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Sunday, May 22, 2011

"गीतों के बादल" संघर्षो भरे प्रेम की गाथा (समूर्ण प्रेमकाव्यग्रन्थ).. समीक्षा


हाल ही में एक प्रेममहाकाव्य पढ़ने के दौरान जिंदगी के गूढ़ रहस्यों के अनुभव को समझने की कोशिस किया, प्रेममहाकाव्य का नाम है ...'गीतों के बादल' (जोकि तुषार देवचौधरी द्वारा लिखित एवं संकलित है.) ...प्रेमकाव्यग्रन्थ इसलिए क्योकि इस काव्यसंग्रह में जीवन भर के अनुभव और प्यार की तरुणाई से लबरेज शब्दों की मालाएं पिरोई गई है .. कहने के लिए यह कविता संग्रह है जोकि जीवन के अनुभवों पर केंद्रित . कवि की जिंदगी में होने वाले उथल-पुथल और संघर्ष को दर्शाती है . लेकिन मेरी नज़र में यह पूरी जिंदगी की गाथा होने के साथ प्यार के प्रतीक के रूप में अपने प्राणप्रिये को समर्पित सन्देश है . जिसको पढकर लोग अपने जीवन के अनुभव को महसूस करेंगे और एक-एक लाइन में होने वाले संघर्ष को जीना चाहेंगे ..कुछ लाइने पूरी जिंदगी को झकझोर देंगी ..जैसे.. बादलों में, सागरों में ,
सिर्फ तेरा ही उमड़ना ,
देखने की जिद हमें थी ,
डूबकर तुझमें उतरना 


पूरे काव्य संग्रह में लिखी हर कविता में वो सब है जो साधारण कवि की कल्पना से अक्सर बाहर ही होता है .. जिंदगी भर के संघर्ष, प्यार,नफरत, और सहन शीलता की झलक है इसमें..
आप किताब की भूमिका पढेंगे तो आपको एकबारगी लगेगा कि यह किताब मात्र एकतरफा ही होगी जो कवि के जीवन को ही गौरवान्वित करने का प्रयत्न करेगी.. लेकिन आपको काव्य रचनाये पढते समय भूमिका को भूलना पड़ेगा.. क्योकि भूमिका में कवि ने अपने जीवन की उन घटनाओं का उल्लेख किया है जिसने हर हल , हर समय कवि के जीवन को झकझोर दिया है ... यह किताब पढते वक्त आपको कवि के पूरे जीवन के अनुभव कि झलक मिलेगी ...

खास बात यह है कि इस किताब को लिखने एवं सारी घटनाओं को कलमबद्ध करते - 2 , अपने नए सुख-दुःख- प्यार-नफरत को पिरोते हुए ३ दशक लंबा वक्त लगा है...
ह किताब इतनी बेहतरीन इसलिए बन पाई है क्योकि इसकी रचना करते समय बहुत ही धैर्य रखा गया है.. ३ दशकों के धैर्य को पिरोती हुई यह किताब आधुनिक रचनाओं की मौलिकता में श्रेष्ठ लगती है .. आज के कवियो की किताबें सिर्फ २-४ महीनों में ही लिखी जाती है इसीलिए वह प्रासंगिकता उनमे नहीं रह पाती जो इस किताब में है..कवितायें जीवन के ऊँचे -नीचे रास्तों पर शब्दों की ऊँगली थामे एक के बाद एक डग भरतीं नज़र आती है, पहले भाग 'भीगे पथ पर' की घटनाओं को ३ दशकों बाद आगे बढाती है...लगता ही नहीं कि हम किसी किताब की अगली कड़ी पढ़ रहे है .. 'गीतों के बादल' जीवन के हर पहलू को जीवंत करतीं हैं..
मैंने कुछ ही कविताएं अभी तक पढ़ी है कुछ ही इस लिए कह रहा हूँ कि एक दो अभी शेष बची है. सम्पूर्णता लिए इस काव्यग्रंथ को जबतक पूर्ण रूप से पढ़ न सकूंगा तब तक शायद जिंदगी के गूढ़ अनुभवों को अनुभव न कर सकूंगा इसीलिए ...मैंने कुछ ही कविताएं कही है ... (कविताओ को पढकर जिंदगी की सम्पूर्णता पर बहस की जा सकती है, कि कैसे कैसे स्वरुप है प्यार के, प्यार भरे संघर्ष के.. जो जीवन के चरित्र को रोमांचित कर देती है .अभी तक मेरे द्वारा पढ़ी गई प्रेमकाव्यग्रंथों में से सर्वश्रेष्ठ)
मेरी नज़र में यह निर्विवाद रूप से बेहद उम्दा काव्यग्रंथ है.. हम यह नहीं कह सकते कि कौन सी कविता ज्यादा अच्छी है.. और पढ़ना शुरू करने के बाद चाहकर भी हम इससे दूर नहीं भाग सकते . क्योकि इन कविताओ में जीवन का रोमांच छिपा हुआ है. ,

