मआज़ खान- स्वतंत्र पत्रकार
रूपए मांगने का आरोप भी लगाया. अगर डॉ.दुबे के बारे में बात कि जाये तो तो वह उस समय चर्चा में आये थे जब उन्होंने 'द हीरो आफ चेंजिंग वर्ल्ड:बाराक ओबामा' नामी पुस्तक लिखी.उस पुस्तक से डॉ दुबे को काफी प्रसिद्धि मिली और उसी पुस्तक लिखने के कारण डॉ दुबे को बिहार सरकार ने बिहार भोजपुरी अकेडमी के अध्यक्ष के पद के लिए नियुक्त किया.मगर आज उनकी यह पुस्तक भी संदेह के घेरे में आ चुकी है और इस पुस्तक के बारे में यह आरोप लग रहे हैं कि डॉ दुबे ने इस पुस्तक को लिखने में कोई अधिक मेहनत नहीं कि बल्कि दुनिया भर में बराक ओबामा पर छपे लेखो को उठा कर हू बहू एक पुस्तक का रूप दे दिया है.डॉ दुबे ने इस पुस्तक लिखने में जो मेहनत कि है वो सिर्फ अपना नाम लिखने में. आप स्वयं (उपर) देख सकते हैं, कि कितनी आसानी से किताब के अंदर वाली कवर पर लिखा किताब का परिचय भी भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र "द हिन्दु" के संपादकीय से कॉपी किया गया है। उसके अलावा यहाँ पर कुछ वेब लिंक दिए जा रहे हैं जिसे आसानी से देखा जा सकता है कि पुस्तक लिखने में किस वेब साईट से डॉ दुबे ने लेख को कापी
(http://www.keepandshare.com/htm/biographies/barack_obama/C01_barack-obama-biography.php) (कॉमा/फुल स्टॉप के साथ) किये हैं। यह मात्र उदाहरण स्वरुप है वैसे पूरी पुस्तक ही कहीं न कहीं से कापी की गयी है उसका प्रमाण भी उपलब्ध है. महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के शिक्षक और बिहार भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ दुबे को ऐसा करने की क्या ज़रुरत पडी यह तो डॉ दुबे ही बता सकते हैं मगर इतना साफ़ है की मुफ्त की प्रसिद्धि बहुत दिनों तक नहीं चलती और समाज को गुमराह करने वालों का अंत होता है जिस पुस्तक के बल बूते वह बिहार भोजपुरी एकेडमी की कुर्सी तक पहुंचे अब वही पुस्तक संदेह के घेरे में है तो क्या साफ़ सुथरी सरकार का निर्माण करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस ओर ध्यान देंगे और अगर इस बात में सच्चाई है तो डॉ दुबे को स्वयम ही अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए
www.bhojpuria.कॉम पर खबर आने के बाद डॉ दुबे के खिलाफ उनके शहर बक्सर में लोगों ने विरोध किया और सरकार से उनको तत्काल भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने की मांग की गयी
भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी इस घटना से काफी आहत हैं और उनका कहना है कि जब किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कि नियुक्ति होती है तो उसके चरित्र से लेकर इतिहास तक कि छान बीन होती है मगर बिहार सरकार ने इतनी बड़ी नियुक्ति में इन सारी प्रक्रियायों को नज़र अंदाज़ क्यूँ किया. पुस्तक की असलियत लोगों के सामने आने के बाद डाक्टर दुबे को भोजपुरी एकेडमी के चेयरमेन के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.और इनके खिलाफ लगे आरोप कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.इससे भोजपुरी अकादमी के दामन पर दाग लगा है और इस दाग को मिटाने के लिए डाक्टर दुबे को अपने पद से हट जाना चाहिए.उनका यह भी कहना था कि बिहार भोजपुरी अकादमी को ऐसे लोगों से बचाने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना चाहिए इस घटना के बाद भोजपुरी समाज अपने आपको असहाय महसूस कर रहा है. डॉ दुबे की पुस्तक की सच्चाई जानने के बाद आम जनता में काफी आक्रोश है और लोगों का मानना है कि एक शिक्षक ऐसी गिरी हुई हरकत कैसे कर सकता है शिक्षक समाज से अब लोगों का विश्वास उठ जायेगा.डॉ दुबे ने पूरे शिक्षक समाज को कलंकित किया है अगर उन्हें किताब लिखने का इतना शौक ही था तो चोरी करके क्यूँ लिखी.अब लोग डॉ दुबे को दूसरा प्रोफ़ेसर मटुक नाथ कि उपाधि देने से भी नहीं हिचकिचाते है. कुछ लोगों का मानना है कि प्रोफ़ेसर मटुक नाथ ने तो जुली से शादी की उन्होंने पूरे समाज को गुमराह नहीं किया. अब तो सभी को सिर्फ बिहार सरकार के फैसले का इंतजार ही रहेगा कि क्या सरकार जनता की मांग का सम्मान करते हुए डॉ दुबे को बिहार भोजपुरी एकेडमी के पद से बर्खास्त करेगी या इसे भी सिर्फ एक राजनीती मुद्दा ही बना कर रखेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
