हद कर दी यूँ दूर रहकर,
मै फिर भी हद से न गुज़रा यह अलग बात है !
अब और कितना गम सहूँ तुझसे दूर होने का?
अब तलक सहता रहा यह अलग बात है !!
सोचा न था तेरे प्यार में तडपना पड़ेगा,
इतना तड़प होने के बाद पता चला यह अलग बात है!
कभी न अब तडपाऊंगा न ही सताऊँगा,
सिर्फ कह रहा, अमल न लाऊंगा यह अलग बात है!
कभी रास्ते में आकर यूँ ही न चला जाऊँगा,
चाहूँगा तुझे मै दिन रात, बिना-बताए यह अलग बात है!
कभी मनाऊंगा नहीं तुझे-मर जाऊँगा कुछ पल में ,
यह अलग बात है!
चाहना कुछ गलत नही, मगर चाहकर भी तुझे न पा सका
यह अलग बात है!!
जिंदगी के हर पल में तू थी, अब तेरे बिना जीना पड़ेगा,
यह अलग बात है!
कभी सोचा न था यूँ रुसवा होकर हमसे तुम अलग हो जाओगे,
अलग हो ही गए यह अलग बात है!!
चाहतो में जीना आसान है मगर चाहतो में दूर होकर भी मै जिया
प्यार करना अगर गुनाह है, यह जानते हुए भी मैंने प्यार किया, यह अलग बात है!!
7 comments:
सच में बहुत हि अलग बात है...
ट्विटर से लिंक मिला...
आपकी कविता पढ़ी...
बहुत सुंदर रचना..
इतना सब जानते हुए प्यार करना सच में अलग बात है और फीर तकरार हो जाए ये और भी अलग बात है
bahut khoob
लहरों की डर से नोका पार नहीं होती !
शुक्ला जी कोशिस करने वालो की कभी हार नहीं होती !!
बहुत सुन्दर ...
Nice poem----
awesum...
awesum...
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