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Friday, December 2, 2011

जामिया हमदर्द भी नहीं है भ्रष्टाचार से अछूता!

मआज़ खान

स्वतंत्र  पत्रकार.
    अन्ना हजारे द्वारा चलाये गए भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम का उल्टा असर पड़ता दिखाई दे रहा है,ऐसा लगता है की भ्रष्ट लोगों ने यह ठान लिया है कि वह भ्रष्टाचार करेंगे ही जिसे जो करना है करे? ए.रजा के साथ  दूसरे बड़े नेताओं और नौकर शाहों कि जेल जाने  का भी कोई असर पड़ता दिखाई  नहीं दे रहा  है,ऐसा महसूस होता है कि भ्रष्टाचार में दिन प्रति दिन बढ़ोतरी  ही होती जारही है,
     शिक्षण संस्थानों में अभी तक कोई इतना बड़ा भ्रष्टाचार नहीं हो रहा था लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ वाईस  चांसलरों को अन्ना कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम से चिढ हो गयी है.उन्होंने यह ठान ली है कि वह हर वो काम करेंगे जिसकी कानून इजाज़त नहीं देता .कमसे कम जामिया हमदर्द विश्व विद्यालय के वाईस चांसलर के बारे में तो यह बात दावे से कही  जा सकती है.
     जामिया हमदर्द के सबसे वरिष्ठ प्रोफ़ेसर मोहम्मद इकबाल ने 9  अगस्त 2011 को जामिया हमदर्द के वाईस चांसलर डॉ.ग़ुलाम नबी क़ाज़ी को एक पत्र लिख कर विश्वविद्यालय में हो रही धांधलियों  से अवगत कराया और यह भी मांग कि के इन धांधलियों कि निष्पक्ष जाँच करायी जाये? प्रोफ़ेसर मोहम्मद इकबाल के पत्र  में और भी कई घोटालों का विवरण है.सबसे बड़ा घोटाला हमदर्द इंस्टीच्यूट ऑफ़ मेडिकल साइन्सेज़ एंड रिसर्च (एह.आई.एम्.एस.ए.आर ) का है.पहले हमदर्द विश्व विद्यालय कि ज़मीन पर इसे प्राइवेट मेडिकल कालेज खोलने कि पेशकश कि गयी थी मगर जन आन्दोलन   और मेडिकल काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के विरोध के बाद उसे जामिया हमदर्द का हिस्सा बताया गया.कहा जाता है कि इस प्रोजेक्ट पर करोडो रूपए खर्च किये जा चुके हैं मगर मेडिकल कालेज का दूर- दूर तक कहीं कोई पता नहीं है.प्रोफ़ेसर मोहम्मद इकबाल के पत्र से यह लगता है कि घोटाला बहुत बड़ा है मगर इसे जामिया हमदर्द के वाईस चांसलर डॉ.ग़ुलाम नबी क़ाज़ी ने कोई कार्यवाई      कराना तो दूर उन्होंने अपने कई भाषणों और सम्मेलनों  में प्रोफ़ेसर मुहम्मद इकबाल को ही आड़े हाथो लेते हुए अप शब्द भी कहे जिसका विवरण जामिया हमदर्द के चांसलर सय्यद मुहम्मद हामिद को  21 सितम्बर 2011 को लिखे अपने  पत्र में   प्रोफ़ेसर मुहम्मद इकबाल ने दिया है.इस पत्र में प्रोफ़ेसर मुहम्मद इकबाल ने यह भी कहा है कि उन्हें कुछ अपरिचित लोगों द्वारा फोन करके धमकियाँ भी दी जा रही है.मगर अभी तक चांसलर सय्यद मुहम्मद हामिद की ओर  से
कोई जवाब नहीं आया है जिससे यह कहा जा रहा है कि आखिर चांसलर ने इस पर कोई कार्यवाई क्यूँ नहीं कि ? क्या मजबूरी हो सकती है चांसलर कि ? ये सवाल उठता है कि चांसलर कि ख़ामोशी कही कोई   राजनीति दबाव का असर तो नहीं है? प्रोफ़ेसर मुहम्मद इकबाल ने एक पत्र विश्व विद्यालय अनुदान आयोग को भी भेजा था जिसपर विश्विद्यालय अनुदान आयोग ने संज्ञान लेते हुए जामिया हमदर्द से जवाब माँगा तो अभी तक कोई ऐसे तथ्य सामने नहीं आये हैं कि जामिया हमदर्द ने इसके जवाब में विश्व विद्यालय अनुदान आयोग को क्या जवाब दिया और उसका कंटेंट क्या था?
जामिया हमदर्द में इन बातों से काफी बेचैनी का माहौल बना हुआ है.लोग वाईस चांसलर से तो दुखी हैं मगर साफ़ बोलने से भी परहेज़ करते हुए दिखाई दिए.एक और प्रोफ़ेसर ने जामिया हमदर्द टीचर्स एसोसियशन (जे.एच.टी.ए.) के अध्यक्ष को लिखे पत्र में भी हो रही धांधलियों कि ओर ध्यान आकर्षित कराया है.17 अगस्त 2011 को लिखे गए इस पत्र से साफ़ पता चलता है कि जामिया हमदर्द के  शिक्षकों का भी शोषण हो रहा है.कुछ शिक्षक जो करीब 12 /13  वर्षों से शिक्षण का कार्य कर रहे हैं मगर उन्हें अभी तक कोई प्रोमोशन तक नहीं दी गयी है आज भी वह एक लेक्चरार के पद पर ही कार्यरत हैं जबकि कई ऐसे शिक्षक हैं जो इन्ही के कार्य काल में जामिया हमदर्द में बहाल  हुए और आज प्रोफ़ेसर के पद पर असीन हैं.
मास्टर ऑफ़ ब्युज्नेस अप्लिकेशन (एम्.बी.ए ) और मास्टर ऑफ़ कम्प्यूटर साइन्सेज़ (एम्.सी.ए ) जैसे मुख्य कोर्सेज़ के शिक्षकों को यह भी पता नहीं है ही वह  परमानेंट हैं या कैजुअल  पर ?
     १७ अगस्त के इस पत्र में एक बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन भी किया गया है कि जामिया हमदर्द ,विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग कि गाइड लाइन को अपनी मर्ज़ी के अनुसार मानती है.अगर इस में  जामिया हमदर्द के प्रशासनिक अधिकारीयों को अपना लाभ दिखाई देता है तो फिर उसे मान लिया जाता है.१७ अगस्त को लिखे पत्र में एक शिक्षक के चयन कि बात कही गयी है मगर नाम नहीं लिया गया है कि किसके चयन कि बात कही गयी है. पता करने पर ये बात सामने आई   कि  डॉ मेहर ताज बेगम  का मामला है जो  विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग के डिप्टी-सेक्रेटरी शकील अहमद की पत्नी हैं  और यही उनकी सबसे बड़ी योग्यता है.विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग के 26 अगस्त 2010 के एक सर्कुलर जिस पर निदेशक एच.आर.जोशी के हस्ताक्षर हैं के अनुसार जो लोग 1 जनवरी  2006 को रीडर थे या जो 1 जून 2010 तक रीडर के पद पर चयन किये गए थे उनका वेतन पे बैंड-3 में  23890 /- पर फिक्स कि जाएगी और उनका अकेडमिक ग्रेड 8000 /- होगा.डॉ मेहर ताज बेगम का चयन जून 2010 से पहले हुआ था  और विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग के सर्कुलर के अनुसार उनका  बेसिक वेतन 23890 /- पर फिक्स होना चाहिए था .मगर ऐसा नहीं हुआ और विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग के ही सर्कुलर को धता बताते हुए डॉ मेहर  ताज बेगम को पे बैंड -4 में रख दिया गया.यहाँ बिलकुल उस फ़िल्मी गीत  की  तरह  है  कि 'सय्याँ भईले कोतवाल तो का चीज़ के डर बा; डॉ मेहर ताज बेगम कोई एकलौती मिसाल नहीं हैं जामिया हमदर्द के लिए.फेकल्टी ऑफ़ साइंस के एक प्रोफ़ेसर जो इसी फेकल्टी के डॉ रईस (एसोसिएट प्रोफ़ेसर ) के शिष्य हैं.
        डॉ रईस  वाईस चांसलर के सलाहकार हैं उन्हें इस पद के अलावा और भी कई  पदें  दिए गए हैं जिन्हें प्रोफ़ेसर के वेतन के अलावा 30000/- प्रति माह भेट किये जाते हैं.डॉ रईस का भी मामला अजीब है,डॉ रईस खुद को प्रोफ़ेसर लिखते हैं और प्रोमोशन स्कीम के तहत प्रोफ़ेसर शिप के उम्मीदवार भी हैं.इसका मतलब यह है  कि डॉ रईस स्वयम असोसिएट प्रोफ़ेसर हैं और उन  असोसिएट प्रोफेसरों के आवेदनों कि जाँच पड़ताल कर रहे हैं जिन्होंने प्रोफ़ेसर के लिए आवेदन दिए हैं.
जामिया हमदर्द टीचर्स असोसिएशन और नॉन टीचिंग इम्प्लायिज़ यूनियन ने भी वाईस चांसलर के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है.1 अक्तूबर 2011 को कि गयी बैठक में वाईस चांसलर पर आरोप लगाया गया कि वो अपने पद पर ही असंवैधानिक तरीके से बैठे हुए हैं.दोनों संघठनों के द्वारा लगाये गए आरोप के अनुसार डॉ ग़ुलाम नबी क़ाज़ी कि वाईस चांसलर कि अवधि 14 अगस्त 2011 को समाप्त हो गयी है मगर इसके बाद भी डॉ ग़ुलाम नबी क़ाज़ी ज़बरदस्ती अपने पद पर बने हुए हैं.इसके पीछे एक बड़े केंद्रीय मंत्री का समर्थन बताया जाता है.आखिर वो मंत्री कौन हैं जिन्होंने डॉ क़ाज़ी को अपने पद पर बने रहने के लिए समर्थन दे रहें हैं.वैसे अगर जामिया हमदर्द के वाईस चांसलर के पद के लिए आयु सीमा  तय है कि ६५ साल से अधिक  नहीं होनी चाहिए.ये दोनों संघठनों के अलावा कई प्रोफेसर्स ने भी वाईस चांसलर के इस कब्जे के बारे में चांसलर सय्यद हामिद को पत्र लिखा मगर अभी तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है.जामिया हमदर्द के एक प्रोफ़ेसर का मानना  है कि वाईस चांसलर ,चांसलर और हमदर्द नेशनल फाऊंडेशन,   जामिया हमदर्द को एक निजी संस्था बना ना  चाहते हैं जिससे सीधे तौर पर लाभ   जामिया हमदर्द के संस्थापक स्वर्गीय हकीम अब्दुल मजीद के घर वालों को पहुंचे. जामिया हमदर्द विश्विद्यालय में यह सवाल आम है कि सी.बी.आई के पास एक प्रोफ़ेसर के भ्रष्टाचार में लिप्त होने और और उसकी जाँच के लिए समय है मगर जामिया हमदर्द के प्रशासन और वाईस चांसलर द्वारा किये गए सारे भ्रष्टाचार  के लिए समय नहीं है ?ज्ञात हो कि मानव संसाधन विकास  मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देश पर जामिया हमदर्द के एक प्रोफ़ेसर से उनकी डीन शिप और विभागाध्यक्ष के पद से निलंबित कर दिया गया है .
        द टाइम्स ऑफ़ इंडिया  के नवंबर 5 , 2011 भुबनेश्वर संस्करण में छपी रिपोर्ट के अनुसार जामिया हमदर्द के  वाईस चांसलर  पर यह अल्ज़ाम लगे है कि वो कैसे सर्च कमिटी में हो सकते हैं जिनके ऊपर विश्व-विद्यालय अनुदान आयोग के पैसों का दुरूपयोग करने का मामला हो,वो भरष्टाचार में स्वयम लिप्त हैं.? डॉ क़ाज़ी रवेंषा विश्विद्यालय भुबनेश्वर के वाईस चांसलर के लिए  सर्च कमिटी में शामिल थे,
       डॉ क़ाज़ी जामिया हमदर्द के वाईस चांसलर होते हुए भी जामिया हमदर्द के कानून कि धज्जियाँ उड़ाते हैं,जैसे किसी फेकल्टी में कोई प्रोफ़ेसर है तो वही डीन होगा  मगर फेकल्टी  ऑफ़ मैनेजमेंट और इन्फार्मेशन टेक्नालोजी में दो- दो प्रोफेसर्स  हैं मगर इन संकायों के डीन कोचिंग सेंटर के निदेशक  हैं.इसी तरह डीन और विभागाध्यक्ष को सही समय पर नियुक्ति नहीं कि जाती है बल्कि कानून कि  धज्जियाँ बिखेरते हुए वाईस चांसलर जब जिसे चाहते हैं डीन बनाते हैं और जिसे विभागाध्यक्ष और अपनी मर्ज़ी के अनुसार उन्हें उस पद पर रखते और हटाते हैं.
  अंत में सिर्फ यही कहा जा सकता है कि इस देश में कोई अन्ना हजारे आ जाये मगर जब तक खुद इन्सान ना चाहे कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लडेगा तब तक ये बीमारी का समापन संभव नहीं है.