यह दो पन्ने यहाँ से लिए गए हैं - http://www.keepandshare.com/htm/biographies/barack_obama/C01_barack-obama-biography.php
बिहार भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ.रवि कान्त दुबे पर पिछले दिनों यह आरोप लगा था की डॉ दुबे सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर दो लड़कियों (स्वाति राय और रागनी सिन्हा) के नाम से प्रोफाईल चला रहे हैं
हालाँकि डॉ.दुबे इस बात से इंकार करते रहे की फेसबुक पर जो प्रोफाईल है वो उनकी नहीं है,जबकि उस प्रोफाईल में ऐसे बहुत सारे सबूत हैं जो यह साबित करने के लिए काफी है कि वह प्रोफाईल डॉ दुबे की ही थी
स्वाति राय वाली प्रोफाईल उस समय चर्चा में आई जब इस प्रोफाईल से मारीशस की जानी मानी शिक्षाविद सरिता बुद्धू कि एक तस्वीर आपत्तिजनक स्थिति में अपलोड करके उसपर गंदे गंदे कमेन्ट किये गए
जब इस प्रोफाईल की सच्चाई जानने की कोशिश की गयी कि यह प्रोफाईल किस ई-मेल आई. डी.से बनायीं गयी है तो पता चला की इस प्रोफाईल को rkdbxr@rediffmail.com से बनायीं गयी है r.k.d.bxr का अर्थ है रवि कान्त दुबे बक्सर
क्यूंकि डॉ दुबे जिस ई-मेल आई. डी का इस्तेमाल करते हैं वह है rkdbxr@gmail.com, इसी तरह रागनी सिन्हा वाली प्रोफाईल भी rkdbxr@hotmail.com की ई-मेल आई.डी.से बनायीं गयी थी इतना के बावजूद डॉ डॉ.दुबे इस बात से इंकार करते रहे कि फेसबुक पर मौजूद प्रोफाईल उनके द्वारा संचालित कि जाती है
जब डॉ दुबे से जब इसकी सच्चाई जानने कि कोशिश कि गयी तो डॉ दुबे खिसयानी बिल्ली कि तरह भोजपुरिया डाट कॉम के संचालक सुधीर कुमार के साथ कई लोगों पर झूठा मुक़दमा दर्ज कराया जिसमे इन लोगों पर यह आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने डॉ दुबे से रंगदारी के तौर पर पांच लाख रुपए मांगे जैसे ही डॉ दुबे ने यह आरोप लगाये उस समय यह बात और सिद्ध हो गयी कि स्वाति राय और रागनी सिन्हा का फेसबुक पर अकाउंट चलाने वाला कोई दूसरा नहीं वह डॉ दुबे ही हैं. क्यूंकि इसी प्रोफाइल से भी यह आरोप सुधीर कुमार और उनके सहयोगियों पर लगाया जा चूका है. bhojpuria.com के संचालक सुधीर कुमार के अनुसार डॉ दुबे के द्वारा उनपर लगाये गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. डॉ दुबे के बिहार भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष बनने के बाद हममे से किसी ने डॉ दुबे से कोई बात नहीं कि हाँ यह ज़रूर हुआ है कि डॉ दुबे ने आपनी खबर छपवाने के लिए हमसे संपर्क साधने कि कोशिश कि मगर हम लोगों कि तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर नही मिलने पर उन्होंने आखिल भोजपुरी महा-सम्मलेन के महा-मंत्री डॉ गुरु चरण सिंह से पैरवी करायी मगर इसके बाद भी हमलोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया तो उसपर बौखलाए डॉ.दुबे ने झूठा केस क्या और साथ ही साथ रूपए मांगने का आरोप भी लगाया. अगर डॉ.दुबे के बारे में बात कि जाये तो तो वह उस समय चर्चा में आये थे जब उन्होंने 'द हीरो आफ चेंजिंग वर्ल्ड:बाराक ओबामा' नामी पुस्तक लिखी.उस पुस्तक से डॉ दुबे को काफी प्रसिद्धि मिली और उसी पुस्तक लिखने के कारण डॉ दुबे को बिहार सरकार ने बिहार भोजपुरी अकेडमी के अध्यक्ष के पद के लिए नियुक्त किया.मगर आज उनकी यह पुस्तक भी संदेह के घेरे में आ चुकी है और इस पुस्तक के बारे में यह आरोप लग रहे हैं कि डॉ दुबे ने इस पुस्तक को लिखने में कोई अधिक मेहनत नहीं कि बल्कि दुनिया भर में बराक ओबामा पर छपे लेखो को उठा कर हू बहू एक पुस्तक का रूप दे दिया है.डॉ दुबे ने इस पुस्तक लिखने में जो मेहनत कि है वो सिर्फ अपना नाम लिखने में. आप स्वयं (उपर) देख सकते हैं, कि कितनी आसानी से किताब के अंदर वाली कवर पर लिखा किताब का परिचय भी भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र "द हिन्दु" के संपादकीय से कॉपी किया गया है। उसके अलावा यहाँ पर कुछ वेब लिंक दिए जा रहे हैं जिसे आसानी से देखा जा सकता है कि पुस्तक लिखने में किस वेब साईट से डॉ दुबे ने लेख को कापी
