हमारीवाणी

www.hamarivani.com

Labels

Popular Posts

Thursday, August 5, 2010

फिल्म 'लम्हा' का कश्मीर घाटी में शांति का शक्तिशाली संदेश

अभी हाल ही में सुनने में आया है की कश्मीरी आतंकवाद पर बनी फिल्म 'लम्हा' के निर्माता कश्मीरी दर्शकों को यह फिल्म दिखाने में समस्याएं महसूस कर रहे थे। इन समस्याओं की वजह यह है कि घाटी में थियेटर बहुत कम हैं और जो हैं वे भी चालू हालत में नहीं हैं।

'लम्हा' का प्रदर्शन 16 जुलाई को होना था।

फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया सबसे पहले घाटी में 'लम्हा' का प्रदर्शन चाहते थे लेकिन ऐसा कोई रास्ता नहीं है जिसके जरिए वह ऐसा कर सकें।

ढोलकिया कहते हैं, "'लम्हा' कश्मीरी लोगों के लिए बनाई गई थी। यह उनके जीवन, उनकी पीड़ा और उनकी राजनीति की कहानी है। ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं कश्मीरी लोगों को यह फिल्म न दिखाऊं।"

उन्होंने कहा, "यह फिल्म उनसे ताल्लुक रखती है। मेरे लिए यह कल्पना से बाहर की बात है कि पूरी दुनिया 'लम्हा' देखे और कश्मीरी लोग इसे न देख सकें।"

ढोलकिया खुद एक प्रोजेक्टर की व्यवस्था करके जम्मू एवं कश्मीर के प्रमुख क्षेत्रों में फिल्म का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, "हमारे पास घाटी में फिल्म दिखाने के लिए एक गैरपरंपरागत तरीके को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"

यद्यपि 'लम्हा' में कई स्थितियां और किरदार वास्तविक कश्मीरी राजनीति पर आधारित हैं लेकिन निर्माता बंटी वालिया और मुख्य अभिनेता संजय दत्त को उनके स्कूल के साथी रहे उमर अब्दुल्ला ने इस फिल्म में कश्मीरी कार्ड का इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी।

सुनने में यहाँ तक आया था की फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के लिए 'लम्हा' के गुपचुप तरीके से प्रदर्शन की एक योजना बनाई गई थी।

यहाँ यह देखना जरूरी है की फिल्म के राजनीतिक पहलू को दबाने के लिए फिल्म निर्माता 'लम्हा' से जुड़े चकाचौंध भरे विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बना रहे थें। इन योजनाओं में से एक कोलंबो में आयोजित होने जा रहे आईफा समारोह में फैशन शो प्रस्तुत करने की योजना तैयार थी। इस शो में संजय दत्त, बिपाशा बसु, कुणाल कपूर और अनुपम खेर जैसे कलाकार कश्मीरी पोशाकों में रैम्प पर उतरे थें। यह दिलचस्प बात थी। लेकिन यह सब बस फिल्म के प्रोमोट होने तक ही सीमित था..अब देखिये लम्हा का नामे कही नहीं सुनाई दे रहा..हा यह जरुर है की इस फिल्म का संगीत लोगो पर छाया हुआ है..लेकिन क्या सिर्फ संगीत ही काफी है ? कश्मीर का सन्देश दुनिया को देने के लिए?

हम तो यही उम्मीद करते है की फिल्म लम्हा द्वारा शांति के उन लम्हों में ले जाने के बाद कश्मीर घाटी में शांति का शक्तिशाली संदेश कहीं गायब नहीं हो जाए ........

2 comments:

RAMAN SINGH said...

वाह बच्चू ...दमदार है...

Unknown said...

dhanyawaad

@ बिना अनुमति प्रकाशन अवैध. 9871283999. Powered by Blogger.

blogger