तो इस बार उत्तराखंड में मायाजाल फैलाने की तैयारी है!!!

उत्तराखंड की सत्ताधारी पार्टी भाजपा की अंतर्कलह ने उप्र की सत्ताधारी पार्टी की मुखिया बहन कुमार सुश्री मायावती जी की बाछें खिला दी है। कांग्रेस-बाजपा के अंतर्कलह ने उन्हें यह सोचकर मुस्काराने का सुनहरा मौका दिया है कि हमारे उप्र वाले सहयोग का भार उत्तराखंड में उतारने का मौका आ गया है। कभी लगातार आगे बढती जा रही मायावती को सपोर्ट कर एकदम से कई बार किनारे लगाने वाली भाजपा से कुछ इसी अंदाज में बदला लेने की तैयारियां बसपा लगभग कर चुकी है। अब 22 मई को हुई उत्तराखंड बसपा की बैठक में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने हुंकार भरते हुए कहा कि जब-जब बहुजन समाज पार्टी [बसपा] मजबूत हुई तब-तब विरोधी पार्टियों ने उसे कमजोर करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। लेकिन इस बार पार्टी पूरी तरह सजग है.. किसी को भी धोखा देने का मौका दिए बगैर हम अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने अभी से इस बात की भी घोषणा कर दी कि चुनाव के बाद भी किसी भी पार्टी से कोई गठजोड़ नहीं किया जाएगा। पार्टी अपने दम पर चुनाव के सकारात्मक नतीजे को लेकर कार्य कर रही है। बहन जी ने यह भी कहा बसपा ने ही सबसे पहले पृथंक उत्तराखंड राज्य के गठन का समर्थन कर विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया था। उन्होंने ही ऊधम सिंह नगर, बागेश्वर, चम्पावत व रुद्रप्रयाग जिलों का सृजन किया। नयी तहसीलें तथा विकास खंड बनवाये थे। अभी भी वह उत्तराखंड की जनता के हितों का ध्यान रख रही है। इस लिहाज़ से उन्हें इस बार मौका देने का चांस बनता ही है क्योकि पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-भाजपा के निकम्मे नेताओं ने सिर्फ उत्तराखंड को बरबाद ही किया है .. उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि मैं जब तक जिंदा रहूंगी पार्टी के लक्ष्य के लिए संघर्ष करती रहूंगी।