(http://www.keepandshare.com/htm/biographies/barack_obama/C01_barack-obama-biography.php) (कॉमा/फुल स्टॉप के साथ) किये हैं। यह मात्र उदाहरण स्वरुप है वैसे पूरी पुस्तक ही कहीं न कहीं से कापी की गयी है उसका प्रमाण भी उपलब्ध है. महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के शिक्षक और बिहार भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ दुबे को ऐसा करने की क्या ज़रुरत पडी यह तो डॉ दुबे ही बता सकते हैं मगर इतना साफ़ है की मुफ्त की प्रसिद्धि बहुत दिनों तक नहीं चलती और समाज को गुमराह करने वालों का अंत होता है जिस पुस्तक के बल बूते वह बिहार भोजपुरी एकेडमी की कुर्सी तक पहुंचे अब वही पुस्तक संदेह के घेरे में है तो क्या साफ़ सुथरी सरकार का निर्माण करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस ओर ध्यान देंगे और अगर इस बात में सच्चाई है तो डॉ दुबे को स्वयम ही अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए
www.bhojpuria.कॉम पर खबर आने के बाद डॉ दुबे के खिलाफ उनके शहर बक्सर में लोगों ने विरोध किया और सरकार से उनको तत्काल भोजपुरी एकेडमी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने की मांग की गयी
भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी इस घटना से काफी आहत हैं और उनका कहना है कि जब किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कि नियुक्ति होती है तो उसके चरित्र से लेकर इतिहास तक कि छान बीन होती है मगर बिहार सरकार ने इतनी बड़ी नियुक्ति में इन सारी प्रक्रियायों को नज़र अंदाज़ क्यूँ किया. पुस्तक की असलियत लोगों के सामने आने के बाद डाक्टर दुबे को भोजपुरी एकेडमी के चेयरमेन के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.और इनके खिलाफ लगे आरोप कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.इससे भोजपुरी अकादमी के दामन पर दाग लगा है और इस दाग को मिटाने के लिए डाक्टर दुबे को अपने पद से हट जाना चाहिए.उनका यह भी कहना था कि बिहार भोजपुरी अकादमी को ऐसे लोगों से बचाने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना चाहिए इस घटना के बाद भोजपुरी समाज अपने आपको असहाय महसूस कर रहा है. डॉ दुबे की पुस्तक की सच्चाई जानने के बाद आम जनता में काफी आक्रोश है और लोगों का मानना है कि एक शिक्षक ऐसी गिरी हुई हरकत कैसे कर सकता है शिक्षक समाज से अब लोगों का विश्वास उठ जायेगा.डॉ दुबे ने पूरे शिक्षक समाज को कलंकित किया है अगर उन्हें किताब लिखने का इतना शौक ही था तो चोरी करके क्यूँ लिखी.अब लोग डॉ दुबे को दूसरा प्रोफ़ेसर मटुक नाथ कि उपाधि देने से भी नहीं हिचकिचाते है. कुछ लोगों का मानना है कि प्रोफ़ेसर मटुक नाथ ने तो जुली से शादी की उन्होंने पूरे समाज को गुमराह नहीं किया. अब तो सभी को सिर्फ बिहार सरकार के फैसले का इंतजार ही रहेगा कि क्या सरकार जनता की मांग का सम्मान करते हुए डॉ दुबे को बिहार भोजपुरी एकेडमी के पद से बर्खास्त करेगी या इसे भी सिर्फ एक राजनीती मुद्दा ही बना कर रखेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
यह दो पन्ने यहाँ से लिए गए हैं - http://www.keepandshare.com/htm/biographies/barack_obama/C01_barack-obama-biography.php
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