकट्ठे हो रहे हैं। उसकी आम के बाग से इस
बार भी खूब आम टूटेंगे। वैसे इस बार अपनी भी बगिया में आम काफी अच्छे लगे हैं। यह
देखा जाएगा। फ़िलहाल सुबह हो चली है। मेरे लैपटॉप और रीबोक की घडी के साथ स्पाइस का
मोबाइल भी समय4.16 AM दिखा रहा है।
अब विमल से बात करनी
है, ताकि मैं सो सकूं, और दोपहर या कल, आप सबको अपनी यह कहानी पढ़ा सकूं। फ़िलहाल तो
विमल की शादी को लेकर यहां मैं खोया हुआ हूं, सोच रहा हूं। अगर इतना ज्यादा खुश
मैं हूं तो विमल की क्या हालत होगी? यह तो विमल ही जानता होगा।
उस बेचारे को तो पता भी नहीं, कि वह आज अपने बरीक्षा में लगा होगा, और हम यहां कहानी
लिख भी चुके हैं। वैसे इस कहानी में डांस का तडका थोड़ा कम रहा, पता है क्यों?
क्योंकि मैं अपनी सारी ताकत और जोश विमल की शादी में डांस के लिए बचाकर रख रहा
हूं। अभी फ़िलहाल चलता हूं। शादी के कुछ दिन बाद 15-16 मई तक वापस आ जाऊंगा। फिर
शादी में की गई मस्तियों के बारे में बताऊंगा। अभी तो बस मुझे मज़े लेने तो, आप अगर
मजे ले रहे हों तो लें, लेकिन यह न सोचिएगा, ‘बेगानों की शादी में अब्दुल्ला...................., लेकिन यहां मामला उल्टा है !!!
Subscribe to:
Posts (Atom)
@ बिना अनुमति प्रकाशन अवैध. 9871283999. Powered by Blogger.