वैसे बसपा के उत्तराखंड में पिछले प्रदर्शन पर नज़र डाले तो पायेंगे कि बसपा के पास इस चुनाव में दो मुद्दे हैपहला यह, कि राज्य की राजधानी गैरसैंड करने के नारे का समर्थन करके जनता की निगाह में थोडा ऊँचा उठने की कोशिश जबकि दूसरे मुख्य मुद्दे में अनुसूचित जाति प्लान की 750 करोड़ की राशि, जिसे बसपा इस चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी में है 
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के कुछ चुनिन्दा मजबूत महिला राजनीतिज्ञों में शुमार बहन जी इस राज्य में होने वाले चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने की हर कोशिश कर रही हैं भाजपा-कांग्रेस-उक्रांद जैसे उत्तराखंड में मज़बूत जनाधार वाली पार्टियों की आपसी खींचतान का फायदा उठाने की पहली कोशिश के रूप में पिछले संसदीय चुनाव में हरिद्वार सीट पर दलित-मुस्लिम मतदाताओं की मदद से हरिद्वार सीट पर क़ब्ज़ा करने वाली कांग्रेस के सांसद हरीश रावत को बसपा ने जिलापंचायत चुनाव में भाजपा की मदद से अपनी गोटी लाल कर चुकी है बसपा ने जिस तरह कांग्रेस को आइना दिखा कर बगले झांकने को मजबूर किया उससे अगर समय रहते कांग्रेस ने अपनी गुटबाज़ी पर लगाम नहीं लगाया तो आने वाला समय कांग्रेस के लिए भारी पड़ेगा मायावती ने जिलापंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के सहयोग से हासिल कर अपने सोशल नेटवर्क को एक सकारात्मक दशा दे दी है जिसका बसपा आगामी चुनाव में पूरा फायदा उठाने की कोशिस में होगी .जिस तरह बसपा ने सभी सीट पर अकेले ताल ठोकने के साथ आगामी चुनाव में किसी भी दल से ताल मेल न करने की बात कही है, उससे अभी यही अंदाज़ा निकलता है कि सत्ता की ऊंट किस करवट बैठेगी यह कहना काफी कठिन है. वैसे एक बात तो तय है कि उक्रांद सहित सूबे की इलाक़ाई दलों के तंगहाली का लाभ भी इस चुनाव में बसपा को मिलेगा
यह सब ध्यान में रखते हुए मायावती जी इस बार उत्तराखंड में मायाजाल फैलाने की तमाम उपायों की तरफ ध्यान दे रही है चाहे वह दूसरे दलो के नेताओं को तोड़ने वाला उपाय हो या सभी असंतुष्टों को साथ लेकर तीसरे मोर्चे की तरफ देखने की राह सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चलने वाली बहन कुमारी मायावती की यह बात किसी को हजम नहीं हुई.. फिर भी जाने क्यों मायावती जी ने उत्तराखंड को लेकर इतने भयंकर सपने देख डाले एक बात यही लीजिए कि उत्तराखंड में बसपा के कुछ 7-8 विधायक ही हैं ऊपर से उत्तर-प्रदेश की हालत खस्ता हैजाने कब वहीं असंतोष की स्थिति बन जाए... क्योंकि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में रोज बलात्कार हो रहे हैं.. और कानून व्यवस्था की खिल्ली उडाई जा रही है वैसा उत्तराखंड के शांतिप्रिय लोग कभी नहीं चाहेंगे
और यूपी में मायाराज को हाल देखकर कोई भी कह सकता है कि यूपी से राम ही बचाएखैर यूपी में राम ही जब किसी से नहीं बच रहे तो उनके बचने की उम्मीद काम ही है, लेकिन जनता स्वयं को बचाते हुए महामाया जी को खुद से दूर ही रखना चाहेगी 

(यह आर्टिकल जून में ही लिखा गया था परन्तु सेंसरशिप जैसे विवादों में पड़ने के कारण पब्लिस नहीं किया जा सका था अब उन सभी दिक्कतों से पार पते हुए इसे ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जा रहा है बीच के 6 माह के घटनाक्रम को जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा एक बात और जब यह आर्टिकल लिखा गया था तब वहां का तख़्त और ताज किसी अन्य के पास था अब तो वजीर भी बदल चुका है देखते हैं उत्तराखंड की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है थोडा इन्तजार करिये जल्द ही सारा घटनाक्रम आपके बीच होगा......) : आभार

Saturday, November 26, 2011

मुम्बई हमले की सुनवाई का सफर...: 26/11/08-26/11/11 तक


वर्ष 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकी हमले मामले की सुनवाई मामले में कब क्या हुआ, इसका तिथिवार ब्योरा:- 
वर्ष 2008 


26 नवंबर: अजमल आमिर कसाब और नौ अन्य पाकिस्तानी फिदायीन ने दक्षिण मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में एक साथ हमले को अंजाम दिया।

26 नवंबर की देर रात 1.30 बजे गिरगांव चौपाटी के पास पुलिसकर्मियों ने कसाब को दबोच लिया। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसे नायर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

29 नवंबर: कसाब ने पुलिस को बयान दिया। हमले में अपनी भूमिका स्वीकार की।

29 नवंबर: आतंकवादियों के कब्जे से सभी स्थलों को मुक्त कर लिया गया। नौ आतंकवादी मारे गए। एकमात्र कसाब को जिंदा पकड़ा जा सका।

30 नवंबर: कसाब ने पुलिस के सामने बयान दर्ज कराया।

27-28 दिसंबर: पहचान परेड कराई गई। 

वर्ष 2009

13 जनवरी: मामले की सुनवाई के लिए एम. एल. तहिलयानी को विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

16 जनवरी: कसाब मामले की सुनवाई के लिए ऑर्थर रोड जेल को चुना गया।

5 फरवरी: मालवाहक पोत कुबेर से बरामद सामान के साथ कसाब के डीएनए के नमूने का मिलान हुआ।

20-21 फरवरी: कसाब ने दंडाधिकारी आर.वी. सावंत-वागले के समक्ष इकबालिया बयान दर्ज कराया।

22 फरवरी: उज्ज्वल निकम को मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

25 फरवरी: एस्प्लानेड महानगर अदालत में कसाब और दो अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।

1 अप्रैल: अदालत ने अंजलि वाघमारे को कसाब का वकील नियुक्त किया।
15 अप्रैल: अंजलि वाघमारे को मामले से हटाया गया।

16 अप्रैल: एस.जी. अब्बास काजमी को कसाब का वकील नियुक्त किया गया।

17 अप्रैल: कसाब के इकबालिया बयान को अदालत के समक्ष रखा गया।

20 अप्रैल: अभियोजन पक्ष ने कसाब के खिलाफ 312 अभियोग लगाए।

6 मई: कसाब के खिलाफ 86 अभियोगों में आरोप तय, हालांकि उसने इंकार किया।

8 मई: पहले प्रत्यक्षदर्शी का अदालत में बयान, कसाब की पहचान की।

23 जून: वांछित अपराधियों हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी सहित 22 के खिलाफ गैरजमानती वारंट। इन्हें भगोड़ा घोषित किया गया।

30 नवंबर: कसाब के वकील अब्बास काजमी मामले से हटाए गए।

1 दिसंबर: के.पी. पवार ने आधिकारिक रूप से काजमी का स्थान लिया।

16 दिसंबर: अभियोजन ने 26/11 आतंकी हमले में सुनवाई पूरी की।

18 दिसंबर: कसाब ने सभी आरोपों से इंकार किया।

06 मई 2010 को मुंबई हमले के 521 दिनों बाद विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एम. एल. ताहिलयानी ने कसाब पर चार मामलों के तहत सजा-ए-मौत सुनाई।

21 फरवरी 2011 को कसाब को बम्बई उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को सुरक्षित रखते हुए मौत की सजा सुनाई।

29 जुलाई 2011 को कसाब बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण में पहुंचा।

10 नवंबर 2011 को पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने मुम्बई हमलों के दोषी अजमल आमिर कसाब को आतंकवादी ‘नॉन स्टेट एक्टर’ बताकर उसे फांसी पर चढ़ाए जाने की वकालत की

अबतक कसाब को सुरक्षित रखने में कुल खर्च: 15 करोड रूपए

Friday, November 18, 2011

वो मेरे सनम ..(For My Angel... I want 2 play with Guitar)(Hindi Song(Lyricks in HINDI))

वो मेरे सनम ..(For My Angel... I want 2 play with Guitar)(Hindi Song(Lyricks in HINDI))

एक दिन कहीं .. खो न दूँ मै उसे... जाने क्यों लगता है डर... वो मेरे सनम....

:Soft Dialogue:  really i miss you angell................ i can liv without u..plz hug me.. plzzzzzzzzzzzzzz where r u? .....

देख कितना सूना-पन है बिन तेरे इस जहाँ में मेरे...
तू जो दूर इतना है कि दिल हमेशा डरा डरा सा रहने लगा है ..
तेरे बिन उदासी का पहरा होने लगा है .. वो मेरी सनम ..

i wanna miss you so much.. i want 2 kissssssssssssss you.................... वो मेरे सनम....क्यों लगता है डर ... वो मेरे सनम

तू जो दूर रहती है मुझसे... दिल लगता नहीं तेरे बिन कहीं...
तू जो बात करती नहीं मुझे... सताती है यादें तेरी.... यूँ तो खामोश हो जाता हूँ मैं.. वो सनम ..
जाने क्यों लगता है डर वो मेरी सनम.....

i wanna miss so muchhhhhhhhhhhhhhhh.. i want 2 kissssssss you... वो मेरे सनम .........

