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Saturday, November 17, 2012

जंतर-मंतर पर एक रात अन्ना हजारे के साथ

जंतर-मंतर पर एक रात अन्ना हजारे के साथ 
विद्याशंकर राय

नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में बचपन में काफी कुछ सुना था और बड़े होने पर उनके बारे में पढ़ने का मौका भी मिला लेकिन गुरुवार को जंतर-मंतर पर आधुनिक भारत के 'गांधी' कहे जा रहे अन्ना हजारे से कुछ पल के लिए ही सही लेकिन जब बात करने का मौका मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

अन्ना हजारे की अपील पर देश भर से जंतर-मंतर पहुंच रहे लोगों की बाढ़ को देखते हुए यह तो स्पष्ट हो गया कि उनके अंदर काबिलियत है कि वह हवाओं का रुख मोड़ दें। मैं गुरुवार की रात करीब 10.30 बजे जंतर-मंतर पहुंचा था। यहां तो मैं सुबह भी आया था लेकिन इतनी ज्यादा भीड़ नहीं दिखाई दी थी इसलिए इस तरह के माहौल का अंदाजा पहले से नहीं था, हजारों लोगों की भीड़ देखकर काफी उत्साहित हुआ।
प्रतिष्ठित समाचार चैनलों के सम्पादक भी अन्ना हजारे और उनके समर्थकों द्वारा उठाए गए इस तूफान का रुख पहचानने जंतर-मंतर पहुंचे थे। बड़ी-बड़ी शख्सियतों के मौजूद होने की वजह से रात 10 बजे से लेकर 12 बजे तक किसी से मिलने का मौका तो नहीं मिला लेकिन हां इतना जरूर एहसास हुआ कि किसी उत्सव में आया हूं। सुबह इस तरह का माहौल नहीं दिखाई दिया था।
क्या बूढ़े, क्या बच्चे और क्या युवा सभी लोग भ्रष्टाचार रूपी राक्षस को जड़ से समाप्त करने के लिए इस उत्सव में शामिल होने के लिए जंतर-मंतर पहुंचे थे। मैं यह देखकर यह हैरान था कि जिन को भ्रष्टाचार का मतलब तक नहीं पता था ऐसे छोटे बच्चे भी अन्ना हजारे का गुणगान कर रहे थे।
अबोध बच्चों की उपस्थिति ने इस उत्सव को और खुशनुमा बना दिया था। नन्हें-मुन्हें बच्चे इधर-उधर इस कदर दौड़-भाग कर रहे थे। कोई मोमबत्ती जला रहा था तो कोई हाथ में तिरंगा लिए 'बंदे मातरम' के गीत गा रहा था, ऐसा लग रहा था मानो वह भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जनांदोलन में नहीं बल्कि किसी उत्सव में शरीक होने आए हों। खर देश के इन भावी कर्णधारों की मौजूदगी ही शायद अन्ना हजारे के इस आंदोलन की असली ताकत है।
खर रात के 11 बजने के बाद मीडिया की बड़ी शख्सियतें धीरे-धीरे लौट रहंी थी और स्थानीय इलाकों से जंतर-मंतर पहुंचे लोग अपने घरों का रुख कर चुके थे लेकिन वे इस बात को लेकर दृढ़ संकल्प थे कि शुक्रवार को वे फिर इस उत्सव में शामिल होने आएंगे।
दिन भर जनांदोलन में व्यस्त रहने के बाद आधी रात होते ही लोग आराम फरमाने का ठिकाना ढूढ़ने लगे। कुछ लोगों को जगह मिली तो कुछ लोगों को नहीं मिली। खर हमें तो सोने के लिए जगह मिल चुकी थी लेकिन आंखो में नींद नहीं थी क्योंकि मैं अन्ना हजारे से मुलाकात करना चाहता था।
इसी दौरान मेरा ध्यान यहां की सुरक्षा व्यवस्था की ओर गया। अन्ना हजारे के अनशन की देखरेख में तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या को देखकर इस बात का अंदाजा लग गया कि यह आंदोलन कितना बड़ा है। मैंने कुछ सुरक्षाकर्मियों से भी बात की तो उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जनांदोलन में शामिल होने की उनकी भी इच्छा है लेकिन सरकारी वर्दी में होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन जब मैंने उनसे यह सवाल किया कि पुलिस विभाग में जिस तरह का भ्रष्टाचार फैला है उसे लेकर आप क्या सोचते हैं।
कंधे पर तीन स्टार लगाए एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दुख तो होता ही है कि भ्रष्टाचार एक नासूर बन चुका है लेकिन बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं जो हमारे हाथों में नहीं होती हैं। इस अधिकारी ने भी कहा कि जन लोकपाल विधेयक बन जाने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में आसानी होगी।
पुलिस अधिकारी से बात करने के बाद मैंने अपनी घड़ी पर नजर घुमाई तो रात के करीब 1.30 बज चुके थे और मुझे भी नींद आ रही थी। दिन की अपेक्षा माहौल बहुत शांत था। मैंने अपने सोने की व्यवस्था पहले ही कर ली थी इसलिए मैं भी सोने चला गया। जिंदगी में पहली बार सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे सोया था। खर इस बात का मलाल नहीं था क्योंकि मेरे साथ सैकड़ों लोग मेरी तरह ही सोए थे।
सुबह के 4.30 मिनट पर अचानक मेरी नींद खुली। महाराष्ट्र से आया एक अनशनकारी सोए हुए लोगों को प्रभात भेरी के लिए जगा रहा था। वह मेरे पास भी आया और बोला भाई साहब हाथ-मुंह धो लीजिए प्रभात फेरी में शामिल होना है। पहले तो मुझे समझ में नहीं आया लेकिन मैं उठा और चाय की एक दुकान पर हाथ मुंह धोकर तैयार हो गया।
जल्दी ही लोग हाथों में तिरंगा लिए हुए 'वंदे मातरम' के नारे लगाते हुए नजर आए। इसी दौरान भारत के आधुनिक गांधी कहे जाने वाले अन्ना हजारे भी नजर आ गए। मुझे ऐसा लगा जैसी मेरी मंजिल मिल गई हो। मैं उनके पास गया और उनका हाल-चाल पूछा। उन्होंने सही सलामत होने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में अपना प्राण त्यागने वाले महापुरुषों के कर्ज को उतारने के लिए वह आंदोलन कर रहे है।
मैंने कहा आपके इस जनांदोलन को काफी समर्थन मिल रहा है, आपको कैसा लग रहा है। उन्होंने कहा अच्छा लग रहा है लोगों के लिए ही तो यह कर रहा हूं। इसके बाद कुछ लोग आए और उन्हें लेकर चले गए। मुझे बताया गया कि अब वह बाद में मीडिया से मुखातिब होंगे।
खर महात्मा गांधी से मिलने का सौभाग्य तो नहीं मिला लेकिन देश के इस आधुनिक गांधी से मिलकर मैं काफी खुश था। वाकई में उनके अंदर मुझे गांधी जी का अक्स दिखाई दे रहा था। साथ ही मन में एक टीस यह भी थी कि मुझे भी अन्ना हजारे के समर्थन में कम से कम एक दिन ब्रत पर जरूर रहना चाहिए था।
ians se Vidyashankar RAi..with Shravan Shukla
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