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Sunday, March 9, 2014

दोहरी ख़ुशी...

सोच रहा था
सुना दूं वो
जो, दिल में है
पहले मैं कहूँ
कैसे, उधेड़बुन
में था दिल मेरा
और उसने आसां कर दिया
कहके ये, हां!
है मोहब्बत तुमसे
ऐसा था वो पल
शब्दों में बयां
न कर पाने लायक
अहसास अनोखा था
उसका भी दिल खुश
और मेरे लिए दोहरी ख़ुशी।


(C) श्रवण शुक्ल

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