तेरे दूर जाने से... तेरे दूर जाने से... ........... लगता है डर.. वो सनम.........वो सनम....... वो सनम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म
i wanna miss you baby.i wanna kiss you babyyyyyyyyyyyyy .. i wanna misssssssssss you babbbbbyyyyyyyyyyyyyyyyyyy.. i love youuuuuuuu wo sanam.. wo sanam... dil se.........


WO MERE SANAM....(For My Angel... I want 2 play with Guitar)   (Hindi Song (Lyricks In Roman))

ek din kahi..kho na du mai use... jane kyu lagta hai dar.. wo mere sanam..

:Soft Dialogue:   really i miss you angell................ i can liv without u..plz hug me.. plzzzzzzzzzzzzzz where r u?

dekh kitna sunapan hai bin tere is jahan me mere...
tu jo dur itna hai ki dil hamesha dara dara sa rahne laga hai...
tere bin udasi ka pahra hone laga hai.. wo meri sanam...

i wanna miss you so much.. i want 2 kissssssssssssss you.................... wo mere sanam.  kyu lagta hai dar.. wo mere sanam...

tu jo dur rahti hai mujhse.. dil lagta nahi tere bin kahi....
tu jo bat karti nhi mujhe satati hai yade teri... yun to khamosh ho jata hu mai.. wo sanam ..
jane kyu lagta hai dar.. wo sanam.. wo sanam..

i wanna miss so muchhhhhhhhhhhhhhhh.. i want 2 kissssssss you wo mere sanam...

tere dur jane se... tere dur jane se.. lagta hai dar... wo sanam wo sanam.. wo sanammmmmmmmmm..
i wanna miss you baby.i wanna kiss babyyyyyyyyyyyyy .. i wanna misssssssssss you babbbbbyyyyyyyyyyyyyyyyyyy.. i love youuuuuuuu wo sanam.. wo sanam... dil se.........

Monday, October 17, 2011

जानते हुए भी मैंने प्यार किया, यह अलग बात है!!


हद कर दी यूँ दूर रहकर,
मै फिर भी हद से न गुज़रा यह अलग बात है !
अब और कितना गम सहूँ तुझसे दूर होने का?
अब तलक सहता रहा यह अलग बात है !!

सोचा न था तेरे प्यार में तडपना पड़ेगा,
इतना तड़प होने के बाद पता चला यह अलग बात है!

कभी न अब तडपाऊंगा न ही सताऊँगा,
सिर्फ कह रहा, अमल न लाऊंगा यह अलग बात है!

कभी रास्ते में आकर यूँ ही न चला जाऊँगा,
चाहूँगा तुझे मै दिन रात, बिना-बताए यह अलग बात है!

कभी मनाऊंगा नहीं तुझे-मर जाऊँगा कुछ पल में ,
यह अलग बात है!
चाहना कुछ गलत नही, मगर चाहकर भी तुझे न पा सका
यह अलग बात है!!

जिंदगी के हर पल में तू थी, अब तेरे बिना जीना पड़ेगा,
यह अलग बात है!
कभी सोचा न था यूँ  रुसवा होकर हमसे तुम अलग हो जाओगे,
अलग हो ही गए यह अलग बात है!!

चाहतो में जीना आसान है मगर चाहतो में दूर होकर भी मै जिया
प्यार करना अगर गुनाह है, यह जानते हुए भी मैंने प्यार किया, यह अलग बात है!!

Saturday, October 15, 2011

अन्ना हजारे कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें: भगत सिंह क्रांति सेना एवं प्रत्यंचा परिवार

अन्ना हजारे कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें: भगत सिंह क्रांति सेना एवं प्रत्यंचा परिवार
श्री राम सेना, भगत सिंह क्रांति सेना, प्रत्यंचा, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, India Integration Forum द्वारा प्रेस रिलीज जारी कर वरिष्ठ समाज सेवी अन्ना हजारे द्वारा मश्मिर मुद्दे पर उनकी स्पष्ट राय की मांग की गई. प्रत्यंचा परिवार ने स्पष्ट कहा है कि ऐसे समय में जब सरे देश की निगाहें और उम्मीदें उनपर टिकी हुई हैं तो देश के इस अभिन्न हिस्से को लेकर उनकी क्या राय है. भगत सिंह क्रांति सेना ने कहा है कि अन्ना हजारे द्वारा अपनी रूख स्पष्ट किए जाने के बाद वह इस बात पर फैसला करेगी कि अन्ना हजारे का समर्थन युवाओं द्वारा किया जाए या नहीं..

प्रेस रिलीज

टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण द्वारा कश्मीर पर दिये गए देशद्रोही ब्यान और इसके बाद हुए प्रकरण की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए अन्ना हजारे को स्वयं सामने आकर मत स्पष्ट करना चाहिए कश्मीर मुद्दे पर उनकी क्या राय है। श्री राम सेना, भगत सिंह क्रांति सेना, प्रत्यंचा, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, India Integration Forum.

जम्मू कश्मीर प्युपलस फोरम और हिंदुस्तान निर्माण दल ने शुक्रवार को जारी ब्यान में कहा की व्यवस्था के अंदर और बाहर रहने वाले प्रमुख लोगों द्वारा इस प्रकार ज्वलनशील मुद्दों को नजरअंदाज करने पर युवा पीढ़ी में जो असंतोष व्याप्त होता है वो कहीं न कहीं जाकर आक्रोश के रूप में कहीं न कहीं फूटेगा।
पहले अग्निवेश और अब प्रशांत भूषण द्वारा इस प्रकार विवादास्पद बयानों को जारी करके युवा पीढ़ी को ये बुद्धिजीवी लोग क्या साबित करना चाहते हैं। इस प्रकार गांधीवाद की आड़ में ये अंहिसक आतंकवादी युवा पीढ़ी को बरगला कर उनके असंतोष को आक्रोश में बदलकर ये युवा पीढ़ी के साथ अन्याय कर रहे हैं। हालिया प्रकरण जिस मोड़ पर पहुंच गया है उस मो्ड़ पर पहुंचने से पहले उसे रोका जा सकता था, यदि अन्ना हजारे या उनकी टीम के जो सम्मानित सदस्य हैं उस प्रकार के बयानों का खंडन कर देते किंतु ऐसा नहीं हुआ।
इस मामले पर तटस्थ रुख अपनाने वाली टीम अन्ना से नेतृत्व को कश्मीर मसले पर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए।
इसके अलावा प्रभु श्री राम और भारत माता के भक्तों पर अभद्र टिप्पणी करने से पहले भी कथित बुद्धिजीवी वर्ग को समझना चाहिए कि धर्म के पथ पर ही राष्ट्रहित संभव है।

जय श्री राम, जय भारत, जय हो।

Thursday, October 6, 2011

WO RAVAN JAL RAHA HAI AUR YEH SH. RAVAN APNI KISMAT PAR RO RAHA HAI


Happy dashahra.. aap sabko dashhra ki shubhkamnaye

dashhra par sabhi apne dushman se dur jate hain aur khushiyan manate hain. Mai zindagi se dur chalta ja raha hu khushiyan manane ki jagah gam bhi manana to dur gam mamane k elie bhi wakt ab nahi bacha

kisi khas ka msg aya.. happy dashhra.. wo bole ki hamari galiyo me ravan jal raha hai yahan sabhi me khushi ki dhoom hai..
fir mujhe khud ki yaad aai..chaunk kar dekha to gali me shor tha ravan ke jalne ka ..

wo ravan jal raha hai aur yeh sh. RAVAN apni kismat pe ro raha hai. Apne kamre me letkar.. ek kone me farsh par ludhka hua. Ekdam se BEBAS. LACHAR. Usi ravan ki tarah

jaise use jalane wale log hans rahe hain khushiyan mana rahe hain waise hi wo bhi mujhe jala rahe hain khushiyan mana rahe hain.

