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Tuesday, October 27, 2015

If police refuses to register your FIR then what to do ?

If police refuses to register your FIR
then what to do ? By Abhishek Ranjan
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Recently i have visited any police station in Bihar first time, because some goons of a political party beaten me just for raising issue of Navruna infront of CM. Initially Police refused to accept petition. When concerned official were informed by others about my identity, he's ready to accept my application but again refused to give FIR no. After 2 days struggle, police registered my case finally.
Its a very common phenomenon
that people are saying that police
is not lodging their FIR. Even sometimes people are ill-treated by the police. Sharing here some information compiled by one of my lawyer friend....
If Police officer concerned (SHO), refuses to Register complaint/FIR, than by virtue of section 154(3), a written Complaint may be send by Post to the Superintendent of Police or the Commissioner of Police (in Metropolitan areas); If Superintendent of Police or the
Commissioner of Police (in Metropolitan areas) is satisfied that the Complaint discloses
cognizable offence, he may himself investigate the case or cause the investigation of the case by any Police officer subordinate to him.
Even after that if no any action has been taken then an application can be made under
section 156(3) read with section 190 of Code of Criminal Procedure to a judicial Magistrate/
Metropolitan Magistrate thereby praying that police to register the FIR., investigate the case, file charge-sheet or report.
A Writ Petition in the respective High Court may be filed for the issuance of Writ of Mandamus
against the defaulting Police officers, inter alia, to Register the FIR and directing him to show
cause (a) why he has not registered the FIR; (b) why disciplinary proceedings for "Misconduct"
should not be initiated against him for dereliction of duty; (c) why he should not be suspended from Police service for interfering in
the administration of justice and shielding the accused person.
You can file an online complaint, find relevant information and also get the contact details of each State's own Human Rights Commission office on the website of the National Human Rights Commission ( http://nhrc.nic.in )
Refusing to register an FIR on jurisdictional ground could now cost a policeman a year in jail.
Taking strong view of increasing instances of such acts by police in various states, the Union home ministry has issued strict instructions to all states to not only initiate departmental inquiry against such cops but also prosecute them under Indian Penal Code.
The home ministry told the states and Union Territories to clearly instruct all police stations that failure to register FIR on receipt of
information about any cognizable offence will invite prosecution of the duty police officer under I.P.C.
Section 166A (government official disobeying law) which will invite imprisonment up to one year.
In its latest directive, the MHA told the states and UTs that policemen should be sensitized to respond to complaints with alacrity, whether
it is from man or woman, and must apprehend the accused immediately after the complaint,
as it adversely impacts the victim and there is tendency of persons committing crimes to slip away when there is delay on extraneous
grounds like jurisdiction.

Friday, October 23, 2015

बिहार के सीएम नीतीश कुमार से रैली में सवाल पूछने पर युवक पर हमला!


मुजफ्फरपुर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उन्हीं की रैली में सवाल पूछना एक युवक को महंगा पड़ गया। नीतीश से सवाल पूछने पर जेडीयू कार्यकर्ताओं ने युवक पर हमला बोल दिया और जमकर गुंडागर्दी करते हुए पिटाई की। जेडीयू कार्यकर्ताओं के हमले में युवक घायल हो गया। दरअसल, अभिषेक रंजन नाम के युवक ने सीएम नीतीश कुमार से बहुचर्चित नवरुणा किडनैपिंग कांड की जांच को लेकर सवाल किए थे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी जेडीयू कार्यकर्ताओं ने उनपर हमला बोल दिया।

अभिषेक रंजन एक्टिविस्ट हैं और नवरुणा को न्याय दिलाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। उनकी लगातार कोशिशों का नतीजा है कि नवरुणा किडनैपिंग केस अब सीबीआई के हवाले है। अभिषेक रंजन ने अपने फेसबुक स्टेटस पर लिखा है, 'मुजफ्फरपुर के पत्रकारों का धन्यवाद, जो उन्होंने मेरी जान बचा ली। वरना नीतीश समर्थक जदयू कार्यकर्त्ता थप्पड़ चलाने, गला दबाने के साथ भीड़ में मेरी जान ले लेते और आपका अभिषेक आज नही बचता। दोष इतना ही था कि सिर्फ खड़े होकर सवाल पूछा और वह भी किसी समूह में नही अकेले । मैं पूछता रहा कि नवरुणा का क्या हुआ? उसे न्याय कब मिलेगा मुख्यमंत्री जी, मुख्यमंत्री महिला सुरक्षा के दावे करते रहे। मैं लोकतान्त्रिक तरीकें से पोस्टर लिए खड़ा रहा। एसपी ने मेरा परिचय पूछा, मैंने बस अभिषेक कहा। जान मार देने तक की धमकी भी मिली है। यह सबकुछ एक स्थानीय जदयू नेता के नेतृत्व में हुआ।'

इसके आगे अभिषेक ने लिखा है, 'मुझे खूब चोट लगी है लेकिन मैं बिल्कुल सुरक्षित हूँ। चिंता करने की कोई बात नही है। अब मुझे डर अपनी जान का है। वैसे भी मुजफ्फरपुर मेरे लिए खतरों से खाली नही था, अब तो यहाँ खुलकर चल भी नही सकता। खैर बहरों को सुनाने और उसके डबल स्टैण्डर्ड को एक्सपोज़ करने के लिए कुछ तो करना ही चाहिए था।'

अभिषेक ने नीतीश कुमार के आगे प्रदर्शन करने के बारे में फेसबुक पर ही सभी लोगों से अपील की थी, कि वो नीतीश कुमार के सामने प्रदर्शन करने चल रहे हैं और इसमें उन्हें साथियों से सहयोग चाहिए। अभिषेक एक तख्ती पर नवरुणा को न्याय दिलाने की अपील कर रहे थे। अभिषेक पर हमले की सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। आशुतोष कुमार सिंह ने लिखा है कि अभिषेक रंजन से अभी-अभी बात हुई है। पीठ में ज्यादा चोट है। फिलहाल सुरक्षित हैं, लेकिन जान से मारने की धमकी मिली है। यह गंभीर मामला है, बिहार के नीतीश सरकार के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।

Monday, October 12, 2015

Be Alert to Protect Yourself Against World

जिंदगी एक जंग है। ऊपर वाले ने हमें एक वॉर जोन में फेंक दिया है। बी एलर्ट! प्रोटेक्ट योरसेल्फ....।

जिंदगी में एक मंजिल चुनना जरुरी है। जुनून के साथ दौड़ो। पढ़ना है तो जुनून के साथ पढ़ो, गाना है, तो जुनून के साथ गाओ। बिना मकसद के जिंदगी, मुर्दों से बदतर है। उसके मरने-जीने से दुनिया को कोई फर्क नहीं पड़ता।

याद रख लो, खुद से बढ़कर यहां कोई तुर्रम खान नहीं। जो अच्छा लगे वो करो। किसी की बात मत सुनो। इंसानियत की बात तो बिल्कुल नहीं।

अगर तुम्हारा टारगेट है 10 मील जाने की, तो 11 मील दौड़ो। ऐसा हाथ मारो कि दिमाग घूम जाए। समझा? अब से किसी से कुछ नहीं बोलना। न समाजवाद, न साम्यवाद, न पूंजीवाद। सिर्फ अपन का वाद... बाकी सब भाग साले....
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