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Friday, January 13, 2012

दीवार के दरकने की आशंका, अनचाहे विश्व रिकार्ड की दहलीज पर

लगता है भारतीय क्रिकेट की 'दीवार' कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ के रक्षण में दरार आ गई क्योकि एक बार वह फिर बोल्ड होकर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलेन बॉर्डर के सर्वाधिक 53 बार बोल्ड होने के रिकॉर्ड की बराबरी करने के बाद अब अनचाहे विश्व रिकार्ड को अपने नाम करने की कगार पर खड़े हो गए हैं।

भारतीय क्रिकेट टीम के दीवार श्रीमान भरोसेमंद द्रविड़ आज यहां तीसरे टेस्ट के पहले दिन तेज गेंदबाज पीटर सिडल की गेंद पर बोल्ड हो गए। पिछली दस टेस्ट पारियों में द्रविड़ सातवीं बार बोल्ड हुए हैं। 


अगर ऐसा ही चलता रहा तो पहले से ही विपक्षियों के निशाने पर रहे राहुल द्रविड़ हो सकता है कि वह कुछ अलग फैसले कर बैठे, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने जैसे फैसले भी शामिल हों। बढती उम्र और आखिरी समय पर गेंद से निगाहें हट जाने की समस्या को लेकर वह पहले से ही कई पूर्व क्रिकेट खिलाडियों के निशानें पर हैं

कुछ दिनों पहले किसी टीवी न्यूज चैनल पर पूर्व क्रिकेटर विनोद काम्बली ने तो यहां तक कह दिया कि अब द्रविड़ की उम्र काफी ज्यादा हो गई जिसके कारण वह खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं क्योकि पिछले काफी समय से देखा जा रहा है कि जब वह गेंद को रक्षात्मक ढंग से खेलते हैं तो उनके बल्ले और पैड के बीच काफी जगह छूट रही है, जिसको निशाना बनाकर विपक्षियों द्वारा किये गए आक्रमण से वह निपट नहीं पा रहे हैं यही वजह है कि वह बार बार एक ही तरीके से बोल्ड आउट हो रहे हैं। अगर वह क्रिकेट खेलते रहना चाहते हैं तो उन्हें जल्द से जल्द अपनी तकनीकी खामियों पर काबू पाना ही होगा


Tuesday, January 10, 2012

जाने कैसे हमें चाहतों का नजराना मिल गया.............................................................!!

फिर.......जाने कैसे हमें चाहतों का नजराना मिल गया.............................................................!!


वो मेरे पास आये तो धड़कने बढीं, बढ़ी धडकनों का इशारा सा हो गया !
न मै कुछ समझा न वो कुछ समझ पाई, जाने कैसा हमें चाहतो का नजराना मिल गया!!

हमारा प्यार में डूबने को आगे बढ़ना,
तभी उसके रेशमी जुल्फों का हवाओं में लहराना!
जाने क्या कह गई उसकी काली-हसीं जल्फें,
शायद कुछ खास था हमारे प्यार के इशारों में नजरों का मिलाना!!

वो शरारत-वो इश्क की इबादत, फिर वो शरमाई-वो मुस्काई!
फिर चेहरे से नजरों को हटाते हुए वो मेरी बाहों में सिमट आई!!
हमारे प्यार की लड़ाई में हम प्यार के झोकों से हिल गए!
वो शर्माते हुए मुझमे समांकर मेरे सीने से लिपट आई!!

उनका सीने से लिपटना, उनकी जुल्फों के जादू का चलना!
उसका मुझमें समांकर खुद अपने से दूर जाना, जाने कैसा एहसास दे गई!!
मैं उसमे जीता था पहले ही..............!
इस प्यार की आंधी में उसके पास ही था मैं, मगर वी एहसास मुझे और पास कर गई...!!

ऐसा था हमारा मिलन, फिर भी हमेशा के लिए हम एक न हो पाए,
जाने कैसे वो दिन आये, जाने कैसी वो रातें कट गईं!!
हमारे बीच शायद अब खुदा था जिसे हमारा मिलन रास न आया,
वो पहले कुछ दूर, फिर थोडा दूर, फिर हमेशा के लिए मुझसे दूर हो गई!!

शायद दो पल का मिलन था. देनी थी यह दर्द भरी यादें...!
तभी तो वफ़ा के नाम पे बेवफाई है मिली!!
कभी चाहतों का मिलता था नजराना हमें!
अब उनके लिए निकले आंसुओं में बहती कश्तिओं का मुझे ठिकाना मिल गया!!

फिर.......जाने कैसे हमें चाहतों का नजराना मिल गया.......................................................................!!



ROMAN-HINDI

wo mere pas aaye to dhadkane badi,
badi dhadkano ka ishara sa ho gya...
na mai kuch samjha na wo kuch samajh paai,
fir jane kaise hame chahto ka najrana mil gya..

hamara pyar me doobne ko aage badhna.
tabhi uske reshami balo ka hawa me lahrana.
jane kya kah gai uski kali-hasin julfe,
shayad kuch khas tha hamare pyar ke isharo me najro ka milana..

wo shararat- wo ishk ki ibadat, fir wo sharmaai , wo muskaai..
fir chehre se najron ko hatate hue wo meri baahon me simat aai..
hamare pyar ki ladai me ham pyar ke jhokho se hil gye
wo sharmaate huye mujhme samakar mere seeney se lipat aai.

unka seeney se lipatna, unki julfo ki jadu ka chalna..
uska mujhme samakar khud apne se dur jana, jane kaise ahsas de gai,
mai usme jeeta tha pahle hi..
is pyar ki aandhi me uske paas hi tha mai.. magar wo ahsas mujhe aur pas kar gai..

aisa tha hamara milan, fir bhi hamesha ke lie ham ek na ho paaye,
jane kaise wo din aaye, jane kaisi wo raate kat gai
hamare beech shayad ab khuda tha jise hamara milan ras na aaya
wo pahle kuch door, fir thoda door, fir hamesha ke lie mujhse door ho gai..

shayad do pal ka milan tha.. deni thi yeh dard bhari yaaden
tabhi to khudai ke name par bewafaai hai mili...
kabhi chahto ka milta tha nazrana hame,
ab unke lie nikle ansuo me bahti kashtiyo ka mujhe thikana mil gya...

fir.........jane kaise hame chahto ka najrana mil gya..........................................................!!
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