Kaisa wakt hai yeh . Do alag alag log ek jisko burai ka pratik mana jata hai doosra jisne apni samajh me kabhi kisi ka bura nahi chaha ek jaise halat me hain.. kaisa virodhabhas hai... kafi pahle ravan joki burai ka beshumar khajana tha uske mare jane ki khushi me log jhoome ja rah ehain wahi koi aur bhi hai is dunia me jo is sh. RAVAN ko jalakar mare ja rahe hain.. ekdam bebas pada hu mai.. lachar..

chahkar bhi kuch kar nahi pa raha.. aaj jo wada kiya hai hamehsa ke lie door chale jaane ka.. aakhir kyu khud se itni narajgi hai ki mai chahkar bhi kamre se baahar nahi nikal pa raha hu.. andhera chha chuka hai aur mai lappy liye apne kamre me hi gumsum sa baitha hu.. wo har pal me mujhe tadpate ja rahe hain aur mai chahkar bhi kuch nahi kar pa raha hu.. na ro pa raha hu .. hasne ka sawal hi nahi uthta..

jane kaisa pal yeh rab ne kismat me meri likh diya tha ki wo khushiyan manate huye hamare jane ko lekar khush hain.. whai ham unse bichhdne ke gam me aankhe tar-batar kiye apni bebasi par o rahe hain- teekhna chah rahe hain magar cheekh nahi pa rah ehian.. kaisa virodhabhas hai yeh? Kyu hai itni bebasi. Kyu hai itni lachari.... aakhir kyu?

Monday, September 19, 2011

जामिया के सराय जुलेना चौक पर हिन्दू संघर्ष समिति का शहीद मोहन चंद शर्मा को श्रद्धांजलि, सराय जुलेना चौक का नाम मोहन चंद शर्मा चौक किया, पुलिस ने गिरफ्तार किया

जामिया के सराय जुलेना चौक पर हिन्दू संघर्ष समिति का शहीद मोहन चंद शर्मा को श्रद्धांजलि, सराय जुलेना चौक का नाम मोहन चंद शर्मा चौक किया, पुलिस ने गिरफ्तार किया.

नई दिल्ली. आज हिन्दू संघर्ष समिति के नेतृत्व में बड़ी संख्या में युवाओं ने सराय जुलेना चौक पर बटला हाउस एनकाउंटर में शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही सराय जुलेना चौक का नाम बदलकर शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा चौक कर दिया. जबर्दश्त प्रदर्शन और आतंकवाद के खिलाफ मार्च के बाद सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. हालाँकि बाद में पुलिस ने उस नाम को मिटाकर उसे दोबारा सराय जुलेना चौक कर दिया जिससे कार्यकर्ताओं में काफ़ी रोष व्याप्त हो गया. इसके बाद सभी लोग विरोध करने लग गए और वहीँ पर धरने पर बैठ गए. काफी विरोध के बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया और न्यू फ्रेंड्स कालोनी लेकर गए.





इस विरोध प्रदर्शन में हिन्दू संघर्ष असमिति के अध्यक्ष अरुण विक्रमादित्य, भगत सिंह क्रांति सेना के तजिंदर पाल सिंह बग्गा, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मनोज चौधरी, युवा सेवा समिति के विजय शर्मा, शिव सेना के विष्णु गुप्ता, लवी भरद्वाज, छात्र नेता उत्कर्ष चौधरी, स्वतंत्रदीप कौशिक आदि लोग अपने साथियों के साथ उपस्थित थे.




हिन्दू संघर्ष असमिति के अध्यक्ष अरुण विक्रमादित्य के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया. अरुण विक्रमादित्य ने संबोधित करते हुए कहा कि - ये दुःख की बात है कि एक जाबांज अधिकारी जो देश के लिए अपनी क़ुरबानी देता है, उसकी क़ुरबानी पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं.




मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते ही शहीद मोहन चंद शर्मा की क़ुरबानी को व्यर्थ बताया जा रहा है जबकि आतंकियों को गले लगाया जाता है. बटला हाउस चौक को अब वहां के लोग एनकाउन्टर में मरे गए आतंकवादी के नाम पर शहजाद चौक बुलाने लगे हैं. ये शर्म की बात है."सारे घटनाक्रम से कार्यकर्ताओं में भारी रोष है और वो चाहते हैं कि इस चौक का नाम शहीद मोहन चंद शर्मा चौक किया जाये. - Press Release

Tuesday, September 6, 2011

क्योकि हर एक एमपी जरुरी होता है : एयरटेल एड की तुलना कांग्रेस एंड कंपनी से



Current airtel ad..

Chai ke Liye jaise toast hota hai--Vaise har ek friend zaroori hota hai
Aise har ek friend zaroori hota hai

Koi subah paanch baje neend se jagaye
Koi raat ko teen baje jaan bachaye
Ek teri kadki mein sharing kare
Aur Ek tere budget mein sneak in kare
Koi nature se guest koi host hota hai

Par har ek friend zaroori hota hai

""Ek ghadi ghadi kaam aaye par kabhi kabhi call kare
Ek kabhi kabhi kaam aaye aur ghadi ghadi call kare""
Gossip ka koi ghoomta phirta satellite
Koi sath rahe toh kar de sab alright
Koi effortless koi forced hota hai

Lekin har ek friend zaroori hota hai

Chat Room friend koi classroom friend
Koi bike pe race wala vroom vroom friend
Shopping mall wala shopping friend
Koi Exam hall wala copying friend

Movie buddy groovy buddy
Hi buddy--Bye buddy ----Joke buddy Poke buddy
Gaana Buddy Shaana buddy ---Chaddi Buddy Yaar Buddy
Kutte --kamine---
Everybody---Sab buddy
A to Z
Gin gin ke naam bheja Roast hota hai

Par har ek friend zaroori hota hai
Lekin har ek friend zaroori hota Hai

 New airtel ad revised edition 

J



















सौजन्य से - एवीवीपी-डूसू

Thursday, August 18, 2011

अन्ना जी के तिहाड जेल में रहते हुए जनता को दिए गए सन्देश : रिकार्डिंग किरण वेदी जी

अन्ना जी के तिहाड जेल में रहते हुए जनता को दिए गए सन्देश : रिकार्डिंग किरण वेदी जी


हेडलाइन पर क्लिक करके वीडिओ पर जाएँ


अपने लोकपाल बिल की खूबियों के लिए यहां क्लिक (हिंदी) करें

Here is the PDF version of the presentation on diff between Jan LokPal & Govt. Lokpa(ENGLISH)l



Anna Hazare video from Tihar compound recorded by Dr. Kiran Bedi



Anna Hazare's 1st message from Tihar Compound - complete video



Anna Hazare's message from Tihar prison compound- part 2


आगे के अन्य वीडियो को भी यथासंभव उपलब्ध कराया जाएगा.....जय हिंद


Wednesday, August 17, 2011

जेपी से अन्ना आन्दोलन : भ्रस्टाचार के खात्मे की तरफ एक कदम और.......

यहां की सरकार एकदम निकम्मी है ... लोकपाल बिल पर इतना हंगामा हो रहा है, बातचीत टूट चुकी है. 16 अगस्त से अन्ना हजारे फिर से आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं .. यहां आज़ादी की दूसरी लड़ाई अब शुरू हो चुकी है जो भ्रष्टाचार को लेकर है, अन्ना ने जेल जाने से पहले पूरे भारत में सन्देश प्रसारित करवा दिया, लोग सबकुछ छोड़कर उनके साथ आ रहे हैं. उनके हिरासत में होने के कुछ ही देर में उनके क्रांति का नारा लिए वीडियो पूरी दुनिया में छा चुका है सम्पूर्ण विश्व में विरोध-प्रदर्शन शुरु हो चुके हैं, जय-प्रकाश नारायण(जेपी) जो काम अधूरा छोड़ गए थे ... लगभग उसी उम्र में अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार खत्म करने का बीड़ा उठाया है .. जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था.. जिसमे बच्चे-बड़े , बूढ़े सभी लोगो ने साथ दिया था जिसका नतीजा यह निकला कि देश में आपातकाल लागू हो गया . जिसकी वजह से इंदिरा-गाँधी और कांग्रेस को अपना सबकुछ खोना पद, जेपी के अस्वस्थ होने की वजह से वह आन्दोलन अधूरा रह गया जिसका फायदा उनके कुछ राजनीतिक चेलो ने उठाया.. भ्रष्टाचार खत्म होने की जगह उनके शिष्यों के भ्रष्टाचार की नई उचाईयों को छुआ, उनके राजनीतिक शिष्यों ने देश भ्रस्ताचार जी नई परिभाषा गढ़ी...लेकिन अन्ना के साथ जो फ़ौज कड़ी है वो राजनैतिक नहीं बल्कि सामाजिक है.. यहां अरविंद केजरीवाल, किरण वेदी, प्रशांत भूषण जैसे पूर्ण समर्पित योद्धा हैं जो एक मजबूत लोकपाल को लाने के लिए हमारे बीच हैं.

