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Wednesday, February 18, 2015

हां... याद है मुझे

याद है वो वक्त अभी भी।
मैनहटन में जब
वो मेरे करीब आई थी।
बारिश में भी पसीनें की बूंदे,
माथे पर उभर आई थी।
हां.. याद है मुझे
उसकी हर अदा
वो आखिरी भी
जब साथ कथित अपनों के आई थी
हर बात तो एक मकाम देने
जो आखिरी था, जो आखिरी था
हां... याद है मुझे
हां... याद है मुझे
उसकी दूरियों का बहाना
हाँ... याद है मुझे

 
श्रवण शुक्ल

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