श्रवण शुक्ल विचारशील युवा |
महंत अवैद्यनाथ के महानिर्वाण पर आंसू बहा रहे कट्टर हिन्दुओं को वो हिंदुत्व के रक्षक नजर आते हैं। खुछ पुरजोर तरीके से इसका दावा भी करते हैं, जोकि गलत है। पहले नाथ पंथ के बारे में थोडा और जानें। नाथ पंथी सनातन व्यवस्था के विरोधी रहे हैं। अवैद्य नाथ और योगी ने नाथ पंथ को बीजेपी की जागीर बना दिया।
बाबा गोरखनाथ ने सनातनियो से विद्रोह करके दबे कुचले लोगों के लिए आवाज उठाई थी... इनके प्रचारक कभी नहीं रहे। जो आज आदित्यनाथ हैं। इसकी शुरुआत तो अवैद्यनाथ ने ही की थी। चौथे लोकसभा में हिन्दू महासभा के टिकट पर संसद पहुंचकर...
क्या है नाथ पंथ.. जानें- नाथ पंथ हिंदू सनातन पंथ का विरोधी रहा है, इसके संस्थापक गोरखनाथ जी ने सदा ब्राह्मण पंथों, वैष्णव सनातन पंथों, जिसका नेतृत्व भाजपा करता रहा है, के विरोधी रहे हैं. लेकिन आज नाथ पंथ के सबसे बड़े मठ गोरखनाथ का महंत भाजपा के हिंदूत्व की राजनीति का प्रमुख प्रचारक बन कर उभरा है.
नाथ पंथ अपने मूल सांस्कृतिक व्यवहार में सनातन संस्कृति से कई मामलों में एकदम विपरीत है. सनातन पंथ में दलितों की संख्या कम है, नाथ पंथ में उपेक्षित दलित और पिछड़ों की संख्या ज़्यादा है. नाथ पंथ का प्रभाव मूलतः छोटी दलित जातियों जैसे जोगी, कोल, संपेरा, सरवन, बुनकर, रंगरेज इत्यादि जातियों में रहा है.
आज भी अनेक छोटी दलित जातियां नाथपंथ से जुड़ी हैं. इन दलित समूहों का धार्मिक केन्द्र गोरखपुर का गोरखनाथ धाम है, जिसके महंत आदित्यनाथ जी रहे हैं. नाथ पंथ में आज भी जोगियों का एक बड़ा तंत्र है जो गांव-गांव घूमकर सारंगी बजाकर अलख लगाते हैं।
गोरखनाथ छुआछूत, जात पात को लेकर उत्पीडित समाज के लिए लड़ने वाले थे। आपको बता दूं कि हिन्दू और सनातन व्यवस्था अलग-अलग हैं। हिन्दू व्यवस्था मिश्रित है.. सनातन व्यवस्था पानी की तरह साफ़। उसके नियम.. कानून.. बहुत कुछ। एक लाइन में कहूं तो हिन्दू सेकुलर है और सनातनी कट्टर।