पिछली बार आपसी फूट से आन्दोलन सफल होकर भी विफल हो गया. लेकिन इस बार ऐसा होने के आसार नहीं नजर आते. यहां एक अन्ना लड़ाई में नहीं . यहां पूरा देश आज अन्ना-मय हो गया है. आंकड़े भी बताते हैं कि देश में जागरूकता आई है ..

जेपी आन्दोलन में सत्ता परिवर्तन लक्ष्य था क्योकि महंगाई से त्रस्त जनता बदलाव की मांग कर रही थी इस बार ऐसे लोकपाल के लिए जंग है जो तमान भ्रस्ताचार को जद से खतम कर दे... जिसके अंदर सभी चीजें आ सके. ताकि भ्रस्ताचार पर मजबूती से रोक लगाया जा सके..

अन्ना जी ने विश्व स्तर पर अपनी आवाज़ बुलन्द करते हुए कहा है कि विश्व के संकट को मद्देनज़र रखते हुए भारत को भ्रस्टाचार मुझे आज़ादी प्राप्त होना अति आवश्यक है। जब तक हम भ्रस्टाचार मुक्त न होंगे, हमारा स्वतंत्र अस्तित्व क़ायम न होगा और हम विकास के पथ पर अग्रसर न हो सकेंगे।


दिनकर जी ने लोकनायक जेपी के विषय में लिखा है–

है जय प्रकाश वह नाम
जिसे इतिहास आदर देता है।
बढ़कर जिसके पद चिन्हों की
उन पर अंकित कर देता है।
कहते हैं जो यह प्रकाश को,
नहीं मरण से जो डरता है।
ज्वाला को बुझते देख
कुंड में कूद स्वयं जो पड़ता है।।

अन्ना जी से प्रेरित हो मेरे परम मित्र अम्बिकाप्रसाद दुबे जी ने लिखा है जो युवाओ के लिए है :

हमने भी अब ये ठाना है
देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है
हमने आगे बढाएं है कदम
हम अब पीछे नहीं हटाएंगे
हम देश के युवा ये कसम खाते हैं
हम एक अच्छा भारत बनाएंगे

हम जियेंगे शान से
हमारे सपनों के सच्चे भारत मे
नहीं तो इन्कलाब के तूफ़ान मे
खुद को कुर्बान करते हुए मिट जायेंगे
पर ये तय है हम अब 
एक अच्छा भारत बनाएंगे 


भारत के लोकतंत्र का जब कत्ल हो रहा था तब पुराने स्वतंत्रता सेनानी जय प्रकाश नारायण ने एक बार फिर से आजदी बरकरार रखने के लिए युवाओ को साथ लेकर नवनिर्माण आन्दोलन शुरू किया । उस समय एक तानाशाह इंदिरा गाँधी जो मीसा को हथियार बना कर जुल्म कर रही थी उनके खिलाफ एक बुडी आवाज़ ने सारे हिंदुस्तान में जोश भर दिया । आज वही हाल इस कांग्रेस सरकार का है. सरकार ने धारा १४४ के साथ निषेधाज्ञा लागू करने के साथ ही अन्ना हजारे जी को गिरफ्तार करके ले गई.

इंदिरा इज इंडिया ,इंडिया इज इंदिरा कहने वाले भी उस लोक नायक की एक ऐसी क्रांति की उम्मीद नहीं कर रहे थे । मनमोहन सिंह की यह सरकार सोनिया के कदमो को चूमते हुए चल रही है इसीलिए आज का नया बन गया है

इंडिया अगेंस्ट करप्सन V/S कांग्रेस विथ करप्सन

लोकनायक ने एक नयी आज़ादी की लडाई लड़ी,और जीती, लोकनायक के चेलो ने उन्हें जिन्दा पर ही भुला दिया । और उनके जिन्दा रहते हुए संसद में शोक सन्देश प्रसारित कर दिया । और आज लोक नायक के द्वारा निर्मित नेता केंद्र सरकार में मंत्री है ,राज्य के मुख्य मंत्री है फिर भी वह उन्हें याद नहीं करते और जनता उसकी तो यादाश्त बहुत कमजोर होती है , गाँधी के बाद जय प्रकाश नारायण ने ही भारत को बचाया । और आज वही करने के अन्ना हजारे जी हम सबके साथ हैं..

क्रान्ति का आह्वान

जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था और अन्ना जी ने जेल जाने से पहले हुए अपने वीडियो सूट में कहा है कि हमारा आन्दोलन कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा.. आप सब अपने कार्यालयों से छुट्टियाँ लेकर आन्दोलन में आये. आपका नेतृत्व करके के लिए योग्य लोग हैं.. मै जेल में रहकर अनशन करूँगा.

आगे के अपडेट्स आते रहेंगे बाकी कमेंट्स के माध्यम से

Tuesday, July 26, 2011

वन्दे मातरम्

वन्दे मातरम्


सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

शस्यशामलां मातरम् ।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं

फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं

विजय दिवस पर यह गीत एक-बार फिर से देश को समर्पित - जय हिंद
...सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं

सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-करा​ले

कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,

अबला केन मा एत बले ।

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं

रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म

तुमि हृदि, तुमि मर्म

त्वं हि प्राणा: शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,

हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारई प्रतिमा गडि

मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी

कमला कमलदलविहारिणी

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्

नमामि कमलां अमलां अतुलां

सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।। वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां

धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।। वन्दे मातरम् ।।
 
 
Translation by Sri Aurobindo


Mother, I bow to thee!

Rich with thy hurrying streams,

bright with orchard gleams,

Cool with thy winds of delight,

...Dark fields waving Mother of might,

Mother free.



Glory of moonlight dreams,

Over thy branches and lordly streams,

Clad in thy blossoming trees,

Mother, giver of ease

Laughing low and sweet!

Mother I kiss thy feet,

Speaker sweet and low!

Mother, to thee I bow.



Who hath said thou art weak in thy lands

When the sword flesh out in the seventy million hands

And seventy million voices roar

Thy dreadful name from shore to shore?

With many strengths who art mighty and stored,

To thee I call Mother and Lord!

Though who savest, arise and save!

To her I cry who ever her foeman drove

Back from plain and Sea

And shook herself free.



Thou art wisdom, thou art law,

Thou art heart, our soul, our breath

Though art love divine, the awe

In our hearts that conquers death.

Thine the strength that nervs the arm,

Thine the beauty, thine the charm.

Every image made divine

In our temples is but thine.



Thou art Durga, Lady and Queen,

With her hands that strike and her

swords of sheen,

Thou art Lakshmi lotus-throned,

And the Muse a hundred-toned,

Pure and perfect without peer,

Mother lend thine ear,

Rich with thy hurrying streams,

Bright with thy orchard gleems,

Dark of hue O candid-fair



In thy soul, with jewelled hair

And thy glorious smile divine,

Lovilest of all earthly lands,

Showering wealth from well-stored hands!

Mother, mother mine!

Mother sweet, I bow to thee,

Mother great and free!

Sunday, July 24, 2011

सालों से बेटों की तलास में दर-दर भटक रही है दलित सोमवती

  1. एक ही वर्ष में रहस्यमय तरीके से गायब हो गये थे तीन बच्चे
  2. पुलिस ने पाँच वर्ष तक नहीं की रिपोर्ट दर्ज, बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस के अथक प्रयासों से पाँच वर्ष बाद दर्ज हो सकी रिपोर्ट।
  3. बच्चों के गम में पिता ने पहले तो मानसिक संतुलन खोया आठ साल बाद कुत्ते के काटने से हो गई, बच्चों के गम में डूबे पिता ने इलाज भी कराना मुनासिव नहीं समझा।
  4. समय से पहले ही बूढ़ी हो चुकी सोमवती घरों में झाड़ू-पोछा करके बमुश्किल चला रही है घर
  5. थाना पुलिस से लेकर राष्ट्रपति तक लगाई जा चुकी है गुहार, सभी की ओर से मिलता है एक ही ‘‘जबाब तलास जारी है‘‘।

 

 आगरा के थाना जगदीशपुरा के बौद्ध नगर, घड़ी भदौरिया की तंग गलियों में रहती है अभागी सोमवती। एक छोटे से कमरे में अपने तीन बच्चों के साथ रहती है दलित सोमवती। 

नौ साल से दरवाजे की ओर टकटकी लगाए बैठी एक मां को हर आहट पर यही लगता है कि शायद वो आया, लेकिन न तो वो आता है और ना ही उसकी आहट राहत देती है। वह हर सुबह इसी आस में जगती है और हर रात इसी उम्मीद में सोने की कोशिश करती है कि उसके ‘‘लाल‘‘ उससे मिलने आयेगें। वह पल पल जीती है और पल पल मरती है, मां के कलेजे को उनकी यादें सताती हैं और उसे रूला जाती हैं। 