मैंने इसे अपने ब्लॉग पर इसलिए भी लिखा है क्योकि मेरी नजर में जीवन के सुख-दुःख प्यार नफरत को कविताओं में माध्यम से जीवंत करने का इससे बेहतर नजरिया हो ही नहीं सकता.. आखिर इसीलिए तो माना जाता है कि "जीवन एक संघर्ष" है जिससे जीत हासिल करना और जीत हासिल करके भी न जीतना … सबकुछ सीखना पड़ता है ..
(मेरी यह टिप्पणी अयन प्रकाशन (महरौली) द्वारा प्रकाशित "गीतों के बादल" पुस्तक के लिए है .. जिसके रचनाकार श्री तुषार देवचौधरी जी है, किताब का अंकित मूल्य ३५० रुपये है .. बेहतरीन कृति के लिए तुषार जी को हार्दिक बधाई..)


पुस्तक पाने के लिए कमेन्ट में अपने पते लिखिए .. भेजने की व्यवस्था की जायेगी 

21 comments:

(कुंदन) said...

शानदार विवरण लिखा है

आज ही इस किताब को मंगवाता हूँ भाई मै भी

और अगली पोस्ट का इन्तेजार रहेगा

Anonymous said...

सुन्दर एवं साधुवाद.
पंकज झा.

Anoop Aakash Verma said...

तुषार जी को बहुत-बहुत शुभकामनायें.....और इतनी बेहद समीक्षा के लिये आपको भी......बधाई!

शेषधर तिवारी said...

पुस्तक के बारे में विवरण के लिए धन्यवाद श्रवन जी. तुषार जी अच्छे स्तर के कवि हैं. पुस्तक के लिए बधाई.

अजय कुमार झा said...

बहुत ही शानदार समीक्षा लिखी है , किताब खरीदने के लिए प्रेरित करती सी । शुभकामनाएं

PD said...

आजकल मैं कविता पढ़ने के मूड में नहीं हूँ, सो मन लगाकर नहीं पढ़ पाया इस समीक्षा को.. बाद में फिर से आना पड़ेगा.. :)

Unknown said...

bahut hee achhee smeeksha kee apne bhai ....is pustak ko jaroor padunga bhai ...waise bhee jo aap recomend karte ho woh achha hee hota hai........
prem arora
9012043100

Unknown said...

आज के दोर में कोई पुस्तक छपवाना और फिर उसको पड़ने वाले ढूँढना काफी मुश्किल काम हो गया है ...पर जिस तरह से शरवन आपने पड़ा है और समीक्षा की है ..यह सराहनीय पर्यास है...आपके और श्री तुषार जी को हार्दिक शुभ कामनाएं

navneet said...

प्रिय श्रवण
लग ही नहीं रहा की ये काव्य समीछा आपने इस उम्र में लिखी है !
ऐसा लिखने के लिए बड़ा ही अनुभव चाहिए ........ बधाई आपको

taran said...

सुन्दर एवं साधुवाद.

Kamal Verma said...

good one bro lage raho.

rahul said...

आप ने बहुत अच्छी समीक्षा किया .

akshay said...

achaa tha iitney dino baad itni achi hindi padhne ka avsar mila...........warna to aaj kal ke jeevan se hindi ka mahatv mano khatam hota ja raha hai....... acha vivarand tha..................

pushpendra singh rajput said...

good समीक्षा पढ़कर किताब अभी मगवाने का दिल करता है,,

Shivjatan Singh said...

bahut acha vivran likha hai. congrats.

Anonymous said...

me apni book nahi padta to ye kaise padunga yaar .....

ye waise mast naam hai kavita boleto rapchik naam hai ..

ye kavita milegi kaha yaar :-)

Unknown said...

बहुत बढिया अच्छी समक्ष है

Unknown said...

बहुत बढिया अच्छी समक्ष है

Unknown said...

बहुत बढिया अच्छी समीक्षा है - पंकज चित्रोड़े www.teznews.com

Anonymous said...

तेरी मुस्कराहट मेरी पहचान है ,
तेरी ख़ुशी मेरी जान है ,
कुछ भी
नहीं
मेरी ज़िन्दगी ,
बस इतना समझ ले की तेरी दोस्ती ही मेरी शान है .

rajendrasinghrwt said...

तेरी मुस्कराहट मेरी पहचान है ,
तेरी ख़ुशी मेरी जान है ,
कुछ भी
नहीं
मेरी ज़िन्दगी ,
बस इतना समझ ले की तेरी दोस्ती ही मेरी शान है .

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