यह उस मां की सदाये हैं जो हद वक्त अपने ही लाडलों को पुकार रही है। बरसों बीत जाने के बाद भी मां बड़े जतन से अपने कलेजे के टुकड़ों के लौटने का इंतजार कर रही है। बेटों के इंतजार में आंखों में रात गुजरती है और आंशुओं में दिन। न इंतजार खत्म हो रहा है और न कलेजे को ठंडक पहुच रही है, न कोई खबर मिल रही है और न कोई सुध मिल रही है। बच्चों के गम में पहले तो पिता ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया।

वर्षों तक गुमसुम रहा बच्चों की याद में हर समय उस घड़ी को कोसता रहता जिस घड़ी ने उसके मासूमों को उससे जुदा किया था। आठ साल तक एकदम गुमसुम सा रहने वाले पिता को जिंदगी बोझ लगने लगी थी। एकदिन कुत्ते ने उस पिता को काट लिया तो उसने अपना इलाज तक कराना मुनासिव नहीं समझा। वह बच्चों के गम में पूरी तरह से टूट चुका था। उसने अपने कुत्ते की घटना के बारे में अपनी पत्नी को भी नहीं बताया। जब वह पानी से डरने लगा तो सोमवती को कुछ शक हुआ तो कई बार पूछने पर उसने बताया कि उसे कुत्ते ने काट लिया है और अपना इलाज न कराने को कहा वह बच्चों के गम में और अधिक जीना नहीं चाहता था। सोमवती रोती हुई अपने पति के इलाज के लिए दौड़ी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। और उसके पति ने बच्चों के गम में दम तोड़ दिया। अब अभागी सोमवती अकेली है वह अब किसी के साथ दुख बांट भी नहीं सकती है।

पथराई आंखे, पपड़ाये होठ, वक्त से पहले ही चेहरे पर झुर्रियों की मार कुछ ऐसी ही है सोमवती। सोमवती हमेशा से ही ऐसी नहीं थी। सोमवती की भी दुनिया कभी खुशियों से भरी थी। सोमवती के लिए मई 2002 दुर्भाग्य लेकर आया। को सोमवती ने अपने बड़े बेटे आनन्द को अपने पिता को बुलाने के लिए सड़क पर चाय की दुकान से बुलाने के लिए भेजा था। वह पिता को तो आने की कह आया लेकिन खुद नहीं लौटा। अपने 14 वर्षीय बेटा जब शाम छः बजे तक भी नहीं लौटा तो उसकी तलास शुरू कर दी। आस-पास तथा रिश्तेदारों के यहाँ तलाश करने पर भी नहीं मिला तो सोमवती अपने बेटें की रिपोर्ट लिखाने थाने पहुची तो पुलिस का वो क्रूर चेहरा सोमवती के सामने आया जिसे याद करके वह आज भी सिहर उठती है। 

पुलिस ने बच्चे की रिपोर्ट लिखने से साफ मना कर दिया। कहा गया कि श्रीजी इंटरनेशनल फैक्ट्री में आग लग गई हमें वहां जाना है ऐसे बच्चो तो खोते ही रहते हैं। उसे रिपोर्ट दर्ज किये बिना ही भगा दिया गया। कहीं भी सुनवाई न होने पर सोमवती थक हारकर घर बैठ गई।

2002 की दीपावली से करीब पाँच-छः दिन पहले सोमवती का 12 साल का दूसरा बेटा रवि भी अचानक गायब हो गया। रवि घर के बाहर खेलने के लिए निकला था। रवि को तलाशने में खूब भागदौड़ की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। इस बार भी सोमवती थाने में गुहार लगाने पहुची मगर नतीजा पहले की तरह से शून्य ही रहा। अभी सोमवती के उपर दुखों का पहाड़ टूटना बाकी था। करीब तीन माह बाद सोमवती का तीसरा पुत्र रवि रहस्मय तरीके से गायब हो गया।

तीसरे बच्चे के गायब होने पर भी पहले की तरह सोमवती जगदीशपुरा में रिपोर्ट दर्ज कराने गई तो इस बार तो पुलिस ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दीं। पुलिसकर्मियों ने लताड़ दिया और सोमवती से कहा कि तेरे बहुत बच्चे हैं। हर बार तेरे ही बच्चे गायब होते हैं। हमने क्या तेरे बच्चों का ठेका ले रखा है। क्यों इतने बच्चे पैदा किये ज्यादा बच्चे होंगे तो गायब होगें ही हम पर क्या तेरे बच्चे ढूढने का एक ही काम है जाओ और हमें भी काम करने दो।

तीन-तीन बच्चों के गम ने सोमवती तथा उसके पति गुरूदेव को झकझोर कर रख दिया। गुरूदेव बच्चों के गम में अपना मानसिक संतुलन खो बैठा दिन-रात सिर्फ बच्चों की याद में गुमसुम बैठा रहता। अब सारी जिम्मेदारी सोमवती पर आ गई थी। लेकिन सोमवती ने हार नहीं मानी और एक नियम बना लिया वह हर माह थाना जगदीशपुरा जाती और बच्चों के बारे में पूछती पुलिस द्वारा उसे हर बार भगा दिया जाता था लेकिन उसने थाने जाने का नियम नहीं तोड़ा।

10 फरवरी 2007 को सोमवती हर बार की तरह ही थाने गई थी पुलिस ने उसे हमेशा की तरह फटकार दिया था। सोमवती थाना जगदीशपुरा के बाहर बैठी रो रही थी तभी अचानक वहाँ से मानवाधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस गुजर रहे थे। उन्होने सोमवती से रोने का कारण पूछा तो पहले तो उसने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। लेकिन अधिक अनुरोध करने पर सोमवती ने नरेश पारस को रोते रोत पूरी घटना बताई। नरेश पारस ने थाना जगदीशपुरा में संपर्क किया तो पता चला कि सोमवती की रिपोर्ट दर्ज की ही नहीं गई थी। नरेश पारस ने सोमवती के मामले को स्थानीय मीडिया में उठाया तो मीडिया ने सोमवती की खबर को प्रकाशित किया। 

नरेश पारस ने सोमवती के दुख को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग बताया तो मानवाधिकार आयोग ने तत्कालीन एसएसपी श्री जी के गोस्वामी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की। आयोग के निर्देश एवं मीडिया की पहल पर सीओ लोहामण्डी सुनील कुमार सिंह तथा एसओ विनाद कुमार पायल ने सोमवती के घर जाकर हालचाल जाना तथा सोमवती की रिपोर्ट दर्ज की। सोमवती के गायब हुए तीनो बेटों की गुमसुदगी पाँच वर्ष बाद 14 फरवरी 2007 को दर्ज हो सकी।

नरेश पारस लगातार सोमवती के संपर्क रहे। सोमवती के बच्चों के फोटों लेकर पुलिस ने पैम्पलेट छपवाएं। जिले में गुमसुदा प्रकोष्ठ भी खोले गये। गुमसुदा प्रकोष्ठ में भी कई बार सोमवती गई लेकिन उसे सख्त हिदायत दी जाती कि गुमसुदा प्रकोष्ठ में वही कहना है जो दरोगा जी बतायें। कहा जाता रहा कि तलास जारी है। पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नही की गई। जबकि सोमवती ने अपने स्तर से एक बेटें को ढूढ निकाला।

सोमवती ने बताया कि उसका बड़ा बेटा आनन्द कुबेरपुर गांव में एक जाट परिवार में रहता है। सोमवती का कहना है कि जब वह अपने बेटे से मिलने गई तो जाट परिवार की महिला ने कहा कि वह आनन्द को फरीदाबाद रेलवे स्टेशन से लेकर आई थी । वह अब बच्चे को नहीं देगी। उसने बच्चे को दिल्ली के पास किसी जगह पर छुपा दिया। सोमवती ने कहा कि बच्चे को भले ही न दो लेकिन इतनी अनुमति दे दो कि वह अपने बेटे से त्याहारों पर मिल सके लेकिन उस महिला ने स्पष्ट इंकार कर दिया। और सोमवती को दुवारा नआने की हिदायत दी। सोमवती ने पुलिस से संपर्क किया तो पुलिस ने गाड़ी करने के लिए सोमवती से पैसों की मांग की। सोमवती की मदद के लिए पुलिस द्वारा कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं की। तंग आकर पुलिस ने अप्रेल 2010 में सोमवती के गुमसुदा बच्चों की फाइल ही बन्द कर दी।

सोमवती की फाइल बन्द होने की सूचना जैसे ही नरेश पारस को हुई तो नरेश पारस ने दुबारा से पुनः प्रयास किया। उन्होने सोमवती की मुलाकात तत्कालीन कमिश्नर श्रीमती राधा एस चौहान से मुलाकात कराई। श्रीमती चौहान ने नरेश पारस के अनुरोध पर सोमवती के गुमसुदा बच्चों की दुबारा फाईल खुलवाई। कमिश्नर ने सीओ लोहामण्डी सिद्धार्थ वर्मा को जाच सौपी और सोमवती के बेटों को ढूढने के निर्देश दिये।

नरेश पारस ने सोमवती का मामला महामहिम राष्ट्रपति को भी भेजा। राष्ट्रपति भवन से भी उ0 प्र0 सरकार के लिए निर्देश जारी हुए। उ0 प्र0 सरकार ने पुलिस को कार्यवाही के लिए निर्देश दिये। मामला फिर थान पुलिस पर आकर अटक गया। सोमवती आज भी अपने पुत्रों का इंतजार कर रही है। विगत मार्च माह में सोमवती के पति को कुत्ते ने काट लिया था। सोमवती का पति पहले ही बच्चों के गम में अपना मानसिक संतुलन खो चुका था वह बच्चों के गम में और अधिक जीना नहीं चाहता था इसलिए उसने अपने कुत्ते काटने के संबंध में किसी को भी नहीं बताया। यहाँ तक कि सोमवती का भी नहीं बताया। कुछ दिन गुजरने के बाद जब सोमवती का पति गुरूदेव पानी से डरने लगा तो सोमवती के कुछ शंका हुई और उसने अपने पति से पूछा तो गुरूदेव ने सोमवती को सबकुछ सच सच बता दिया और कहा कि वह अब और अधिक बच्चों का गम बर्दास्त नहीं कर सकता है इसलिए उसका इलाज भी न कराया जाए। सोमवती पति की बातों को सुनकर हैरान रह गई। वह आनन-फानन में पति को लेकर इलाज के लिए दौड़ी उसने कई जगह दिखाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एक दिन बाद ही गुरूदेव ने दम तोड़ दिया। अब सोमवती बिल्कुल अकेली पड़ गई उसका आखिरी सहारा भी छिन गया था। अब वह दिन रात रोती रहती है। उसे अब उजाले से भी डर लगने लगा है। वह एक कमरे में अंधेरा करके बैठी रोती रहती है और अपने भाग्य को कोसती रहती है। अब उसके पास तीन बच्चे हैं 15 साल का संतोष, 12 साल की काजल तथा 10 साल का उमेश। पढ़ने लिखने की उम्र में सोमवती ने अपने दोनों बेटों को जूते का काम सिखाने के लिए पास के ही एक कारखाने में भेज दिया। अब सोमवती एकदम असहाय हो चुकी है। वह हर समय दरवाजे पर बैठी आंशू बहाती रहती है। उसकी मदद करने वाला कोई नहीं है।

सोमवती का मामला थाने से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सबके संज्ञान में है। नरेश पारस ने सोमवती का मामला राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग को भी भेजा लेकिन बाल आयोग ने यह कहकर टाल दिया कि मामला पूर्व से ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में चल रहा है। इस लिए आयोग कोई भी कार्यवाही नही कर सकता है। मानवाधिकार आयोग ने भी यह कहकर फाईल बन्द कर दी कि पुलिस ने पैम्पलेट छपवाकर बांट, टीवी रेडियों के माध्यम से जानकारी प्रकाशित कराई है। पुलिस द्वारा कार्यवही जारी है इसलिए फाइल बन्द कर दी जाती है।

आगरा की महापौर श्रीमती अंजुला सिंह माहौर एक महिला हैं, उ0 प्र0 की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती हैं तथा देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर भी एक महिला श्रीमती प्रतिभादेवी सिंह पाटिल विराजमान हैं। देश में सभी जगह महिला शासन होते हुए भी एक महिला अपने तीन बेटों को ढूढने के लिए दर-दर भटक रही है। क्या सभी की मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं। 

देश में तमाम महिला एवं बाल अधिकार संगठन हैं फिर भी सोमवती पर किसी को भी तरस नहीं आया। यदि पुलिस शुरूआत में ही सोमवती के बेटों की गुमसुदगी दर्ज कर लेती तो शायद उसके बेटों को ढूढा जा सकता था लेकिन पुलिस ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया। सोमवती के बेटों को ढूढा जाए तथा उसकी आर्थिक मदद की जाए। उसके बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाए। सोमवती आज भी अपने बेटों का इंतजार कर रही है।---

आगरा से वरिष्ठ पत्रकार श्री ब्रज खंडेलवाल की रिपोर्ट

Saturday, July 16, 2011

देश के नेताओं अब तो तुम कायरता छोडो

वो भी नेता थे, जिन्होंने देश की खातिर
अपने पूरे जीवन को होम था कर डाला
एक ये भी नेता है, जिन्होंने कुर्सी की खातिर  
अफजल और कसाबों की बिरयानी खिला के है पाला

आज जब गाँधी, सुभाष, और तिलक
मंगल पांडे, राजगुरु, सुखदेव और भगत
स्वर्ग से इन नेताओं की करतूतों को देख कर
वो शर्मशार हों जाते होंगे,
पहले शहीद हुए थे वो
अब इन नपुंसको के कारण
वो लज्जा से मर जाते होंगे

उन्होंने जब दी थी जाने तो सोचा होगा
हम अपना एक अच्छा मुल्क बनाएंगे
सब के पेट में दाना होगा
सभी को जीने का अधिकार दिलाएंगे

पर लगता है अब तो जैसे सिर्फ
नेताओं और गुंडों को जीने का अधिकार है
आम जनता मरती है तो मर जाये
वैसे भी गरीबों का होना नेताओं के लिए बेकार है
जब तक आते नहीं है चुनाव
इन नेताओं को जनता से
भला कौन सा सारोकार है

जब इन नेताओं से पूंछो
क्यूँ अफ्जल कसाब जैसे आतंकी
अब तक फांसी से दूर बैठे हैं
क्यूँ ये नेता इन दुश्मनों को
जेल में बंद कर के चैन से लेटे हैं

तो इन नेताओं का कहना है
हम क़ानून के रक्षक है
हम भक्षक कैसे बन जाएँ
बिना सुनवाई के इन सब को
हम फांसी पर कैसे चढ़वाएं

मै पूंछता हूँ
अफजल की दया याचिका
ख़ारिज होने पर भी
क्यूँ ग्रह मन्त्रालय में
वो रिपोर्ट ढाई साल धुल खाती है
क्यूँ कसाब को फांसी देने में
निचली अदालत भी
दो साल का लम्बा समय लगाती है
क्यूँ कसाब की सजा हेतु
उच्चतम न्यायलय में जल्दी नहीं की जाती है


मुझे तो इस देरी में
सरकार और नेताओं की ही
चाल नजर आती है
दाल में कुछ काल नहीं
मुझे तो पूरी ही काली
दाल नजर आती है

एक अतंकवादी के जन्मदिन पर
कुछ धमाके हों जाते हैं
और हमारे देश के कर्ण धार
जांच के पानी से अपना मुह धो कर
अपने घर में जा कर सो जाते है

जांच के पानी से मुह धो लेने वाले
ये जो किस्मत के है हेठे
जाने कब समझेंगे किसी विस्फोट मे
मर सकते हैं इनके भी बेटे


ये कुछ नामर्द हमारे देश में आकर  
हमारे बच्चों की जाने ले जाते हैं
और हमारे कायर नेता
रोष दिखा कर चुप हों जाते हैं

जो देश के वीर जवान
आतंकियों को पकड़ कर
जेलों में बंद कराते हैं
तो ये नेता उनको सजा दिलवाने के बदले
जेलों में करोडो खर्च कर के
बिरयानी खिलाते है

देश के नेताओं
अब तो तुम कायरता छोडो
सीखो कुछ अपने पुरखों से
इन आतंकियों की गर्दन तोडो

और जो तुम अब भी नही जागे
तो मजबूरन हम जग जायेंगे
और फिर तुम जैसे कायर
इस देश से पक्के से मिट जायेंगे

अम्बिकाप्रसाद दुबे'कुंदन'/श्रवण शुक्ल 
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